मेरठ। सरकुलर रोड स्थित बंगला नंबर 210-सी के ध्वस्तीकरण के आदेश कैंट बोर्ड की बैठक में हुए थे, लेकिन पुलिस फोर्स ना मिलने की वजह से उस बंगले में किए गए अवैध निर्माणों को गिराया नहीं जा सका, जिस बंगले के अवैध निर्माणों को गिराया जाना था उसमें चोरी छिपे अब रिजाॅर्ट की तैयारी है। हैरानी तो इस बात की है कि तीन बार इस बंगले का सौदा हुआ लेकिन आज भी जीएलआर (जनरल लैंड रजिस्टर ) में यह अशफाक जमानी बेगम और तलक के नाम दर्ज है। इसके अलावा इस बंगले में दो लोगों सदन गर्ग और सुषमा गर्ग की हत्या हुई थी। उनकी हत्या के बाद पुलिस ने इसको सील कर दिया था। अरसे तक इस बंगले पर पुलिस का पहरा रहा।
बोर्ड बैठक में ध्वस्तीकरण के आदेश, पुलिस फोर्स मिलते ही कैंट बोर्ड करेगा कार्रवाई, सदन गर्ग और सुषमा गर्ग की यही पर की गयी थी गोली मारकर हत्या
ताराचंद शास्त्री ने खरीद कर सदन व सुषमा को बेचा
यह बंगला साज 1988 में वेस्ट एंड रोड निवासी ताराचंद शास्त्री ने छह लाख रुपए में खरीदा बताया जाता है। ताराचंद शास्त्री से यह बंगला साल 1993/94 में सदन गर्ग व सुषमा गर्ग ने खरीदा था और उसके बाद बंगले में अवैध रूप से होटल नैन्सी खोल लिया था। बाद में सदन गर्ग और सुषमा गर्ग/सहाय के बीच कुछ नाइत्तेफाकी हो गई। यह नाइत्तेफाकी इतनी ज्यादा बढ़ गई कि बाद में दोनों के रास्ते अलग-अगल हो गए। तब के स्टाफ की मानें तो उस वक्त सदन व सुषमा में से जो भी नैन्सी में आता था जितना कैश होता था वो ले जाता था। इसके अलावा दोनों जो बुकिंग किया करते थे, उसकी रकम अपने ही पास रखा करते थे। बाद में नौबत यहां तक आ गयी कि स्टॉफ को सेलरी के लाल पड़ गए।
सदन गर्ग व सुषमा गर्ग की हत्या
इस बंगले में पहले सदन गर्ग और बाद में सुषमा गर्ग की हत्या हुई। तब से बंगले को लेकर कहा जाने लगा कि जो भी इसमें आया वो रह नहीं सका। तारांचद शास्त्री ने खरीदा तो वो भी यूज में नहीं ला सके। सदन व सुषमा ने खरीदा तो वो जिंदा नहीं रहे। सदन व सुषमा की हत्या के बाद यह बंगला कुछ ऐसे लोगों का ठिकाना बन गया जिनकी आमतौर पर पुलिस को तलाश हुआ करती थी। आए दिन इस बंगले पर पुलिस की दबिशें हुआ करती थी। इस बीच यह बंगला शहर के नामी बाल रोग विशेषज्ञ डा. नीरज कांबोज के हाथ में आ गया। कोराना काल में उन्होंने यहां हॉस्पिटल चलाया। उसके बाद इस बंगले में बड़े स्तर पर अवैध निर्माण किए गए।
कैंट प्रशासन लगातार करता रहा कार्रवाई
210-सी क्योंकि आवासीय बंगला था, इसलिए इसमें चेंज ऑफ परपज, अवैध निर्माण और सब डिविजन ऑफ साइट के चलते कैंट बोर्ड प्रशासन लगातार कार्रवाई करता रहा। कैंट बोर्ड की कार्रवाई के खिलाफ सदन व सुषमा गर्ग जीओसी लखनऊ में अपील में चले गए। जीओसी के यहां से इनकी अपीलें खारिज हो गयीं। जीओसी से अपीलें खारिज होकर अलग-अलग कई याचिका कैंट बोर्ड कीे कार्रवाई खिलाफ हाईकोर्ट में लगायी गईं। कैंट बोर्ड की मजबूत पैरवी के चलते इनकी सभी अपीलें हाईकोर्ट से खारिज हो चुकी हैं।
रिजॉर्ट की तैयारी
जानकारों की मानें तो जिस 210-सी के ध्वस्तीकरण के आदेश कैंट बाेर्ड की बैठक में पारित हो चुके हैं, वहां रिजॉर्ट की तैयारी है। जिस बंगले का मालिका हक आज भी अशफाक जमानी बेगम और उनकी बेटी तलक के नाम हैं, उसमें अवैध रूप से यदि कोई रिजॉर्ट खाेलता है तो यह हिमाकत से कम तो माना नहीं जा सकता। जिस बंगले में अवैध निर्माण, चेंज आफ परपज व सब डिविजन ऑफ साइट किए जाने पर कैंट बोर्ड ने 185 के नोटिस कैंट एक्ट अधिनियम 1924 के तहत दिए हों और बोर्ड बैठक में जिसके ध्वस्तीकरण आदेश पारित किए गए हो यह बात अलग है कि ध्वस्तीकरण के लिए कैंट बोर्ड हमेशा तैयार रहा लेकिन किन्हीं कारणों के चलते प्रशासन ने पुलिस फोर्स व मजिस्ट्रेट उपलब्ध नहीं कराया, जिसकी वजह से ध्वस्तीकरण की कार्रवाई लंबित है, ऐसे बंगले में यदि कोई रिजाॅर्ट खोलने जा रहा है तो वो पूरी तरह से अवैध तो होगा ही साथ ही हिमाकत भी होगी।
===गिराने के आदेश फिर भी रिजॉर्ट की हिमाकत===
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