एक जाम औरअफसाने हजार

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विधानसभा में गूंज के बाद भी जाम की जकड़ से मुक्ति नहीं

दस मिनट का रास्ता कई बार तो  होता है चालिस मिनट में पार

एसपी ट्रैफिक से मिले शहर के व्यापारी नेता, जाम से राहत की मांग

मेरठ। एक जाम को लेकर इतने अफसाने गढ़े जा चुके हैं कि कोई गिनती नहीं। दिन निकलने के साथ ही शहर में जाम से मारामारी का सिलसिला शुरू हो जाता है। हालत यह हो गयी है कि अब लोग घर से निकलने से पहले शहर में दूसरे हिस्सों में रहने वाले अपने परिचितों से पूछते हैं कि जाम तो नहीं लग रहा है। आज कुछ लोग एसपी ट्रैफिक से भी मिले और जाम के लिए ई रिक्शाओं पर ठीकरा फोड़ते हुए निजात दिलाए जाने की मांग की। वैसे बता दें कि केवल ई रिक्शा नहीं नहीं और भी दूसरे बहुत से कारण जाम के लिए जिम्मेदार हैं।

विधानसभा में गूंज

मेरठ शहर के जाम की गूंज उत्तर प्रदेश की विधान में भी पिछले दिनों सुनाई दी थी। सरधना विधायक अतुल प्रधान ने विधानसभा में ट्रैफिक जाम की बढ़ती समस्या के निराकरण के लिए बनाई गई व्यवस्था के विषय में सवाल किया। जवाब में बताया गया कि जाम से निजात के लिए महानगरों में आईटीएमएस की स्थापना की गई है। नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई की जाती है। ये तो हुई सरकार की बात, लेकिन इसमें जाम से निजात का जिक्र कहीं नहीं है।

एक नहीं अनेक कारण

दिल्ली रोड पर रैपिड ट्रेन के निर्माण कार्य को लेकर जहां दिल्ली रोड पर 10 किमी की सीमा में जाम की समस्या बनी हुई है। वहीं शहर के अलग अलग मार्गों पर भी जाम बढ़ता जा रहा है।  दिल्ली रोड से सटे टीपीनगर की भी जाम से हालात खराब है। इसका साइड इफैक्ट बागपत रोड पर पड़ रहा है।  टीपी नगर गेट से बागपत अड्डे तक की रोड हर वक्त जाम की चपेट में रहती है।  यही हाल शहर के बागपत रोड, टीपीनगर, रुड़की रोड, बिजली बंबा बाईपास, मालरोड़, जलीकोठी चौराहा सहित अन्य इलाकों का भी रहा। रैपिड की वजह केवल दिल्ली रोड ही नहीं रूड़की रोड से सटे इलाके भी बेहाल हैं।

बेतरकीब दौड़ते वाहन और बदनाम इलाके

सड़कों पर जाम सबसे बड़ी समस्या शहर के चौराहों पर बेतरतीब तरीके से दौड़ते वाहन हैं। ये  ट्रैफिक को मुश्किल बना देते हैं। इससे अक्सर 10 मिनट के सफर में ही आपके 50 मिनट व्यतीत हो जाते हैं। शहर के बेगमपुल, हापुड़ अड्डा, बागपत अड्डा, सेंट्रल मार्केट, सोहराब गेट, घंटाघर, इंदिरा चौक पैठ एरिया, लालकुर्ती पैठ एरिया, कबाड़ी बाजार चौराहा, भूमिया का पुल, लिसाड़ी रोड गोला कुंआ, इस्लामाबाद, वैली बाजार, खैरनगर सरीखे इलाके तो जाम के लिए बदनाम हैं।

रोड पर कब्जे

जाम को लेकर अक्सर व्यापारी नेता आवाज उठाते हैं। पुलिस प्रशासन को घेरते हैं, लेकिन ये कभी भी उन व्यापारियों के खिलाफ आवाज नहीं उठाते देखे गए जो दुकान का सामान सड़क पर रखकर बेचते हैं या जिनकी दुकान ही सड़क पर सजती है। शहर के तमाम ऐसे प्रमुख इलाके या बाजार है जहां जाम की वजह व्यापारियों का सड़क पर रखा दकान का सामान है। सदर बाजार इलाका इसके लिए खास बदनाम है।,

शहर की टूटी सड़कें

महानगर की क्षतिग्रस्त सड़कें जाम की एक बड़ी वजह हैं। महानगर के कई ऐसे इलाके हैं जहां क्षतिगस्त सड़कों की वजह से ही जाम लगता है। ऐसे इलाकों में पीछे से आने वाले ट्रैफिक का प्रेशर लगातार बढ़ता रहता है जबकि सड़क टूटी होने की वजह से वहां से वाहन सामन्य रफ्तार से नहीं निकल पाते। ऐसे कई कारण हैं जिनमें ऐसा ही एक कारण रैपिड प्रोजेक्ट तथा महानगर में अन्य मुख्य मार्गों पर चल रहे सरकारी कार्य हैं, जिनकी वजह से रोड अवरूद्ध हो जाती है वहां दिन भर जाम के हालात बने रहते हैं।

पार्किंग तक नहीं

शहर में पार्किंग न होने से सबसे ज्यादा जाम लगता है। खासतौर पर बाजारों में तो समस्याएं और बढ़ जाती हैं। खैरनगर, सर्राफा बाजार, वैली बाजार आदि में तो वाहन लेकर निकलना मुश्किलों से कम नहीं है। ऐसे में जब तक पार्किंग की समस्या को दूर नहीं किया जाएगा तब तक हालात में सुधार नहीं हो सकता है। आदि इलाकों में जाम रोजाना की समस्या है। हालांकि, जाम से निपटने के लिए ट्रैफिक पुलिस की ओर कई कवायद की गई। बावजूद इसके, सड़कों पर अतिक्रमण और दौड़ते ई रिक्शा और ऑटो जाम का कारण बनते हैं।

 


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