16 अक्टूबर को अभियंताओं की सभा, प्राक्कलन समिति अध्यक्ष से वार्ता, बड़ी छंटनी की तैयारी, विधायक ने भी बताया वर्टिकल रिस्ट्रक्चरिंग गलत
तो क्या वर्टिकल रिस्ट्रक्चरिंग के नाम पर है बड़ी छंटनी की तैयारी, विद्युत कर्मचारी समिति संयोजक की प्राक्कलन समिति अध्यक्ष से वार्ता, संयोजक का दावा कैंट विधायक ने भी बताया वर्टिकल रिस्ट्रक्चरिंग गलत
New Delhi/मेरठ। निजीकरण का विरोध कर रही विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने वर्टिकल रिस्ट्रक्चरिंग को कर्मचारियों की छंटनी की साजिश बताया है। समिति के आलोक त्रिपाठी ने बताया कि इसको लेकर समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने विधान सभा की प्राक्कलन समिति के अध्यक्ष अमित अग्रवाल से भी चर्चा की है। बकौल आलोक त्रिपाठी प्राक्कलन समिति के अध्यक्ष ने भी वर्टिकल रिस्ट्रक्चरिंग उचित नहीं माना है। इतना ही नहीं अमित अग्रवाल ने यह भी कहा कि वर्टिकल रिस्ट्रक्चरिंग के बाद मेरठ की बिजली व्यवस्था पहले से खराब हो गई है। विधायक ने बताया कि 12 सितंबर को हुई प्राक्कलन समिति की बैठक में भी वर्टिकल रिस्ट्रक्चरिंग का प्रबल विरोध किया था।
वर्टिकल रिस्ट्रक्चरिंग को लिया जाए वापस
वहीं संघर्ष समिति ने कहा है कि प्रबंधन निजीकरण के नाम पर वर्टिकल रिस्ट्रक्चरिंग लागू कर रहा है और इसके बहाने बिजली कर्मियों के हजारों पद समाप्त किया जा रहे हैं। समिति ने मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की अपील की है। दुर्भाग्य की बात है कि प्रबन्धन यह सब तब कर रहा है जब बिजली कर्मी और अभियन्ता दीपावाली के पर्व पर रिकॉर्ड बिजली आपूर्ति करने हेतु योजनाबद्ध ढंग से काम कर रहे हैं। अभियंता संघ ने इस संबंध में प्रदेश के सभी जनपदों में 16 अक्टूबर को अभियंताओं की सभा भी बुलाई है।
बड़े स्तर पर छंटनी की आशंका
समिति के आलोक त्रिपाठी की मानें तो लेसा में 2055 नियमित व 6000 संविदा कर्मियों के पद हैं, इन्हें मनमाने ढंग से खत्म करने की साजिश है। अधीक्षण अभियंता स्तर के 12 पद है उन्हें घटाकर आठ किया जा रहा है, अधिशासी अभियंता स्तर के 50 पद उन्हें घटाकर 35, सहायक अभियंता स्तर के 109 पद उन्हें घटाकर 86, अवर अभियंता स्तर के 287 पद उन्हें घटाकर 142 और टीजी 2 के 1852 पद उन्हें घटाकर 503 किया जा रहा है। लेखा संवर्ग में अकाउंटेंट के 104 पद हैं उन्हें घटाकर 53 किया जा रहा है, एग्जीक्यूटिव अस्सिटेंट के 686 पद हैं उन्हें घटाकर 280 किया जा रहा है और कैंप असिस्टेंट के 74 पद हैं उन्हें लगभग समाप्त कर 12 किया जा रहा है। बड़ी मार संविदा कर्मियों पर पड़ रही है।