तय था कि देर सवेर बिल्डिंग जमीदोंज होनी है, अंतिम वक्त तक जद्दोजहद, अपनी बर्बादी का तमाश खुद देखा
मेरठ/ सुप्रीमकोर्ट के आदेश के बाद यह तो तय था कि देर सवेर सेंट्रल मार्केट की बिल्डिंग जमीदोंज होनी है, लेकिन डूब रहा होता है वो अंतिम वक्त तक किनारे पर पहुंचने की जद्दोजहद नहीं छोड़ता। ऐसा ही इस अभागी बिल्डिंग के व्यापारी भी कर रहे थे। उन्होंने कोई भी देर ऐसा नहीं छोड़ा जहां रोटी रोजगार को बचाने के लिए माथा ना रगड़ा हो। हर जगह से फकत दिलासा ही मिला। दिलासा देने वालों की फेरिस्त में सिर्फ और सिर्फ भाजपा नेता ही शुमार थे।  कई ऐसे भी भाजपा नेता हैं जो कहते थे कि जब तक वो हैं जब तक यह बिल्डिंग महफूज है। ध्वस्त करना तो दूर की बात कोई अफसर इसको छू तक नहीं सकता। इसके लिए वो राजनीति की चाश्नी में डूबे हुए तमाम भरोसे इन व्यापारियों को दिलाया करते थे। इन नेताओं में कुछ ऐसे भी थे जो व्यापारियों को लेकर दिल्ली और लखनऊ में मंत्रियों से मिल वाने भी पहुंचे। वहां से लौटकर मीडिया के सामने दावे किए गए कि कुछ नहीं होगा। बिल्डिंग नहीं गिरेगी। फंला मंत्री से बात हो गयी है.. सूबे के सरकार के अमुक मंत्री ने कह दिया है कि सीएम से बात करेंगे। इस आदेश के खिलाफ अपील दायर की जाएगी। ऐसे कैसे किसी को उजड़ने दिया जा सकता है..
ऐसे लच्छेदार आश्वासनों के भरोसे इस बिल्डिंग के व्यापारी भी मुतमईन थे कि अब तो मंत्री जी ने भरोसा दे दिया है कुछ होने वाला नहीं। वक्त गुजरता गया और वक्त के गुजरने के साथ एक-एक रात इस बिल्डिंग के व्यापारियों पर भी भारी गुजरती थी। ना दिन को चैन था ना रात में करार। बस एक ही बात जहन में रहती कुछ ना हुआ तो क्या होगा। क्या बिल्डिंग को गिरते हुए अपनी बर्बादी का तमाश खुद देखना होगा। और फिर हुआ भी बैसा ही शनिवार का दिन इस बिल्डिंग के व्यापारियों पर बुरा गुजरा। आवास विकास और पुलिस प्रशासन के अफसर लावलश्कर के साथ बिल्डिंग को ध्वस्त करने पहुंच गए। ऐसे तमाम व्यापारी इस बिल्डिंग के सामने मौजूद थे जो अपनी बर्बादी का तमाशा देखने आए थे। फोर्स ने आते ही उन्हें जब धकेलना शुरू किया तो आंखें भीग गर्इं। उन्हें धकेल दिया गया। ये वो वक्त था जब उन्हें उनकी जरूरत थी जो कहा करते थे कि चिंता नहीं मैं हूं ना नहीं गिरने दी जाएगी बिल्डिंग चाहे कुछ भी हो जाएं, कहीं तक भी लड़ाई लड़नी पडे/
आखिर वक्त तक कोशिश
बिल्डिंग के मलवे में तब्दील होने के साथ ही बर्बाद हुए व्यापारियों ने आखिरी वक्त तक कोशिश की। शुक्रवार की शाम को सांसद और राज्यसभा सदस्य से भी मिलने पहुंचे। शनिवार की सुबह भी तमाम नेताओं के फोन मिलाए। जिनसे उम्मीद की थी उनमें से ज्यादातर की फोन आउट आफ रेंज जाते रहे, कुछ ने किसी दूसरे को मोबाइल थमकर कहला दिया कि नेता जी बाहर मिटिंग में गए हैं।