मेडिकल में एम्बुलेंस माफियाओं का गुण्डा राज

मेडिकल में एम्बुलेंस माफियाओं का गुण्डा राज
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मेडिकल में एम्बुलेंस माफियाओं का गुण्डा राज, मेडिकल में एम्बुलेंस माफिया जिनके तार शहर के कुछ नामचीन नर्सिंगहोम संचालकों से जुड़ हैं उनके गुण्डाराज के आगे एलएलआरएम प्रशासन और पुलिस भी बेबस नजर आती है। हालात की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मेडिकल के सरदार बल्लभ भाई पटेल इमरजैंसी वार्ड से मरीजों को बगैर रिलीव कराए ही उठा ले जाते हैं। ऐसे मरीजों को सीधे शहर के उन नर्सिंगहोम में पहुंचा दिया जाता है, जहां के लिए ये एम्बुलेंस संचालक दलाली करते हेँ। करीब एक दशक से इनका राज कायम है। कई बार पुलिस ने इन पर सख्ती भी की, लेकिन कुछ समय बाद ये दोबारा बारिश में कुकरमुत्तों की तर्ज पर आ जमे।
वार्डों में आते हैं घुस
ये एम्बुलेंस संचालक अक्सर इमरजैंसी व दूसरे वार्डों में देखे जा सके हैं। दरअसल होता यह है कि कई बार ये मरीज को लेकर एलएलआरएम मेरठ  मेडिकल इमरजैंसी वार्ड में पहुंचते हैं। वहां मरीज के साथ तिमारदार भी होते हैं। जब कोई नया मरीज मेडिकल की इमरजैंसी आता है तो उसकी हालात आमतौर पर गंभीर होती है। वहीं दूसरी ओर मेडिकल एक सरकारी संस्थान है इसलिए आमतौर पर सेवाएं देने के मामले में बदनाम सरकारी संस्थानों की रवायत मेडिकल इमरजैंसी में भी नजर आती है। अक्सर इमरजैंसी में मरीज को अटैंड करने में देरी हो जाती है। इस दौरान मरीज के साथ आए तिमारदार बदहवास होते हैं। इलाज मिलने में हो रही देरी को देख वो बुरी तरह से घबरा जाते हैं। बस उनकी इसी घबराहट का फायदा दलाल बने घूम रहे ये एम्बुलेंस संचालक उठाते हैं। मरीज को एम्बुलेंस में डालते हैं और जिस नर्सिंगहोम से इनका कमिशन बंधा होता है, वहां पहुंचा देते हैं।
तिमारदारों को देते हैं झांसा
ये एम्बुलैंस संचालक मरीज के साथ आने वाले तिमारदारों को अच्छी जगह सस्ता इलाज कराने का झांसा देकर ही मरीज को वहां से लेकर जाते हैं। मरीज और उसके तिमारदार के साथ होता एकदम उलटा है। इलाज तो महंगा होता ही है, साथ ही इस बात की भी कोई गारंटी नहीं होती है कि मेडिकल इमरजैंसी की तुलना में जहां प्राइवेट में ले जाकर भर्ती कराया गया है, वहां पर मरीज को बेहतर इलाज मिल ही जाएगा। जब तक मरीज व तिमारदारों को एम्बुलेंस संचालक दलालों का खेल समझ में आता है तब तक काफी देर हो चुकी होती है। उस दशा में उनके पास कोई खास विकल्प नहीं रह जाता।
कई बार खदेडे गए
शहर के कुछ प्राइवेट नर्सिग होमों के लिए मरीजों को टारगेट करने वाले एम्बुलेंस संचालक दलाल कई बार मेडिकल इमरजैंसी से खदेडे भी जा चुके हैं। करीब दो साल पहले भी पुलिस प्रशासन ने संयुक्त कार्रवाई कर इन्हें मेडिकल इमरजैंसी के सामने से खदेड दिया था। लेकिन कुछ समय बाद ये दोबार वहां आ डटे। मेडिकल इमरजैंसी के सामने वाला परिसर इनका खास ठिकाना है जहां इनकी एम्बुलेंस खड़ी होती है, लेकिन इनका कार्य क्षेत्र मसलन मरीज की तलाश में इन्हें पूरे मेडिकल और सरदार बल्लभ भाई पटेल अस्पताल में भटकता देख जा सकता है।
अस्पताल के स्टाफ में मददगार
कार्रवाई के बावजूद अपना गुण्डाराज कायम करने में पूरी तरह से कामयाब इन एम्बुलेंस संचालकों को बड़ी मदद मेडिकल इमरजैंसी स्टाफ से मिलती है। दरअसल हो यह रहा है कि मेडिकल इमरजैंसी में कुछ कर्मचारियों ने एम्बुलेंस संचालकों की नजदीकि किसी से छिपी नहीं है। सुनने में तो यहां तक आया है कि स्टाफ में से भी कुछ की एम्बुलेंस चल रही हैं। स्टाफ के लोग ही बताते हैं कि यहां कौन मरीज परेशान है और उसके तिमारदारों पर कैसे डोरे डालकर मरीज को यहां से ले जा सकता है।
वर्जन
मेडिकल प्राचार्य डा आरसी गुप्ता ने बताया कि मेडिकल परिसर में अवैध एम्बुलेंस को लेकर प्रशासन के अवगत कराया जा चुका है। कई बार पुलिस ने अभियान भी चलाकर इन्हें खदेडा है। जहां तक मेडिकल प्रशासन की बात है तो मेडिकल डाक्टरों का काम मरीजों के स्वास्थ्य का ध्यान करना पहले है।

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