केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान, मेरठ में संस्थान अनुसंधान परिषद की वार्षिक बैठक आयोजित
मेरठ/ आईसीएआर–केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान (CIRC), मेरठ में संस्थान के निदेशक डॉ. ए. के. मोहंती की अध्यक्षता में संस्थान अनुसंधान परिषद (IRC) की वार्षिक बैठक सफलतापूर्वक आयोजित की गई। इस बैठक ने अनुसंधान गतिविधियों की प्रगति की समीक्षा करने और संस्थान की भविष्य की कार्ययोजना पर विचार-विमर्श के लिए एक व्यापक मंच प्रदान किया। बैठक में कुल 26 प्रचलित अनुसंधान परियोजनाएँ प्रस्तुत की गईं, जो अनुवांशिकी एवं प्रजनन, पोषण, प्रजनन विज्ञान, स्वास्थ्य तथा वेस्ट-टू-वेल्थ पहलों जैसे अग्रणी क्षेत्रों को समेटे हुए थीं। इसके अतिरिक्त 5 नई परियोजनाओं का प्रस्ताव भी प्रस्तुत किया गया, जिनमें शुक्राणु गुणवत्ता गुणों का जीनोम स्तर पर विश्लेषण, क्षेत्र-विशिष्ट आहार मॉड्यूल, दुग्धारु पशुओं में सब-क्लिनिकल मास्टाइटिस के उपचार हेतु औषधीय जड़ी-बूटियों का उपयोग, तथा दुग्ध गायों के प्रदर्शन को बेहतर बनाने हेतु पोषण संबंधी रणनीतियाँ शामिल थीं। ये परियोजनाएँ संस्थान के प्रगतिशील दृष्टिकोण और पशुपालन क्षेत्र की वर्तमान एवं भावी चुनौतियों से निपटने की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।
बैठक में दो प्रतिष्ठित बाह्य विशेषज्ञ – डॉ. आर. के. पुंडीर, पूर्व प्रमुख एवं प्रधान वैज्ञानिक (पशु आनुवांशिकी एवं प्रजनन प्रभाग), एनबीएजीआर, करनाल तथा डॉ. एम. एच. खान, प्रमुख एवं प्रधान वैज्ञानिक (पशु प्रजनन प्रभाग), एनबीएजीआर, करनाल – ने भाग लिया। विशेषज्ञों ने परियोजनाओं की गहन समीक्षा की, संस्थान के वैज्ञानिक योगदान की सराहना की तथा अनुसंधान की गुणवत्ता, किसान-प्रासंगिकता और राष्ट्रीय प्रभाव को और अधिक सुदृढ़ बनाने हेतु मूल्यवान सुझाव दिए। उन्होंने आईसीएआर–सीआईआरसी द्वारा किए जा रहे कार्य की गुणवत्ता की प्रशंसा की और अनुसंधान से अधिकतम लाभ सुनिश्चित करने हेतु सहयोगात्मक प्रयासों को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया। साथ ही उन्होंने नई परियोजनाओं को राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप ढालने के लिए भी महत्वपूर्ण मार्गदर्शन प्रदान किया।
अपने समापन उद्बोधन में, डॉ. ए. के. मोहंती ने बाह्य विशेषज्ञों के सारगर्भित योगदान के लिए हार्दिक आभार व्यक्त किया। उन्होंने संस्थान की गौ-अनुसंधान के अग्रणी क्षेत्रों में प्रगति और सतत कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दोहराया। साथ ही उन्होंने संस्थान के वैज्ञानिक समुदाय से आह्वान किया कि वे किसान-केन्द्रित नवाचारों को प्राथमिकता दें, जो पशु उत्पादकता, आजीविका सुरक्षा और ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकें। कार्यक्रम का कुशल समन्वयन पी.एम.ई. प्रकोष्ठ प्रभारी डॉ. राजीव राजन कुमार द्वारा किया गया, जिन्होंने विशिष्ट बाह्य विशेषज्ञों को उनकी अमूल्य योगदान तथा विचार–विमर्श एवं चर्चाओं में पूर्ण सहभागिता के लिए औपचारिक धन्यवाद ज्ञापित किया।