मेरठ। कोतवाली के खंदक बाजार का इलाका जो खदर की मंड़ी माना जाता है। इस इलाके में खद्दर की करीब पांच सौ दुकानें हैं। इस इलाके से केवल देश ही नहीं विदेशों को भी खद्दर के आर्डर आते हैं। इससे पता चलता है कि यह इलाका कितना महत्वपूर्ण है। शहर की घनी आबादी के बीच स्थित इस इलाके में कई ऐसे व्यापारी हैं जिनकी सात आठ पीढ़ी तक खद्दर के कारोबार से जुड़ी हैं। कोतवाली का खंद्दक बाजार चारों ओर से मिली जुली आबादी से घिरा है इसके एक ओर शाहघास,तो एक ओर काेतवाली का छीपीवार्डा व कैचीवाल इलाका है। वहीं दूसरी ओर से सुभाष बाजार का इलाका है। सामने ही बीएबी इंटर कालेज है। खंदक जैसा कि नाम से प्रतीत होता है, यह इलाका वाकई एक खंदक के नीचे बसा हुआ है। यह तो इसकी भौगोलिक स्थिति हुई अब बात कर लेते हैं इसके हालात की। शहर का सबसे पुराना इलाका होने के साथ ही यह इलाका अफसरों की उदासीनता का भी शिकार हो गया है। खंदक बाजार के प्रधान अंकुर गोयल बतात हैं। कि पिछले पांच साल से यहां की सड़क के बनने की बाट जोह रहे हैं। यहां की सड़क इस लायक नहीं रह गयी है कि उस पर पैदल चला जा सके। बाइक या स्कूटी से यहां निकलने में इतने झटके लगते हैं कि उसके शौकर ते बैठ जाएं। बाजार के बड़े कारोबारी विपुल जैन बताते हैं कि यहां की दशा देखकर बाहर के व्यापारी यहां आने से अब कन्नी काटने लगे हैं। उनका कहना है कि अब बाहर के कारोबारी बजाए यहां आने के बाहर से आर्डर दे देते हैं। इससे कारोबारी नुकसान भी होने लगा है। खंदक बाजार के युवा कारोबारी राहुल जैन का कहना है कि इस इलाके को लेकर तमाम विभागों का रवैया बेहद अफसोस नाक है।यहां की समस्याओं से उन्हें अनेकों बार अवगत कराया जा चुका है। लेकिन उनके कानों पर जूं तक नहीं रेंगती इससे ज्यादा अफसोस की और क्या बात होगी। कारोबारी पंकज बंसल भी नगर निगम के अफसरों के रवैये से बेहद नाराज नजर आते हैं। उनका कहना है कि सबसे ज्यादा टैक्स इसी इलाके से सरकर को मिलता है, उसके बाद भी इस इलाके की सबसे ज्यादा अनदेखी की जा रही है। एक बार नहीं अनेकों बार इस इलाके की समस्यओं को लेकर शिकायती पत्र दिए जा चुके हैं। लेकिन लगता है कि इन शिकायती पत्र को डस्टबिन में डाल दिया जाता है। कारोबारी राजन सिंघवाल बताते हैं कि करीब पांच साल पहले शहर कोतवाली के खंदक बाजार की सड़क बनी थी। पांच साल पहले जो सड़क बनायी गयी इतने लंबा अरसा उसको बनाए हो गया हो तो वह टूटगी तो सही। शहर की पुरानी आबादी के बीच होने की वजह लोग इसका यूज भी सबसे ज्यादा करेंगे। उसके बाद भी इस ओर ध्यान ना देना अफसरों की अकर्मणता नहीं तो और क्या है। कारोबारी गुरदीप सिंह कालरा अफसरों के रवैये से सबसे ज्यादा नजर आते हैं। उनका कहना है कि खंदक बाजार की इस सड़क को लेकर और यहां के कारोबारियों की समस्याअें को लेकर तमाम महकमों खासतौर से नगर निगम के अफसरों का रवैया दुश्मनों जैसा है। जिस प्रकार अपने दुश्मन से व्यवहार किया जातता है नगर निगम के अफसर वैसा ही व्यवहार इस इलाके के साथ कर रहे हैं। सड़क चलने लायक नहीं रह गयी है। अफसर जानते हैं। फिर भी इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
शाम ढलते ही छा जाता बाजार में अंधेरा
बाजार के प्रधान अंकुर गोयल बताते हैं कि खंदक बाजार में केवल सड़क समस्या भर नहीं है। उससे भी बड़ी इस इलाके में स्ट्रीट लाइट की समस्या है। यहां स्ट्रीट लाइट हैं ही और जो हैं वो भी खराब पड़ी हैं। कुछ ही स्ट्रीट लाइटें ऐसी है जा चालू हैं। उन्होंने बताया कि स्ट्रीट लाइट की समस्या को लेकर वह तमाम अफसरों से मिल चुके हैं। और तो और इस संबंध में वह पीवीवीएनएल एमडी के दफ्तर में बैठने वाले अफसरों से मिल चुके हैं, लेकिन उसके बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। यह बेहद दुख की बात है कि यह इलाका मेरठ के सबसे पुराने इलाकों में शुमार किया जाता है। उसके बाद भी जितनी दुर्दशा इस इलाके की है इतनी शायद किसी दूसरे इलाके की नहीं होगी। सड़क वो टूटी पड़ी है लाइटे है वो जलती नहीं, यह दशा तब है जब यहां बड़ा कारोबारी मार्केट है। उन्होंने बतया कि इस संबंध में जनप्रतिनिधि को भी अवगत करा चुके हैं, लेकिन समस्या का समाधान जब तक ना हो तब कुछ नहीं कहा जा सकता।
पांच साल से अफसरों की नींद टूटने का इंतजार