विपुल सिंहल ने उठाए गंभीर सवाल, विपुल सिंघल ने मेरठ की व्यापारिक संस्था संयुक्त व्यापार संघ में पंजीकृत संस्थाओं के पदाधिकारियों सदस्यों को वाट्सएप्प , फ़ोन कॉल व संपर्क कर अध्यक्ष के विषय पर चर्चा की । विपुल सिंहल द्वारा पूछा गया कि एक शख्स जो मेरठ की सर्वोत्तम, सर्व शक्तिशाली संस्था का अध्यक्ष कहता है वह अपनी ही संस्था के नाम को दूसरे व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल किए जाने पर कोई टिप्पणी नहीं करता । वह दूसरे व्यक्ति को अपनी ही संस्था के नाम से दूसरी संस्था चलाने के लिए नहीं रोकता है, वह दूसरे व्यक्ति द्वारा अपनी ही संस्था के नाम का उपयोग/ दुरुपयोग कर प्रशासनिक अधिकारी के सामने नाम इस्तेमाल करने से नहीं रोकता, दूसरा व्यक्ति इसी संस्था के नाम को उपयोग में लाकर अखबारों तक में सुर्खियां बटोरने का काम करता है । यहां तक कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के मेरठ आगमन पर मंच पर इसी संस्था के अध्यक्ष के नाम से एक जगह पाता है और दूसरा चुप रहता है। अपनी ही संस्था का सीज हुए बैंक अकाउंट को नहीं खुलवा पाता है। यह व्यक्ति अपने ही संस्था के कार्यालय को नहीं खुलवा पाता है। तो क्या यह मान लिया जाए कि खुद को अध्यक्ष बताने वाले इस नेता की रीढ अब बाकि नहीं रही। ऐसी क्या मजबूरी है जो मुंह खोलने से डर रहे हैं। क्या यह मान लिया जाए कि कुछ पूर्व के घटनाक्रमों की जांच का डर सता रहा है। कहीं ऐसा तो नहीं कि व्यापारी राजनीति में इनका सूरज अब अस्ताचल की ओर चल दिया है। मेरठ का व्यापारी समाज इनसे मुक्ति पाना चाहता है। यह व्यक्ति किस प्रकार आम व्यापारी के झगड़ों को सुलझाने का काम करेगा जो अपनी ही संस्था के नाम का उपयोग/ दुरुपयोग कर रहे दूसरे व्यक्ति को कुछ कहने की हिम्मत नहीं कर पाता है। सवाल कीजिये उस व्यक्ति से जब वह आपके द्वार पर आए कि वह दूसरे शख्स को अपनी ही संस्था का नाम का उपयोग/ दुरुपयोग करने से क्यों नहीं रोक पा रहे हैं।