रैपिड चलाने के लिए सालाना 250 करोड़ का खर्चा, 326 मिलियन यूनिट ऊर्जा की होती है आवश्यकता, कुल परिचालन का करीब 35 फीसदी
दिल्ली/मेरठ। दिल्ली निजामुद्दीन से लेकर वाया गाजियाबाद, मुरादाबाद व मोदीनगर होते हुए मेरठ के अंतिम पड़ाव तक रैपिड ट्रेन चलाने के लिए एनसीआरटीसी को हर साल 250 करोड़ खर्च करने पड़ रहे हैं। रैपिड के कुल परिचालन का यह करीब 35 फीसदी है। अफसरों का प्रयास है कि किसी प्रकार से 250 करोड़ा सालाना के इस खर्च में कुछ कमी की जाए, इसके लिए तमाम कवायदें भी की जा रही हैं।
दिल्ली से मेरठ तक एनसीआरटीसी की रेल सेवाओं के संचालन के लिए करीब 326 मिलियन यूनिट ऊर्जा की आवश्यकता होती है। ऊर्जा पर होने वाले इस खर्च को कम करने के लिए अब पावर एक्सचेंज द्वारा बिजली खरीदने की कवायद चल रही है। इससे एनसीआरटीसी को ऊर्जा की मद में लागत कम करने में मदद मिलेगी। अनुमान है कि केवल गाजिÞयाबाद आरएसएस से प्रति वर्ष 3 करोड़ से अधिक की बचत संभव हो सकेगी। इस नेटवर्क में मुरादनगर आरएसएस के बाद अब इससे भी समान राशि की बचत अनुमानित है। इसके लिए पावर एक्सचेंजों के माध्यम से बिजली खरीदने के लिए पीटीसी इंडिया लिमिटेड (पूर्व में पावर ट्रेडिंग कॉपोर्रेशन आॅफ इंडिया लिमिटेड) के साथ साझेदारी की है। एनसीआरटीसी का लक्ष्य है कि एक्सचेंज के माध्यम से प्राप्त कुल बिजली का लगभग 15% हर साल हरित ऊर्जा से प्राप्त किया जाए, जिसमें ग्रीन डे अहेड मार्केट (जीडीएएम) के तहत एक्सचेंज के माध्यम से प्राप्त बिजली भी शामिल है। यह एनसीआरटीसी की कार्बन उत्सर्जन को कम करने और आधुनिक, पर्यावरण-अनुकूल क्षेत्रीय गतिशीलता के इसके दृष्टिकोण के तहत अधिक से अधिक स्वच्छ ऊर्जा अपनाने की व्यापक प्रतिबद्धता के अनुरूप है।
दिल्ली-गाजिÞयाबाद-मेरठ कॉरिडोर का परिचालन किया जा रहा है। परिचालन के विस्तार के साथ उत्तर प्रदेश और दिल्ली के अन्य निकासी केंद्रों पर भी पावर एक्सचेंज के माध्यम से बिजली प्राप्त की जाएगी। वर्तमान में, 11 स्टेशनों के साथ कॉरिडोर का 55 किलोमीटर का खंड परिचालित है, और शेष खंड को भी जल्द ही जनता के लिए खोल दिया जाएगा।