मौत के सामान की बिक्री पर रोक फाइलों में कैद

मौत के सामान की बिक्री पर रोक फाइलों में कैद
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मौत के सामान की बिक्री पर रोक फाइलों में कैद,

-तमाम मेडिकल स्टोरों पर धड़ल्ले से बेची जा रही हैं नारकोटिक्स की दवाएं

-नशे की हर पार कर चुके युवाओं में है  प्रतिबंधित दवाओं की जबरदस्त डिमांड

मेरठ। शेड्यूल एच मसलन नारकोटिक्स की ऐसी दवाएं जो बगैर डाक्टरों के पर्चे के नहीं दी जानी चाहिए, वो दवाएं भी मेडिकल स्टोरों पर खासतौर से जो मेडिकल स्टोर बगैर कायदे कानून या कहें लाइसेंस के संचालित किए जा रह हैं, वहां धड़ल्ले से बेची जा रही हैं। जब सरकार की ओर से जब ऐसी दवाएं केवल डाक्टर के पर्चे से बेचने का  नियम बना दिया गया है और उसके बाद भी यदि इनकी बिक्री की जा रही है तो समझा जा सकता है कि किस की शह पर मौत का सामान बेचा जा रहा है।

एसटीएफ की कार्रवाई

साल 2921 में एसटीएफ की मेरठ यूनिट ने बड़ी कार्रवाई करते हुए कंकरखेड़ा थाना क्षेत्र में  एक वोल्वो बस में लायी जा रही प्रतिबंधित की श्रेणी में शुमार दवाओं का जखीरा पकड़ा था। उसी तर्ज पर आज भी एसटीएफ की मेरठ यूनिट ने दो तस्करों को दबोचकर सहारनपुर में वैसी ही कार्रवाई कर मौत के सामान का जखीरा पकड़ा है। हालांकि इसी तर्ज पर मेरठ के जो मेडिकल स्टोर प्रतिबंधित दवाएं डाक्टर के पर्चे के बगैर बेच रहे हैं उन पर कार्रवाई या कहें शिकंजे कसा जाना बाकि है।

यह है नियम 

जो दवाएं नारकोटिक्स एक्ट  शड्यूल वन की श्रेणी में शामिल हैं वो दवाएंबिना डाक्टर के पर्चे पर बेचा ही नहीं जा सकता है। इनकी बिक्री करने वाले संचालकों को अलग रजिस्टर रखना होता है, जिसमें मरीज का नाम, पता और मोबाइल नंबर दर्ज किया जाता है। हर माह उसकी सूचना खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग को देनी होती है। अगर मेडिकल स्टोर संचालक चाह लें तो नशे की एक गोली भी नहीं बिक सकती है। दरअसल ऐसी दवाओं को कुछ गंभरीर बीमारियों से निजात दिलाने के लिए बनाया गया है।

मौत का सामान नशे में इस्तेमाल

जो दवाएं किसी की जिंदगी बच सकती हैं उन दवाओ को कुछ युवा नशे के लिए यूज करने लगे हैं। उसका उपयोग युवाओं द्वारा नशे के लिए किया जा रहा है। नशे के लिए बीड़ी, सिगरेट और शराब के अलावा सीरप , इंजेक्शन और टेबलेट का उपयोग हो रहा है। मेडिकल स्टोर वाले अपने थोड़े से फायदे के लिए बिना डाक्टर की पर्ची देखे ही ये नशीली दवाएं बेंच रहे हैं।

तेजी से बढ़ रही लत
युवकों में दिन-ब-दिन नशे को लेकर झुकाव बढ़ता जा रहा है। शराब, सिगरेट, गांजा के साथ अब नशे के लिए युवा नए तरीके भी इजाद कर रहे हैं। दर्द और एलर्जी से राहत दिलाने के लिए बनाई गई दवाइयों को उपयोग युवा वर्ग नशे के लिए करने लगा है। पेंटविन इंजेक्शन, कोरेक्स सीरप और स्पाजमो प्राक्सीवान कैप्सूल का नशे के लिए उपयोग किया होता है। नशे के ये सामान मेडिकल स्टोर में पांच रुपए से लेकर पंद्रह रुपए में आसानी से मिल जाते हैं। स्पाजमो प्राक्सीवान कैप्सूल पेट दर्द से राहत की दवा है। इसकी कीमत  यूं कहने को मात्र दो  रुपए है। युवा एक साथ चार से पांच कैप्सूल खाकर इसका उपयोग नशे के लिए कर रहे हैं। इसके अलावा पेंटविन इंजेक्शन लगाकर भी युवा वर्ग नशा कर रहा है। इंजेक्शन को दस रुपए में बिक्री कर मेडिकल स्टोर के संचालक चांदी काट रहे हैं। नशे के लिए युवा स्पाजमो प्राक्सीवान, एंटी एलर्जिक टेबलेट, नारफिन एंपुल, नाइट्रोसीन टेबलेट, आयोडेक्स व कोरेक्स सीरप का भी उपयोग कर रहे हैं। इनमें से नारफिन व नाइट्रोसीन को तो प्रतिबंधित कर दिया गया है, फिर भी ये मेडिकल स्टोर्स में मिल जाते हैं। रेलवे स्टेशन व ट्रेनों में भटकने और कबाड़ बीनने वाले बच्चों को बोनफिक्स या सुलेशन सूंघने की लत लग गई है।

कानून है मगर पालन  नहीं
सेंट्रल ड्रग स्टेंडर्ड आर्गेनाइजेशन के निर्देश पर सरकार की ओर से नया  आदेश जारी किया गया।  जिसके अनुसार नींद की गोली और हैवी एंटीबायोटिक दवा के लिए एमबीबीएस डाक्टर की पर्ची जरूरी हो गई है। इसके कुछ दिन बाद कोई भी दवा के लिए एमबीबीएस डाक्टर की पर्ची अनिवार्य कर दिया था। लेकिन दवा विक्रेताओं द्वारा इसका पालन नहीं किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्र के मेडिकल की बात छोड़ो शहर के मेडिकल स्टोर्स में भी बिना पर्ची के दवा दी जा रही है।  घर में पकड़े जाने के टेंशन से बचने के लिए युवा वर्ग नशीली दवा का सेवन कर आफत मोल ले रहा है। जानकारों की मानें तो पेंटविंन इंजेक्शन लगाने के 30 सेकंड के अंदर उसे नशा हो जाता है। इसी तरह स्पाजमो प्राक्सीवान कैप्सूल और कोरेक्स सीरप का नशा शराब जैसे दूसरे नशे की तुलना में सस्ता पड़ता है।
सेहत के लिए हानिकारक है

बताया गया है कि  यह हर जगह मेडिकल स्टोर में आसानी से भी मिल जाते हैं। इसे खाते समय किसी से छिपने की जरूरत नहीं पड़ती। शराब की तरह मुंह से बदबू भी नहीं आती, जिससे नशे के रूप में ऐसी दवा का उपयोग किया जा रहा है। लेकिन  पेंटविन इंजेक्शन महिलाओं को प्रसव या किसी भी व्यक्ति को अधिक दर्द होने पर लगाया जाता है। इसके अलावा स्पाजमो प्रॉक्सीवान कैप्सूल दर्द निवारक के काम आता है। अधिक मात्रा में उपयोग करने से नशा होता है। बार-बार उपयोग से इसकी लत भी लग सकती है। इसके अधिक उपयोग से किडनी पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है और जान भी जा सकती है।

थोड़े से फायदे के लिए बेचते हैं मौत
आमतौर पर सभी मेडिकल स्टोर्स संचालक जानते हैं कि किन दवाओंं का उपयोग नशे के लिए किया जाता है इनमें से कुछ दवाएं प्रतिबंधित भी हैं। फिर भी अपने फायदे के लिए वे ये दवाएं बेचते हैं। इससे युवाओं का भविष्य गर्त में जा रहा है। जो दवाइयां प्रतिबंधित नहीं भी हैं, उनके लिए नियमानुसार डाक्टर की पर्ची जरूरी होती है। अपने फायदे के लिए दवा व्यापारी इसका ध्यान नहीं रखते। प्रतिबंधित दवाएं तो कुछ दुकानों में तीन से चार गुने दाम में बिकती हैं। इस  इंजेक्शन को बिना किसी डॉक्टर के पर्ची की सप्लाई की गई थी जबकि इंजेक्शन को किसी भी मरीज को देने के लिए डॉक्टर की पर्ची आवश्यक होती है।

 

ये है नशे के बड़े सौदागर

1 ब्रह्मपुरी का हिस्ट्रीशीटर सनी कालिया (आठ अक्टूबर 2020 को जेल गया था )

2. भूसा मंडी मछेरान का ड्रग्स तस्कर तस्लीम (2003, 2016 और 2021 में जेल जा चुका है, अब जेल में बंद है )

3. भांग का ठेला चलाने वाले सत्येंद्र और राजू चौहान (19 सितंबर 2020 को जेल गए थे )

4. ब्रह्मपुरी मंगतपुरा का रमेश प्रधान (जेल में बंद है )

5. टीपी नगर का गणेश और उसकी बेटी सोनिया (गणेश दिल्ली चला गया) अब सोनिया ने संभाल रखी है कमान।

ये नशा शहर में बेचा जा रहा

कच्ची शराब, स्मैक, ब्राउन शुगर, हेरोइन, अफीम, चरस, भांग, गांजा, डोडा, नशीली गोलियां, और इंजेक्शन।

नशेडिय़ों के अड्डे

घंटाघर, ओडियन सिनेमा, माल गोदाम, बिजलीघर, भूमिया का पुल,  नौचंदी ग्राउंड, पीवीएस माल, रामलीला ग्राउंड, लालकुर्ती और सोहराबगेट बस स्टैंड इनके अलावा अब मेरठ शहर के कुछ कान्वेंट स्कूलों के बाहर भी इसकी बिक्री की बात सुनने में आ रही है इनके अलावा शहर के कुछ बड‍़े इंस्टीट्यूट में पढ़ने वाले बाहर के बच्चों के पास भी इसके उपलब होने की खासी चर्चा है।

हर माह नोटिस व रेंडम चैकिंग

हर माह करीब दो दर्जन मेडिकल स्टोर संचालकों को जो कायदे कानूनों का पालन नहीं करते उन्हें नोटिस दिया जाता है। इसके अलावा पूरे माह रेंडम चैकिंग भी करायी जाती है। अरविंद कुमार गुप्ता एडीसी

बनाने वालाें व खरीदने वालों पर हो कार्रवाई

जो लोग नशे की श्रेणी में आने वाली दवाएं बना रहे हैं और जो मेडिकल स्टोर संचालक उनसे खरीद रहे हैं उनके खिलाफ ड्रग अफसरों को जरूर कठोर कार्रवाई करनी चाहिए। रजनीश कुमार महामंत्री जिला कैमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन

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