सीनियर आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार सुसाइड केस में जुड़ी नई धाराएं, उम्र कैद तक की सजा संभव
नई दिल्ली/पंचकुला। सीनियर आईपीएस अधिकारी पूरन कुमार की आत्महत्या मामले में सड़ गले सिस्टम को एक बार फिर से बेपर्दा कर दिया। आईपीएस अफसर किन हालात में नौकरी कर रहे हैं और सीनियर उनके साथ कैसे पेश आते हैं हो सकता है कि इस पर मुंबई को कोई निर्माता शीघ्र ही मूवी का एलान कर दे। लेकिन जो कुछ हुआ वह पुलिस बिरादरी के लिए बेहद शेमफुल है। एक होनहार अईपीएस को अपनी जान देनी पड़ गई यह उत्पीड़न की पराकाष्ठा है। यह स्वीकार्य नहीं। उससे ज्यादा शर्मनाक वो कि जब आईपीएस की आईएएस पत्नी को इंसाफ के लिए अकेले ही लड़ाई लड़नी पड़ रही है। जो आज पूनर कुमार के साथ हुआ है वो कल किसी के भी साथ हो सकता है। यह स्वीकार्य नहीं होना चाहिए। हालांकि रोहतक के पुलिस अधीक्षक नरेंद्र बिजारनिया को हटा दिया था, जो उन पुलिसकर्मियों में से एक थे जिनके खिलाफ आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की पत्नी ने कथित तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए कार्रवाई की मांग की थी। पांच दिन हो चुके हैं आईपीएस के शव का अभी पोस्टमार्टम नहीं हो सका है। सिस्टम को उनके परिवार की मांग पूरी करनी चाहिए सभी यह चाहते हैं।
नई धाराएं जोड़ी गिरफ्तारी का इंतजार
वाई पूरन कुमार सुसाइड केस में पुलिस ने नई धाराएं जोड़ दी हैं। डीगढ़ पुलिस की शुरुआती एफआईआर में धारा 108 आरडब्ल्यू 3(5) (आत्महत्या के लिए उकसाना) और 3(1)(आर) पीओए एससी/एसटी धारा उस मामले को संदर्भित करती है। इसके अनुसार व्यक्ति के दोषी पाए जाने पर दस साल की सजा का प्रावधान है। यह तब दर्ज की जाती है जब जब कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी भी स्थान पर सार्वजनिक रूप से एससी/एसटी के सदस्य को अपमानित करने के इरादे से अपमानित करता है या धमकाता है।
क्या है धारा (3) (2) वी
अधिनियम की नई जोड़ी गई धारा 3 (2) (v),भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) के तहत जब किसी अनुसूचित जाति (SC) अथवा जनजाति (ST) के व्यक्ति को उसकी कास्ट के आधार पर गंभीर चोट या मौत का सामना करना पड़ता है। प्राथमिकी में जोड़ी गई इस नई धारा में प्रावधान है ऐसे में दोषी को आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा हो सकती है।