भूमिहीन रामा कालेज व सुजान सिंह डिग्री कालेज पर मेहरबानियां क्यों, हाईकोर्ट खारिज कर चुका है दोनों कालेजों की रिट याचिका, जांच समिति की दोनों कालेजों की संबद्धता खत्म करने की सिफारिश
, मेरठ। भूमिहीन रामा कालेज व सुजान सिंह डिग्री कालेज की संबद्धता खत्म करने की जांच समिति की सिफारिश और हाईकोर्ट द्वारा इन कालेजों की ओर से दायर की गई याचिका खारिज कर दिए जाने के बाद भी सीसीएसयू प्रशासन के आला अधिकारी इन कालेजों पर मेहरबानी करने पर उतारू है। इसी के चलते पूछा जा रहा है कि सीसीएसयू का ये रिश्ता क्या कहलाता है। दरअसल सीसीएसयू का हाईकोर्ट में दायर की गई रिट-सी संख्या- 32687/2024 और रिट-सी संख्या- 32578/2024 जिसमें 22 अक्टूबर 2024 को आदेश किए गए थे उनके इतर जाकर मदद वाकई चौंकाने वाला निर्णय है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि
सीसीएसयू ने पंडित सुजान सिंह डिग्री कॉलेज और रामा कॉलेज आॅफ एजुकेशन पर लगाए गए गंभीर आरोपों की जांच को जून 2023 में एक जांच समिति का गठन किया था। समिति ने अप्रैल 2024 को सीसीएसयू प्रशासन को सौंपी अपनी जाँच रिपोर्ट में दोनों महाविद्यालयों की संबद्धता खत्म करने व छात्रों के प्रवेश पर रोक लगाने की सिफारिश की। जाँच समिति ने अपनी जांच रिपोर्ट में, दोनों महाविद्यालयों के स्थलीय निरीक्षण के आधार पर, पाया है कि ये दोनों महाविद्यालय भूमिहीन हैं।
इन जाँच रिपोट के आधार पर, सीसीएसयू प्रशासन ने ने 9 जुलाई 2024 को दोनों महाविद्यालयों को कारण बताओ नोटिस जारी कर 20 जुलाई 2024 तक अपना जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। बजाए जवाब देने के दोनों महाविद्यालय ने हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर कर दी। हाईकोर्ट ने 22 अक्तूबर 2024 को दोनों रिट याचिकाएँ खारिज कर दीं। इतना ही नहीं एक माह के भीतर 9 जुलाई 2024 को सीसीएसयू के कारण बताओ नोटिस के विरुद्ध आपत्ति दर्ज कराने का विकल्प खुला छोड़ दिया गया है। साथ ही यह भी कि यदि ऐसी कोई आपत्ति दर्ज की जाती है, तो प्रतिवादी संख्या 2 (सीसीएसयू) एक माह की अवधि के भीतर, कानून के अनुसार, उस पर सख्ती से निर्णय लेगा। यदि सूत्रों की मानें तो हाईकोर्ट के आदेशों के
बावजूद सीसीएसयू ने जानबूझकर बीते दस माह से निर्णय को लंबित रखा है। यह सीधे-सीधे हाईकोर्ट की अवमानना का मामला बनता है। पता चला कि अब सीसीएसयू दोनों भूमिहीन महाविद्यालयों को वर्ष 2025-2026 में होने वाली बी.एड. पाठ्यक्रम की आगामी काउंसलिंग में भाग लेने की अनुमति देने का के लिए गोटियां बिछाने पर उतारू है। यदि वाकई ऐसा होता है तो यह न्याय के साथ अन्याय सरीखा होगा। वहीं दूसरी ओर कुछ लोगों ने हाईकोर्ट से भी आग्रह किया सीसीएसयू की इस कारगुजारी की गहन जांच की जानी चाहिए। साथ ही शिक्षा माफिया की मदद करने वाले संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध भी कार्रवाई की जाए।
ये रिश्ता क्या कहलाता है
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