मेरठ। कोविड-19 के एक साथ छह केसों को कोरोना बम माना जा रहा है। कोविड-19 के एक साथ छह केस आने के बाद मेरठ से लखनऊ तक हड़कंप मचा हुआ है। वहीं दूसरी ओर जो पहले संक्रमित हो चुके हैं, विशेषाज्ञों ने उन्हें सावधानी की हिदायत दी है। साथ ही यह भी कहा है कि जो एहतियात वो पहले बरता करते थे, वही तमाम एहतियात बरतने लगें। दरअसल पूर्व के संक्रमितों को विशेषज्ञ इम्युनिटी की लिहाज से बेहद सेसेटिब बता रहे हैं। वहीं दूसरी ओर कोविड-19 के छह केस आने के बाद मेरठ से लेकर लखनऊ तक के स्वास्थ्य अधिकारी अलर्ट मोड पर हैं। लखनऊ ने छह केसों की हिस्ट्री तलब कर ली है। जो छह केस आए हैं उनको क्वारंटाइन किया है। स्वास्थ्य विभाग की सबसे बड़ी चिंता कोविड-19 के केस बच्चों में आने को लेकर है। जो छह केस मिले हैं उनमें भी एक बच्ची शामिल है। बच्ची कंकरखेड़ा थाना क्षेत्र की रहने वाली है। उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उसके माता-पिता के सैंपल भी जांच के लिए भेजे गए हैं। इसके अलावा अब जो भी संक्रमित मिल रहे हैं उनके पूरे परिवार की कोविड जांच कराई जा रही है। विशेषज्ञ भी मान रहे हैं कि ऐसा करना सुरक्षित है। शहर के सीनियर फिजिशियन डा. संदीप जैन का कहना है कि यदि किसी परिवार में कोई संक्रमित पाया जा रहा है तो पूरे परिवार की जांच करा लेना बेहद सुविधा जनक है। यह केवल परिवार के लिए ही नहीं बल्कि आसपडौस व सोसाइटी के लिए भी अच्छा है। शहर के बाल रोग विशेषज्ञ डा. शिशिर जैन का कहना है कि बच्चों में कोविड आना कोई अच्छा संकेत नहीं है। बच्चों को लेकर बेहद सतर्क रहने की जरूर है। बेहतर तो यही होगा कि बच्चों को कुछ दिन घर में रखा जाए और जब स्कूल जाएं तो मास्क का प्रयोग करें।
मेडिकल पूरी तरह तैयार
कोविड-19 के केसों का सिलसिला शुरू होने के बाद मेडिकल के प्रधानाचार्य डा. आरसी गुप्ता ने बताया कि लोग बिलकुल ना घबराएं। कोरोना का जो नया बैरिएंट है वह पहले जितना घातक नहीं है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि काविड-19 के इलाज की पूरी व्यवस्था मेडिकल में मौजूद है। पूरा वार्ड अलग से तैयार कर लिया गया है। ना तो दवाओं की कोई कमी है और नही चिकित्सकों की कोई कमी है। उन्होंने लोगों से अपील की पैनिक ना फैलाए। केवल सुरक्षा इंतजामों का पालन करें।
परले दर्ज की लापरवाही
संक्रमण के केसों के आने के बाद जहां एक ओर सरकार और स्वास्थ्य तंत्र पूरी तरह से अलर्ट मोड पर हैं। संक्रमितों के इलाज का पूरा इंतजाम किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर आम आदमी की बात करें तो संक्रमण के बचाव के मामले में पूरी लापरवाही बरती जा रही है। सबसे ज्यादा बुरी स्थित मॉस्क को लेकर है। कोई भी माॅस्क के प्रति गंभीर नजर नहीं आ रहा है। यहां तक कि जो लोग मेडिकल और जिला अस्पताल इलाज या दवाओं के लिए जा रहे हैं वो भी मास्क नहीं लगा रहे हैं। बगैर मॉस्क ही भीड़ में एक दूसरे से सटे खड़े हैं। भले ही कोविड-19 या कहें संक्रमण ना लगे, लेकिन दूसरे ऐसी बीमारियां होती है जो हवा या एक दूसरे के संपर्क में आने से दूसरे को संक्रमित कर सकती हैं। कमोवेश ही दशा प्राइवेट चिकित्सकों के यहां खासतौर से जिनके यहां अधिक भीड़ रहती है वहां भी पूरी लापरवाही बरती जा रही है।
डाक्टर बरत रहे सावधानी
कोविड-19 के केस मिलने के बाद अब डाक्टर व मेडिकल स्टाफ खुद सावधानी बरतने लगा है। एलएलआरएम मेडिकल, जिला अस्पताल और तमाम बड़े प्राइवेट डाक्टर मॉस्क अवश्य लगा रहे हैं। उनका स्टाफ भी खुद को बीमारी से बचाए रखने के लिए मास्क लगा रहा है। इसके अलावा अन्य एहतियाती उपाय भी किए जा रहे हैं, जबकि उनके यहां आने वाले मरीज पूरी तरह से कोविड-19 को न्यौता देते नजर आ रहे हैं।