बोर्ड की फजीहत कराने के बाद याद, आयी क्लोरिनेशन की मशीनों की खरीदारी, बगैर क्लोरिनेशन का पानी, पिला कर बांट रहा था गंभीर बीमारियां
मेरठ। छावनी के लोग पानी नहीं ठेकेदार की गलती से बीमारियों का सेवन कर रहे थे। ओवरहेड टैंक और पंप के ठेकेदार का चंद पैसों का लालच छावनी के बाशिंदों को भारी पड़ रहा था। ठेकेदार पानी के नाम पर केवल बीमारियां बांटने का काम कर रहा था। उसका यह कारनामा कैंट बोर्ड प्रशासन को भारी पड़ गया, दरअसल उसको पंप के साथ क्लोरिनेशन की जो मशीन ज्वाइंट कर पानी की सप्लाई करनी थी, बताया जाता है कि पैसे बचाने के चक्कर में ठेकेदार ने वो मशीनें नहीं खरीदीं, जो पंप का पानी बगैर जीवन रक्षक दवाएं मिलाए जैसा पंप के द्वारा जमीन से खींचा जा रहा उसको वैसे ही सप्लाई करता रहा। नतीजा यह हुआ कि पंप से खींचकर जिस पानी में एक छोटी मशीन के जरिये दवा मिलायी जानी थी वो दवा नहीं मिलायी गयी।
रविन्द्रपुरी मामले के बाद टूटी नींद
दरअसल हुआ यह कि पिछले दिनों जब रविन्द्रपुरी में बड़ी संख्या में लोग बीमार हो गए और कैंट बोर्ड के अफसरों को मुसीबत दिखाई देने लगी तब पड़ताल की याद आयी। परत दर परत जब खुलने लगी तो सूत्र बताते हैं कि यह भी पता चला कि ओवर हेड टैंक और पंप के ठेकेदार ने किसी भी पंप पर क्लोरिनेशन वाली मशीन नहीं लगायी हुई थी। बगैर क्लोरिनेशन वाला पानी पंपों से खींचकर घरों तक पहुंचाया जा रहा था, जिससे तमाम तरह की बीमारियां भी इस पानी के साथ घरों में पहुंच रही थीं।
चिकित्सक बताते हैं कि जो पानी पंप के द्वारा जमीन से खींचा जाता है उसका यदि क्लोरिनेशन ना किया जाए तो डायरिया जैसी गंभीर बीमारी के अलावा इस पेयजल के सेवन से त्वचा संबंधित गंभीर रोग भी हो जाते हैं। यह भी जानकारी सूत्रों से मिली है कि कैंटोनमेंट हॉस्पिटल में जितने भी पंप लगे हैं उनमें से किसी भी पर भी क्लोरिनेशन की मशीन नहीं लगी थी, जब कैंटोनमेंट हॉस्पिटल के पंपों पर क्लोरिनेशन की मशीन नहीं लगी थी तो छावनी में बाकि स्थानों पर जहां पेयजल सप्लाई के लिए पंप लगाए गए हैं, वहां के पंपों पर भला कैसे क्लोरिनेशन की मशीन की बात सोची जा सकती है। एक अन्य सूत्र की मानें तो रविन्द्रपुरी में लोगों की बीमारी के बाद उठे तूफान के बाद ठेकेदार खुद दिल्ली जाकर ये मशीनें खरीदकर लाया तब कहीं जाकर पंपों पर इन मशीनों को फिट किया जा सकता और छावनी के बाशिंदों को क्लोरिनयुक्त पेयजल की सप्लाई संभव हो सकी। इसको लेकर जब लोगों से बात की गई तो उनका कहना कि यह गंभीर लापरवाही है। यह लोगों के जीवन से खिलवाड़ से कम नहीं। ऐसे ठेकेदार की जांच कराकर उसको ब्लैक लिस्ट किया जाना चाहिए।