
पहले चरण के मतदान का फेसला जाति करेंगी या युवाओं का असंतोष, बिहार की राजनीति की नींव ही जातियों पर टिकी, विकास का मुद्दा रह जाता है गौड
नई दिल्ली/पटना। बिहार विधानसभा के चुनाव में अब चंद घंटे शेष रह गए हैं, बड़ा सवाल यही है कि बिहार में पहले चरण का मतदान किस आधार पर हो रहा है। क्या जातिगत समीकरण या फिर बिहार के युवाओ का असंतोष इस चुनाव को प्रभावित करेगा। क्योंकि इंडिया गठबंधन के नेता राहुल गांधी ने बिहार के युवाओं में उनके भविष्य को लेकर जो अलख जगायी है वो मुद्दा इस बार बड़ा माना जा रहा है हालांकि यह तय नहीं कि युवाओं की यह अलख किस के हक में जगी है। लेकिन जाति को एक सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता। जाति बिहार की राजनीति की नींव बनी रहेगी, लेकिन विकास और युवा असंतोष इसे चुनौती दे रहे हैं। क्या 2025 में जातिगत गठजोड़ टूटेंगे या मजबूत होंगे? नतीजे 14 नवंबर को साफ करेंगे
पहले चरण का मतदान का आधार क्या
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में जाति की राजनीति फिर से केंद्र में है। 2023 के जाति सर्वेक्षण के आंकड़ों ने जातिगत गणित को और मजबूत कर दिया है, जहां OBC/EBC की आबादी 63% से अधिक है। कुल 7.41 करोड़ मतदाताओं में से युवा (18-40 वर्ष) 53% हैं, जो जाति से ऊपर उठकर रोजगार और विकास पर वोट दे सकते हैं, लेकिन पारंपरिक रूप से जाति ही वोट का आधार रही है। एनडीए (जदयू-बीजेपी) और महागठबंधन (आरजेडी-कांग्रेस-वाम) के अलावा प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी (जेएसपी) जाति-निरपेक्ष एजेंडे पर दांव लगा रही है, जो EBC/OBC वोट काट सकती है।
बिहार की जातिगत स्थिति
| जाति/समूह | प्रतिशत (%) | अनुमानित आबादी (करोड़ में) | प्रमुख समर्थन |
|---|---|---|---|
| OBC (गैर-यादव) | 27.13 | 2.01 | जदयू, बीजेपी |
| EBC (अति पिछड़ा वर्ग) | 36.01 | 2.67 | जदयू, जेएसपी |
| यादव | 14.26 | 1.06 | आरजेडी |
| मुस्लिम | 17.70 | 1.31 | आरजेडी, कांग्रेस |
| सवर्ण (उच्च जाति) | 15.52 | 1.15 | बीजेपी |
| SC/ST | 19.65 | 1.46 | सभी गठबंधन (विशेष रूप से लोजपा, हम) |
| अन्य | 3.73 | 0.28 | निर्दलीय |
प्रमुख दलों का जातिगत आधार
- आरजेडी (महागठबंधन): यादव (14%) + मुस्लिम (18%) = MY समीकरण पर निर्भर। 2020 में 75 सीटें जीतीं। टिकट वितरण: 28 यादव, 6 मुस्लिम। तेजस्वी यादव युवा-महिला वोट (₹30,000 मासिक भत्ता वादा) से EBC को लुभाने की कोशिश। लेकिन EBC में सेंधमारी से चुनौती।
- जदयू (एनडीए): कुर्मी-कोइरी (OBC) + EBC पर मजबूत पकड़। नीतीश कुमार का ‘महादलित’ फोकस SC/ST को जोड़ता है। टिकट: 32% OBC, 15% EBC। महिला आरक्षण और शराबबंदी से महिला वोट (48% मतदाता) सुरक्षित।
- बीजेपी (एनडीए): सवर्ण (भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण) + शहरी हिंदू। 35% सवर्ण टिकट। मोदी फैक्टर से EBC में घुसपैठ, लेकिन OBC में कमजोर।
- जेएसपी: EBC/OBC पर फोकस, जाति-निरपेक्ष विकास एजेंडा। सभी 243 सीटों पर लड़ रही, जो एनडीए के वोट काट सकती है।
- छोटे दल: लोजपा (पासवान SC), हम (महादलित), वीआईपी (मल्लाह) – NDA को मजबूत करते हैं। CPI(ML) महागठबंधन को ग्रामीण/वाम वोट देता है।
प्रमुख मुकाबलों में जातिगत समीकरण
पहले चरण (6 नवंबर, 121 सीटें) में जाति निर्णायक:
- तरापुर: कुर्मी (बीजेपी) vs यादव (आरजेडी) – OBC vs MY।
- रामगढ़: सवर्ण (बीजेपी) vs यादव (आरजेडी) – EBC निर्णायक।
- महुआ: यादव (तेज प्रताप की नई पार्टी) vs दलित (लोजपा) – वोट बंटवारा।
- अलीनगर: मैथिल (बीजेपी) vs मुस्लिम-यादव (आरजेडी) – सांस्कृतिक vs MY।
- पटना जिले में: 5 सीटों पर यादव vs भूमिहार; राजपूत टिकट बढ़े (6 सीटें)।
बदलते रुझान: जाति से ऊपर उठते वोट?
- युवा विद्रोह: 3.93 करोड़ युवा मतदाता (53%) जाति से ऊपर रोजगार/प्रवासन पर फोकस। Gen-Z (18-25) 14 लाख नए वोटर, लेकिन मिलेनियल ज्यादा प्रभावी।
- महिला वोट: 60%+ टर्नआउट (2020), सुरक्षा-शिक्षा पर वोट। जेईवीका योजना से नीतीश को फायदा।