AIMIM फैक्टर का राज्य के मुसलमानों पर नहीं असर, भाजपा को हराने वाले प्रत्याशी के साथ, सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के दौरे ने बदला मिजाज
नई दिल्ली/पटना। बिहार विधानसभा के चुनावों में मुसलामन मतदाता किसी प्रकार के कन्फ्यूजन में नजर नहीं आता। वहीं दूसरी चुनाव में AIMIM फैक्टर से भी मुसलमान विचलित नहीं है। मुसलमानों की बात करें तो जानकारों का कहना है कि फिलहाल मुसलमानों को ना तो तेजस्वी ना ही राहुल गांधी की पार्टी से कोई गुरेजे है। आमतौर पर बिहार के मुसलमानों को कांग्रेस, आरजेडी व जेडीयू के साथ माना जाता है, भाजपा के हिस्से में कम से कम बिहार के मुसलमान नहीं माने जाते, लेकिन इस बार बिहार का मुसलमान ना तो प्रत्याशी देख रहा है और ना ही जाति धर्म देख रहा है। वो केवल यह देख रहे हैं कि राज्य में कौन सी पार्टी भाजपा को रोक सकती है।
यूपी सरीखा ना हो हाल
दरअसल बिहार का मुसलमान यूपी और असम जैसे राज्यों के मुसलमानों की स्थिति देखकर काफी कुछ ठाने हुए है। यूपी में मुसलमानों को लेकर जो कुछ कहा जाता है उसके बाद बिहार का मुसलमान यह नहीं चाहता कि भाजपा का सीएम बने। उनका सीधा सा ऐजेंडा है कि जो भी भाजपा को रूक सकता है उसको वोट जाना चाहिए। केवल वोट ही नहीं जाना चाहिए, चुनाव में मुसलमान तमाम सीटों पर पूरी एकजुटता के साथ नजर आ रहा है। AIMIM को लेकर जब सवाल किया जाता हे तो बिहार का आम मुसलमान कहता है कि अभी यह कोई मुद्दा नहीं। अभी मुद्दा मुसलमानों को बचाने का है। दरअसल गिरीराज सिंह जैसे भाजपा के मंत्रियों के बयानों ने मुसलमानों से भाजपा की दूरी बढाने का काम किया है। पीएम की लगातार नसीहत के बाद भी इनके जैसे नेता मानने को तैयार नहीं। यही वजह है जो चुनाव में राज्य के मुसलमानों का नितिश कुमार से मोह भंग हो गया है और वो तेजस्वी यादव पर मन बना चुके लगते हैं।