जानलेवा सर्दी में बुलाते हैं अल सुबह, गरम कपड़े तक नहीं अभी तक, नगरायुक्त से समस्याओं के निस्तारण की मांग
मेरठ। नगर निगम सफाई कर्मचारी नेताओं ने नगरायुक्त को दो टूक कह दिया है कि या तो समस्याओं का समाधान किया जाएं वर्ना निगम प्रशासन आंदोलन का सामना करने को तैयार रहे। सबसे ज्यादा नाराजगी जानलेवा सर्दी और कोहरे के इस मौसम में अल सुबह सफाई कर्मचारियों जिनमें महिलाएं भी हैं उन्हें बुलाना। इतना ही नहीं कड़ाके की ठंड़ के बाद भी गरम कपड़ों का ना दिया जाना निगम अफसरों की निष्ठुरता को दर्शाता है। इन्हीं सभी बातो को लेकर इसी सप्ताह मंडलायुक्त को भी अवगत कराया जा चुका है। कर्मचारी नेता विनेश मनोठिया व विनेश विद्यार्थी की सबसे बड़ी मांग निगम से ठेकेदारी प्रथा खत्म किए जाने को लेकर है।
नगरायुक्त को ज्ञापन मे ये हैं मांगें
संघ के लीलग एडवाइजर विनेश विद्यार्थी ने बताया कि उनकी मांग है कि सर्दियां लगातार बढ रही है, धुंध भी बढ़ने की संभावनाएं हैं, ज्यादा सुबह यातायात की समस्याएं भी बढनी शुरू हो जायेंगी, जिसके कारण, पुरुष सफाई कर्मियों का समय 7 बजे और महिला सफाई कर्मियों का 8 बजे सुनिश्चित किया जाये,ताकि महिलाएं अपने बच्चों के लिए ससमय भोजन की व्यवस्था कर सकें। सर्दियों के लिए, सफाई कर्मियों को उच्च कोटि की गर्म वर्दी और शूज़ आदि उपलब्ध कराया जाये, सफाई कर्मियों के स्वीकृत पदों की संख्या लगातार घट रही है, आबादी के अनुसार, सफाई कर्मियों की संख्या बहुत कम है, जिसके कारण सफाई कर्मियों पर काम का बोझ बढ़ रहा है, मानक के अनुसार प्रति १० हजार आबादी के सापेक्ष 28 सफाई कर्मियों के स्थान पर, शासन द्वारा 75 प्रतिशत मानक की पूर्ति हेतु 21 कर्मचारी प्रति दस हजार संख्या के अनुसार, सफाई कर्मियों की भर्ती हेतु 4 दिसम्बर 2017 में जारी शासन के आदेश (छायाप्रति संलग्न) का भी अनुपालन नहीं कराया जा रहा है, संघ का आग्रह है कि नगर निगम मेरठ की आबादी न्यूनतम 25 लाख के द्रष्टिगत 5200 सफाई कर्मियों की संख्या की पूर्ति यथाशीघ्र कराई जाये। कांट्रेक्ट लेबर (रेगुलेशन एंड एबोलिएशन) एक्ट 1971 के नियम 25 (एक्ट की छाया प्रति संलग्न) के तहत, समान कार्य समान वेतन दिलाया जाये। निगम में प्रचलित ठेकेदारी प्रथा श्रम कानूनों के मुताबिक गैर कानूनी है इसको तत्काल खत्म किया जाए।
ठेकेदारी में क्यों अफसरों की रूचि
सफाई कर्मियों को जिस ठेकेदारी में नियोजित दर्शाया जा रहा है वह ठेकेदारी, उप श्रमायुक्त मेरठ की जांच आंख्या (छायाप्रतियां संलग्न) के अनुसार गैर कानूनी है, श्रम कानूनों के अनुसार स्थाई एवं सतत/नियमित प्रकृति के बारहमासी काम वालें वर्कर्स को अस्थाई आदि आधार पर नियोजित करना अनुचित श्रम अभ्यास व औधोगिक विवाद अधिनियम के अनुसार, गैर कानूनी है, उसी ठेकेदारी को नगर निगम मेरठ बोर्ड द्वारा खत्म करने का प्रस्ताव 20 जून 2023 में, योगी सरकार के प्रतिनिधि मंत्री और सांसद व विधायकाें की उपस्थिति में पारित किया गया था, जिस पत्र के अनुसार, नगर आयुक्त नगर निगम मेरठ द्वारा प्रश्नगत प्रस्ताव पर विचार करने हेतु शासन को अनुस्मारक (छायाप्रति संलग्न) संख्या 642/ आ लि -न आ/2025 दिनांक 4/7/2025 लिखा गया था, संयुक्त सचिव उ प्र शासन को आप /नगर आयुक्त द्वारा प्रश्नगत अनुस्मारक के अनुरूप प्रश्नगत प्रस्ताव का अनुपालन करने हेतु वर्ष 2016 के शासनादेश आदि के आधार पर विचार करने में असमर्थता जताई है, जिस असमर्थता के संदर्भ में संघ (यूनियन) जानना चाहता है कि ठेकेदारी खत्म करने का प्रस्ताव वर्ष 2023 में सदन के पटल पर रखने से पहले, वर्ष 2016 वाले शासनादेश का ध्यान क्यों नहीं आया, प्रश्नगत प्रस्ताव को पारित करना और कुछ वर्ष बाद प्रस्ताव को निष्प्रयोज्य दर्शाना, दीर्घ पीड़ित सफाई कर्मियों के उत्पीड़न की पराकाष्ठा है।
सफाई कर्मियों को यह भी चाहिए
निगम के 2415 आदि सफाई कर्मियों को ई एस आई सी के तहत मेरठ के मल्टीस्पेशलिटी हास्पिटलस भी आवंटित कराया जाये, वर्तमान ई एस आई सी के माध्यम से जो हास्पिटलस उपचार हेतु उपलब्ध है, उनमें ई एस आई सी के माध्यम से उपचार में हीलाहवाली की जाती है, जनरल वार्ड में दाखिल कर, प्रेक्टिसनर के हवाले कर दिया जाता है, जिसे दुरुस्त कराया जाये।