राहुल बार-बार करते मोदी काे मजबूर

kabir Sharma
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राहुल के विराेध के बाद यूटर्न, सदन में नेता प्रतिपक्ष के हमले से असहज सरकार, बार-बार ला देते घुटनों पर

नई दिल्ली। चुनाव जीता और मुद्दों पर यूटर्न लेना दो अलग-अलग बाते हैं। केंद्र की भाजपा नेतृत्व वाली मोदी सरकार के साथ कुछ ऐसा ही हो रहा है। जिन मुद्दों को राहुल गांधी सदन से लेकर सड़क तक मोदी सरकार को घेरते हैं पहले ना ना करने वाली केंद्र सरकार बाद में राहुल गांधी की धुन पर नाचती नजर आती है। ऐसे तमाम मुद्दे हैं जिन पर राहुल गांधी ने पीएम मोदी को बैकफुट पर आने के लिए मजबूर किया। ताजा मामला जातिगत जनगणना का है।

राहुल गांधी के हमलों से असहज मोदी

सदन में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के हमलों से पीएम मोदी अक्सर असहज नजर आते हैं। पीएम मोदी ही नहीं भाजपा की पूरी राजनीति राहुल गांधी के ईदगिर्द सिमट कर रह गयी है। राहुल गांधी ने प्रदूषण का मुद्दा उठाते हुए कहा कि प्रदूषण से बच्चों की सांसें धुट रही हैं चंद घंटों बाद ही सरकार के प्रदूषण मंत्रालय के अफसर मिटिंग करने लगे। दिल्ली-एनसीआर में निर्माण कार्य पर 10 दिनों का प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया।

बिहार चुनाव से पहले राहुल गांधी ने वोट चोरी’ का मुद्दा उठाते हुए दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी ‘चुनाव चुराकर’ सत्ता में आए हैं के आरोप लगाए तो मोदी सरकार ने SIR के पीछे छिपने का प्रयास किया, हालांकि सोशल मीडिया पर #votechori ट्रेंड करने लगा। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भी इसे संविधान बचाने की लड़ाई करार दिया।

फरवरी में अमेरिकी अदालत में गौतम अडानी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद राहुल ने संसद में जोरदार हमला बोलते हुए कहा कि “मोदी जी के दोस्त की जेब भरना ‘राष्ट्र निर्माण’ है, लेकिन देश की लूट ‘निजी मामला’?” विपक्ष ने JPC जांच की मांग की, जिसके दबाव में सरकार ने अडानी ग्रुप की कई परियोजनाओं पर स्टे लगाया और SEBI को विशेष जांच सौंपी।

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जातिगत गणना से साफ इंकार करने वाली मोदी सरकार उस वक्त जातिगत गणना को तैयार हो गयी जब राहुल गांधी ने मुद्दा उठाया। राहुल ने जातिगत जनगणना पर सरकार की ‘सरेंडर’ वाली नीति पर चुटकी ली। इसके बाद सरकार ने बिहार में पायलट जाति सर्वे को मंजूरी दी, जो राहुल की मांग थी। एक्स पर एकाएक #CasteCensusNow ट्रेंड हुआ, और विपक्ष ने इसे सामाजिक न्याय की जीत बताया।

राहुल की लोकसभा स्पीच में मणिपुर हिंसा, NEET पेपर लीक और संविधान पर हमले के मुद्दे उठाने से जुलाई में संसद ठप हो गई। सरकार ने मणिपुर में केंद्रीय बल तैनाती बढ़ाई, लेकिन बहस से बची। मोदी सरकार इन हमलों से उबरने की कोशिश में लगी है, लेकिन राहुल की आक्रामकता ने विपक्ष को मजबूत कर दिया है। शीतकालीन सत्र में और टकराव की उम्मीद है।

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