ठिकाने लगा दिए फीस के 9 करोड़

फीस घोटाला ही नहीं-नियुक्तियां भी हैं जांच के दायरे में
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ठिकाने लगा दिए फीस के 9 करोड़, -बच्चों की फीस के 9 करोड़ लगा दिए ठिकाने- अब जांच में फंसी है गर्दन, मेरठ के डीएन पॉलिटेक्निक के प्रधानाचार्य छात्रों की फीस के करीब 9 करोड़ की रकम को ठिकाने लगाए जाने की जांच में फंस गए हैं। उनकी कारगुजारियों की भनक लगने के बाद शासन ने जांच के आदेश दे दिए हैं। आरोप है कि छात्रों की फीस के रूप में जमा की गयी 9 करोड़ की रकम को ठिकाने लगाने के लिए तमाम कायदे कानूनों को ताक पर रख दिया गया।  इस मामले के सामने और प्रधानाचार्य स्तर पर कथित रूप से की गयी इस कारगुजारी से सभी हैरान हैं।  मामला छात्रों की फीस के 9 करोड़ की एक बड़ी रकम को लेकर गंभीर वित्तय अनियमितता का था, सो प्रथम दृष्टया मामले की गंभीरता को देखते हुए निदेशक प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश ने संयुक्त निदेशक प्राविधिक शिक्षा पश्चिमी क्षेत्र जेएल वर्मा को डीएन पॉलिटेक्निक में कथित रूप से अंजाम दिए गए 9 करोड़ के वित्तीय घोटाले की जांच के आदेश दे दिए। 17 मार्च 2023 को संयुक्त निदेशक प्राविधिक शिक्षा पश्चिमी क्षेत्र जेएल वर्मा ने शिकायत कर्ता को एक पत्र भेजकर डीएल पॉलिटेक्निक के प्रधानाचार्य पर कथित तौर पर लगाए गए आरोपों की पुष्टि को कहा, जिसके उत्तर में कुलदीप शर्मा ने एक पत्र भेजकर बता दिया कि आरोप सत्य हैं। इसके बाद निदेशक प्राविधिक शिक्षा के राम ने 8 फरवरी 2023 को डीएन पॉलिटेक्निक के प्रधानाचार्य  के  खिलाफ जांच के लिए तीन सदस्यों वाली एक कमेटी गठित कर दी गयी। इस कमेटी का अध्यक्ष जेएल वर्मा संयुक्त निदशेक प्राविधिक शिक्षा तथा सदस्य जान बेग लोनी प्रधानाचार्य राजकीय पॉलिटेक्निक गाजियाबाद और कोषाधिकारी कोषागार मेरठ को बनाया गया है।

यह हुआ

डीएन पॉलिटेक्निक के करोड़ों के कथित वित्तीय घोटाले की यदि बात की जाए तो बताया गया है कि डीएन पॉटैक्निक में इवनिंग क्लासें चलते हैं। इन क्लासों  का टयूशन शुल्क मार्निंग में चलने वाली क्लासों की फीस से कुछ अधिक होता बताया गया है। इवनिंग क्लासों में आने वाले छात्रों की फीस के रूप में ही यह रकम जमा थी, जिसको ठिकाने लगा दिया गया। आरोप है कि जो काम कराए गए बताए जा रहे हैं उसमें अनाप शनाप रेट दिखाए गए हैं जो सत्यता से परे हैं।

जांच में सहयोग न करने का आरोप

डीएन पॉलिटेक्निक के अंजाम दिए गए इस बड़े वित्तीय घोटाले की जांच में सहयोग न करने के चलते निदेशक प्राविधिक शिक्षा कानुपर ने 13 अप्रैल 2023 को सख्त लहजा अख्तयार करते हुए एक पत्र प्रधानाचार्य डीएन पॉलिटेक्निक वीरेन्द्र आर्य को भेजा है, जिसमें निदेशक ने फटकार लगाते हुए कहा है कि जिन 13 बिंदुओं पर संयुक्त निदेशक प्राविधिक शिक्षा की अध्यक्षता वाली जांच कमेटी ने जानकारी मांगी है वह जानकारी नहीं दी गयी है। डीएन पॉलिटैक्निक के प्रधानाचार्य ने दस पेजों की एक आख्या में बगैर हस्ताक्षर के उपलबब्ध करायी है। निदेशक ने इस बात भी नाराजगी व्यक्त की है कि कथित वित्तय अनियमित्ता को लेकर जो जानकारी मांगी गयी है, उन बिंदुओं पर कोई स्पष्टीकरण नहीं भेजा गया है। इधर उधर की बातें अधिक कहीं गयी हैं। सबसे गंभीर बात यह कि जो स्पष्टीकरण भेजा गया है उस पर विरेन्द्र आर्य ने हस्ताक्षर तक नहीं किए गए हैं। इससे भद्दा मजाक जांच कमेटी के साथ और क्या हो सकता है।

घोटाले की जांच कर रही टीम को मैनेज करने का आरोप

इस मामले को उजागर करने का काम सजग प्रहरी उत्तर प्रदेश शाखा के जिलाध्यक्ष कुलदीप शर्मा ने। उन्होंने ही डीएन पॉलिटेक्निक के प्रधानाचार्य के कृत्य का खुलासा करते हुए निदेशक प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश कानपुर के राम को साक्ष्यों के साथ गोपनीय पत्र भेजा। कुलदीप शर्मा का आरोप है कि जांच को प्रभावित करने का प्रयास किया जा रहा है। किसी प्रकार से पूरी जांच कमेटी ही मैनेज हो जाए इसके लिए इन दिनों जांच टीम में शामिल प्रधानाचार्य राजकीय पॉलिटेक्निक की परिक्रमा किए जाने की खबरें मिल रही हैं, लेकिन जांच प्रक्रिया पर पूरी नजर रखी जा रही है। मामला छात्रों की फीस के 9 करोड़ के वित्तीय घोटाले का है, इसको किसी भी दशा में प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा।

योगी सरकार की भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टालरेंस नीति

सूबे की योगी सरकार की भष्टाचार को लेकर जीरो टालरेंस नीति किसी से छीपी नही हैं, इसके बावजूद डीएन पॉलिटेक्निक मेरठ में कथित रूप से प्रधाानाचार्य व उनके सहयोगियों के स्तर से इतना बड़ा वित्तीय घोटाला अंजाम दे दिया जाना सवाल तो बनता है, लेकिन सवाल के दाग को निदेशक प्राविधिक शिक्षा कानपुर ने जांच के आदेश देकर धोने का प्रयास किया है।

यह कहना है प्रधानाचार्य का

डीएन पॉलिटेक्निक मेरठ के प्रधानाचार्य वीरेन्द्र आर्य का कहना है कि इस प्रकार की तमाम जांचें चलती रहती हैं। जहां तक निदशेक प्राविधिक शिक्षा कानपुर के आदेश पर चल रही जांच का प्रश्न है तो जिस प्रकरण को लेकर जांच की जा रही है वह सेल्फ फाइनेंस से जुड़ा है। उसकी फीस से कुछ निर्माण संबंधी कार्य कराए गए हैं। इस प्रकार के कार्य कराए जाने का अधिकार मैनेजमेंट कमेटी के पास सुरक्षित होता है। जांच में पूरा सहयोग भी किया जा रहा है।

यह कहना है चेयरमैन अजय अग्रवाल का

डीएन पाॅलिटैक्निक के चेयरमैन अजय अग्रवाल से जब इस मामले में बात की गयी तो उन्होंने बताया कि जिस प्रकार की बातें कहीं जा रही हैं, वैसा कुछ नहीं है। कालेज में काफी काम कराया गया है। जहां तक जांच की बातें हैं तो इस प्रकार की जांचों का सामना तो पिछले दस सालों से कर रहे हैं।

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