सबसे ज्यादा मुसीबत सत्ताधारी एनडीए की, चिराग पासवाल और जीतनराम मांझी को इस बार आसानी से नहीं टरका पाएंगे भाजपाई
नई दिल्ली/पटना। भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के नेताओं के लिए बिहार के चुनाव से बड़ी चुनौती कुनबा बचाए रखना है। भाजपा और कांग्रेस के सामने जिस प्रकार से गठबंधन के सहयोगियों ने शर्तों की गठरी खोल कर रख दी है, उसके चलते दोनों दलों के लिए चुनाव आसान नहीं है। भाजपा के लिए एनडीए के तमाम सहयोगी दलों को साधना चुनौती है। बिहार के चुनाव में इस बार भाजपा की स्थिति कुछ कमजोर नजर आ रही। इस नाजुक स्थिति का ही फायदा सहयोगी दल उठाकर अधिक से अधिक सीटें चाहते हैं। इसके अलावा भाजपा के लिए इस चुनाव में बड़ी मुसीबत जन सुराज पार्टी बनी हुई है। हालांकि यह कहना जल्दबाजी होगी की जन सुराज पार्टी इंडिया गठबंधन या फिर भाजपा को ज्यादा नुकसान पहुंचाएगी। चुनाव पंड़ित भाजपा के लिए नुकसान की बात कह रहे हैं। लेकिन यह भी संभव है कि बीच चुनाव या फिर चुनाव बाद पीके भी एनडीए की नाव में सवार हो जाएं। जहां तक इंडिया गठबंधन की बात है तो तेजस्वी यादव का प्रयास है कि अधिक से अधिक सीटें कांग्रेस से ली जाएं। जानकारों की मानें तो कांग्रेस और तेजस्वी के बीच सीटों को लेकर हालात इतने ज्यादा खराब नहीं है। इसके पीछे वजह खुद राहुल गांधी बताए जाते हैं। यह भी कहा जा रहा है कि तेजस्वी यादव जानते हैं कि राहुल गांधी से कैसे अपनी बात मनवाई जाती है। वैसे यह तय है कि भाजपा के लिए एनडीए और राहुल गांधी के लिए इंडिया गठबंधन को बचाए रखना किसी चुनौती से कम नहीं है। लेकिन चुनाव में AIMIM यदि उतरती है और अच्छा प्रदर्शन करती है तो निश्चित रूप से इंडिया गठबंधन को नुकसान है।