शिकंजे में सतपाल मलिक बीमार

kabir Sharma
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मेरठ। मेरठ कालेज की छात्र राजनीति से निकले जाटों में कभी एक बड़ा नाम समझे जाने वाले सतपाल मलिक पर जाटों खासतौर से शुगर बाउल के जाटों की चुप्पी को लेकर कतई भी हैरानी नहीं है। CBI ने सतपाल मलिक पर दो FIR दर्ज की हैं। हालांकि उनके टवीट में कहा गया है कि वह बीमार हैं और अभी बात करने की स्थिति में नहीं हैं। पिछले साल CBI की रेड के बाद मलिक ने कहा था, “CBI ने मेरे घर छापा मारा, लेकिन जिन लोगों के खिलाफ मैंने भ्रष्टाचार की शिकायत की थी, उनकी जांच नहीं की गई। उन्हें मेरे पास 4-5 कुर्ता-पायजामा ही मिलेंगे। मैं किसान का बेटा हूं, डरूंगा नहीं।

पहले आपको सतपाल सिंह की शख्सियत के बारे में बता देते हैं। सतपाल सिंह ने छात्र जीवन से राजनीति में कदम रख दिया था। वो मेरठ कालेज के छात्र संघ अध्यख बने। उसके बाद बीकेडी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जाटों के बूते वह विधायक भी बने। वो दो बार राज्यसभा के सदस्य बनाए गए। एक बार कांग्रेस ने उन्हें राज्यसभा भेजा। दूसरी बार जनता पार्टी ने उन्हें राज्यसभा भेजा। 1989 में वह जनता दल के टिकट पर अलीगढ से सांसद बने और लोकसभा पहुंचे। एक अरसे तक कांग्रेसी रहने के बाद सतपाल मलिक भाजपाई हो गए। दरअसल उन दिनों भाजपा में वेस्ट यूपी के नाम पर जाटों की खासी डिमांड है। भाजपाई होने का उन्हें बहुत फायदा हुआ। करीब सत्रह साल वह बतौर राज्यपाल रहे। इस दौरान वह बिहार, फिर जम्मू कश्मीर, उसके बाद गोवा और बाद में उन्हें मेघायल का राज्यपाल बनाया गया। मेघालय के राज्यपाल पद के हटाए जाने के बाद उन्हें फिर मौका नहीं मिला। हालांकि वह बतौर जाट नेता भाजपा में ही रहे। भाजपाई रहते हुए उन्होंने तमाम मामलों के खुलासे करने शुरू कर दिए।

सतपाल मलिक के खुलासे से भाजपा के नेता और सरकार असहज हो रहे थे। वह यह भी आशंका व्यक्त करते रहते थे कि भाजपा सरकार उन्हें जेल में डाल सकती है। उन्होंने ही अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी को लेकर भी तमाम भविष्यवाणियां की और वैसा हुआ भी। वह 11 मई से हॉस्पिटल में एडमिट है। उनके दोनों लीवर खराब बताए जा रहे हैं। उन्हें डायलेसिस पर रखे जाने की बात भी कुछ मीडिया चैनलों ने कही है। वहीं दूसरी ओर सीबीआई ने सतपाल मलिक के खिलाफ 22 सौ करोड़ की गड़बड़ी का मामला दर्ज किया है। CBI ने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक समेत 5 लोगों के खिलाफ जम्मू-कश्मीर के किरू हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट से जुड़े भ्रष्टाचार मामले में चार्जशीट दाखिल की है। यह मामला करीब 2,200 करोड़ रुपए के सिविल वर्क्स कॉन्ट्रैक्ट में गड़बड़ी को लेकर है। CBI ने इसी मामले को लेकर 22 फरवरी 2024 को सत्यपाल मलिक के ठिकाने पर छापा मारा था। साथ ही दिल्ली में 29 अन्य ठिकानों पर भी रेड की थी। दरअसल, सत्यपाल मलिक ने 17 अक्टूबर 2021 को कहा था कि उन्हें जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल रहते 300 करोड़ की रिश्वत ऑफर हुई थी, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया। इसके बाद CBI ने अप्रैल 2022 में जम्मू-कश्मीर सरकार के कहने पर मामला दर्ज किया था। मलिक अगस्त 2018 से अक्टूबर 2019 तक जम्‍मू-कश्‍मीर के राज्यपाल थे।”

मलिक ने 2021 में लगाया था भ्रष्टाचार का आरोप सत्यपाल मलिक ने 17 अक्टूबर 2021 को राजस्थान के झुंझुनू में एक कार्यक्रम में कहा था कि उन्हें जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल रहते करोड़ों की रिश्वत ऑफर हुई थी। उस दौरान उनके पास दो फाइलें आई थीं। इनमें एक बड़े उद्योगपति और दूसरी महबूबा मुफ्ती और भाजपा की गठबंधन सरकार में मंत्री रहे एक व्यक्ति की थी। मलिक ने कहा था कि उनके सचिवों ने बताया कि इसमें घोटाला है, इसके बाद उन्होंने दोनों डील रद्द कर दी थीं। मलिक ने ये भी कहा था कि उन्हें दोनों फाइलों के लिए 150-150 करोड़ रुपए देने का ऑफर दिया गया था। मलिक ने कहा, ‘मैंने कहा था कि मैं पांच कुर्ता-पायजामे के साथ आया हूं और सिर्फ उसी के साथ यहां से चला जाऊंगा। जब CBI पूछेगी तो मैं ऑफर देने वालों के नाम भी बता दूंगा।’

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CBI ने दो अलग-अलग मामलों में दर्ज की FIR CBI ने इस मामले में 2 FIR दर्ज की थीं। पहली FIR लगभग 60 करोड़ रुपए के कॉन्ट्रैक्ट को जारी करने में कथित भ्रष्टाचार से संबंधित है। यह रकम 2017-18 में जम्मू-कश्मीर कर्मचारी स्वास्थ्य देखभाल बीमा योजना का ठेका देने के लिए एक इंश्योरेंस कंपनी से रिश्वत के तौर पर ली गई थी। दूसरी FIR 2019 में एक निजी फर्म को कीरू हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट (एचईपी) के सिविल वर्क के लिए 2,200 करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट देने में भ्रष्टाचार से जुड़ी है। CBI इन दोनों मामलों की जांच कर रही है।

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