जीडीपी ग्रोथ के दावो की खुली पोल, भारत दुनिया का सबसे बड़ा कर्जदार, आईएमएफ की रेटिंग में भारत के राष्ट्रीय खातों को सी ग्रेड
नई दिल्ली। दुनिया के सबसे बड़े कर्जदार और दावा जीडीपी की 8.2% ग्रोथ का। जिस दिन आईएमएफ की रेटिंग में भारत के राष्ट्रीय खातो को सी ग्रेड दी गयी, उसी रोज शाम को वित्त मंत्रालय ने जीडीपी में 8.2% का गुब्बारा छोड़ दिया। देश में नौकरी की तलाश कर रहे युवाओं की दशा किसी से छिपी नहीं है। दो करोड़ नौकरी के वादे को अब कहा जा रहा है कि दो करोड़ रोजगार देने का वादा किया गया था। दस हजाररुपए के ऋण को स्टार्टअप बताया जा रहा है। किचन में खाने की थाली से सब्जियां गायब हो रही हैं। बाजार से खरीदार गायब हैं। फिर किस के ग्राेथ की बात की जा रही है। एक नौकरी भले ही प्राइवेट क्यों ना हो तो दस हजार युवा पहुंचते हैं। इससे साफ है कि किस प्रकार के ग्रोथ की बात कही जा रही है।
कांग्रेस ने फोड़ा गुब्बारा
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने जीडीपी के ग्रोथ के दावे के साथ जो गुब्बारा उड़ाया था कांग्रेस ने उसकी हवा निकाल कर रख दी है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट कर कहा, “यह व्यंग्यात्मक है कि आईएमएफ ने भारत के राष्ट्रीय खातों को ‘सी’ ग्रेड (दूसरा सबसे निम्न) दिया, और उसी दिन 8.2% जीडीपी आंकड़े जारी हो गए। डिफ्लेटर अवास्तविक रूप से कम है – केवल 0.5% महंगाई का मतलब, जबकि घर-घर में दाल-चावल के दाम आसमान छू रहे हैं। सरकार महंगाई को कम दिखाकर जीडीपी को फुला रही है।” कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने भी कहा, “ये आंकड़े लोगों की जिंदगी में दिखने चाहिए। पिछले 10 सालों में वैश्विक संस्थाओं और विपक्ष ने भारत के डेटा की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं।
जुदा है जानकारों की राय
इस मुद्दे पर जानकारों की राय एकदम जुदा है। आईसीआरए की चीफ इकोनॉमिस्ट अदिति नायर ने इसे ‘अपेक्षाओं से कहीं ज्यादा’ बताया, जबकि डीबीएस बैंक की राधिका राव ने कहा कि जीएसटी रेट कट और फैक्टरी उत्पादन ने ग्रोथ को बूस्ट दिया, लेकिन प्राइवेट कंजम्पशन (7.9%) अभी भी चिंता का विषय है। आईएमएफ ने हालिया रिपोर्ट में भारत के डेटा क्वालिटी को ‘सी’ ग्रेड दिया, जो संकेत देता है कि आंकड़े पूरी तरह विश्वसनीय नहीं।
विशेषज्ञों का मत भी बंटा हुआ है। लेकिन पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन सेक्टर में 9.7% ग्रोथ पर सवाल उठाए। दूसरी ओर,