भाकियू इंडिया ने करोड़ों का घोटाला किया उजागर, सफेदपोश ट्रांसपोर्टर के शामिल होने का आरोप, केंद्रीय जांच ऐजेंसी से जांच की मांग
नई दिल्ली/ मेरठ। भारतीय किसान यूनियन इंडिया ने तेल टैंकरों के ट्रांसपोर्ट ठेकेदारों द्वारा बड़े स्तर पर घोटाला करने के आरोप लगाते हुए केंद्रीय ऐजेंसियों से जांच कराए जाने की मांग की है। इस संबंध में अध्यक्ष संदीप तितौरिया ने एक पत्र रविवार को पीएम कार्यालय भेजा है। जिसमें कहा है कि पूर्व में इस संबंध में शिकायत की गई थी, लेकिन स्थानीय स्तर पर अफसरों ने मामले की जांच कर पुख्ता सबूत जुटाने के बजाए घालमेल कर दिया, जिसकी वजह से ऐसा करने वाले ट्रांसपोर्टरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी है। पीएम कार्यालय को बताया गया है कि करोड़ों रुपए के घोटाले का मामला है। यह सीधे-सीधे भोली भाली जनता को लूटने का कांड़ है। इसके कसूरवारों को सख्त से सख्त सजा दी जानी चाहिए ताकि आम आदमी को राहत मिल सके।
ये है मिलावट के कसूरवार
भाकियू इंडिया के संदीप तितौरिया ने पीएमओ को भेजे गए पत्र में जानकारी दी है कि डिपो से जो ट्रक निकलते हैं उनको बीच में रोक कर तेल निकाल लिया जाता है और एथनाल मिला दिया जाता है।मिलावटी तेल डलवाने से गाड़ियों के इंजन सीज हो रहे हैं। उन्होंने खुलासा किया कि यपूी-15एचटी-7370 नंबर के ट्रक में 26 अगस्त को पेट्रोल लोड हुआ। यह नोएडा सेक्टर 12 में गया। पेट्रोल पंप मालिक की शिकायत के बाद 27 अगस्त को जांच की गयी तो पाया गया कि ट्रक टैंकर के एक कंपार्टमेंट में 26फीसदी, दूसरी में 27 फीसदी और तीसरे में 25 फीसदी एथनाल की मिलावट की गयी है जबकि डिपो से केवल बीस फीसदी मिलावट वाला पेट्रोल लोड किया गया था। इससे संबंधित गाड़ी के ट्रांसपोर्टर का मिलावट व तेल चोरी का खेल जग जाहिर हो गया। इस सारे खेल में HPCL के डिपो के सह डिपो संचालक विक्रांत सैनी व राहुल निवासी गाजियाबाद की मुख्य भूमिका है। राहुल त्यागी ट्रांसपोर्टरों को एथनॉल उपलब्ध कराता है और चोरी का तेल भी खरीदता है।
अफसरों की मिलीभगत
डिपो से तेल लेकर जितने भी ट्रक टैंकर निकलते हैं उन सभी में जीपीएस लगे हैं, लेकिन बंदरबाट में हिस्सा मिलने के चलते इसके लिए रखे गए अफसर मानिटरिंग नहीं करते। तेल कंपनी और ट्रांसपोर्टरां के अलावा इस मामले में मेरठ डीएसओ आफिस और पुलिस का भी संरक्षण मिला हुआ है। शहर में अनेकों बार तेल माफियाओं के गोदाम पकड़े गए हैं । विगत 5 जनवरी को थाना टीपीनगर में इससे संबंधित एक मुकदमा भी लिखा गया था। टीपीनगर में पेट्रोल के अवैध भंडारन के चलते आग हादसे भी हो चुके हैं लेकिन बिजली कर्मियों से मिलकर घटना को तार टूटकर गिरने से लगी आग दर्शा दिया गया। सवाल यह है कि जब डिपो से टैंकर रवाना कर दिया जाता है तो फिर बीच रास्ते में घंटों रूकने का क्या मतलब है। टैंकरों के लॉक खुद ट्रांसपोर्टर खोल लेते हैं। इसके चलते कई बार लॉक खराब भी हो जाते हैं, लेकिन इसकी जांच कराने के बजाए डिपो के अफसर चोरी में हिस्सा मिलने की वजह से कार्र्वाई के बजाए चुपचाप लॉक बदलवा देते हैं।टैंकरों से तेल चोरी कर उनमें की जा रही मिलावट के चलते तमाम लग्जरी गाड़ियों के इंजन सीज हो रहे हैं। चंद सिक्कों के लालच में अफसर भी इनका साथ दे रहे हैं। पीएमओ को भेजे गए पत्र में इसकी जांच केंद्रीय ऐजेंसी से काराए जाने की मांग की गयी है।