पूरे यूपी में मीट तक की दुकानें बंद हैं, फिर शराब क्या शराब को गंगाजल मानकर दुकानें खोलें रखी हैं, लुहसन प्याज पर भी रोक है
डीजीपी व प्रमुख सचिव ने पुलिस प्रशासन के अफसरों शराब की दुकान पर पर्दे के आदेश दिए थे, लेकिन पूरे शहर में कहीं भी शराब की दुकानें पर्दे में नजर नहीं आतीं
मेरठ/ मेरठ समेत पूरे यूपी में प्रशासन व पुलिस के अफसरों ने प्याज व लुहसन तक की दुकानें बंद करा दी हैं, लेकिन शराब की दुकानें खुली हुई हैं, यह सुविधा किस वजह से दी गयी है और क्यों दी गई है। शराब की बिक्री में ऐसी क्या खासियत है जो शासन व प्रशासन ने इन्हें खोलने और कांवड़ यात्रा मार्ग तक पर खोलने की अनुमति दे दी है। विगत दिनों लखनऊ से सूबे के डीजीपी और प्रमुख सचिव कांवड़ यात्रा की तैयारियों का जायजा लेने को मेरठ पहुंचे थे। इस बैठक में पुलिस प्रशासन के एडीजी व कमिश्नर तथा तमाम विभागों के प्रमुख तक मौजूद थे। डीजीपी व प्रमुख सचिव ने हिदायत दी थी कि कांवड़ यात्रा के दौरान कहीं शराब की दुकानें बेपर्दा नजर नहीं आए। लेकिन पूरे महानगर में और मेरठ की सीमा तक कहीं भी शहर में शराब की दुकानों पद हरा व नीला पर्दा नहीं डाला गया है। डीजीपी व प्रमुख सचिव के आदेश के बाद भी यदि स्थानीय अधिकारी शराब की दुकानों पर पर्दा डालना गैर मुनासिब समझते हैं तो फिर तो कुछ भी कहना सुनने बेकार है। ऐसा लगता है कि हिन्दू धर्म व धार्मिक आस्था के मानक बदल दिए गए हैं। मसला रेवेन्यू का ठहरा
कांवड़ यात्रा मार्ग पर भी नहीं
कांवड़ यात्रा मार्ग तक मसलन मेरठ में जहां से कांवड़िया एंट्री करते हैं, वहां से लेकर बाईपास और रूड़की रोड से लेकर गढ़ व हापुड़ रोड पर कहीं भी शराब की दुकानें पर्दे में नहीं मिलेंगी। शराब की दुकानों का यह खुदा प्रदर्शन किस के लिए है। इस स्थिति से स्थानीय अफसरों की मंशा पर सवाल जरूर उठता है कि मीट, लुहसन और प्याज की दुकानें तक बंद करा दी गयी है। माना जाता है कि लुहसन व शराब हिन्दू संस्कृति में तामसी प्रवृति की मानी जाती है तो क्या शराब की दुकाने खुले रखनी की पैरवी करने वालों की नजर में हिन्दुओं के धार्मिक कार्य में शराब तामसी नहीं माना जाता, या फिर यह मान लिया जाए कि हिन्दुओं पैरोंकारों के नजर में अब शराब को धार्मिक कृत्य के लिए जरूरी मान लिया गया है। परिभाषाएं बदल गयी हैं।
प्याज के नाम पर उपद्रव व शराब पर चुप्पी
दो दिन पहले प्याज के नाम पर मुजफ्फनगर में जमकर उपद्रव हुआ। उसके वीडियो सोशल मीडिया पर मौजूद हैं। प्याज का भोजन खिलाना किसी भी दृष्टि में सही नहीं ठहराया जा सकता, लेकिन कांवड़ मार्ग पर खुली शराब की दुकानें सही मान ली गयी हैं या फिर इसके फिर कारण रेवेन्यू तो नहीं। हिन्दु संगठन भी इस पर चुप्पी साधे हुए हैं। फिर शराब की जो दुकान खुली हैं उन पर भी पर्दा नहीं है। वहीं उपद्रव की घटनाओं की आए दिन खबरे आ रही हैं।
लुहसन पर रोक शराब पर नहीं

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