29 देशों से विहिप प्रतिनिधि पहुंचे

kabir Sharma
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विहिप के प्रन्यासी मंडल की बैठक, हस्तिनापुर के जम्बूदीप में भव्य आयोजन, सत्तर देशों में हिन्दू मंच

नई दिल्ली/मेरठ। यूपी के मेरठ हस्तनपुर जम्बूदीप में विश्व हिन्दू परिषद के अखिल भारतीय बैठक में देश के करीब तीस देशाें से भी प्रतिनिधि पहुंचे हैं। मीडिया को बताया गया है कि दुनिया के करीब सत्तर ऐसे देश हैं जहां हिन्दू संगठन बने हुए हें। विहिप के केन्द्रीय महामंत्री रंग लाल बागड़ा बताया कि हस्तिनापुर में आयोजित बैठक संगठन की वार्षिक प्रन्यासी मण्डल की बैठक है। यह बैठक प्रतिवर्ष इसी समय दिसम्बर-जनवरी में आयोजित की जाती है।

29 देशों में विहित के चेप्टर

बैठक में देश के सभी प्रांतों के प्रन्यासी और हमारे कार्यकर्ता और साथ में भारत के बाहर विदेशों में लगभग 29 देशों में विश्व हिन्दू परिषद के चेप्टर हैं जो वहां के स्थानीय कानून के तहत पंजीकृत संस्थाएं हैं और लगभग 70 देश ऐसे हैं जहां हिन्दुओं के विभिन्न प्रकार के संगठन और मंच हैं जो विश्व हिन्दु परिषद के साथ में कार्य करते हैं। उन्होंने का हस्तिानापुर में आयोजित बैठक में अनेक देषों के प्रन्यासी भी आयेंगे जो विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय प्रन्यासी मण्डल के सदस्य हैं और भारत के भी सदस्य रहेंगे। बाहर से आने वाले ऐसे प्रन्यासी जिनका हमको पुष्टि हो चुकी है, वो बैठक में आना प्रारंभ हो गये हैं। अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड, दक्षिण अफ्रिका, मॉरीशस, श्रीलंका और अन्य इसी प्रकार के शामिल हैं।

संगनात्मक विचार विमर्श

उन्होंने कहा इस बैठक में प्रतिवर्ष हम अपने संगठन की स्थिति पर विचार करते हैं। हिन्दू धर्म और हिन्दू आस्था के सामने जो चुनोतियां होती है विशेषकर भारत व भारत से बाहर, जो हिन्दू धर्म व हिन्दू प्रन्यासी के सामने चुनौतियां है पर चर्चा होती है। इस वर्श भी जो बैठक कल 17 दिसम्बर से शुरू हो रही है इसमें लगभग 450 प्रन्यासियों व अन्य कार्यकर्ताओं के शामिल होने की आशा है।

मंदिर की संपत्तियों के दुरूपयोग में धर्म हित नहीं

बैठक में मुख्य विषय जो चर्चा के होंगे, इस वर्ष सबसे पहला विषय होगा कि हिन्दुओं का धर्म और हिन्दू मंदिरों की सम्पत्ति का दुरूपयोग हिन्दू धर्म के हित में नहीं होकर अन्य धर्मों के लिए होता है, जो हिन्दू धर्म के लिए हानिकारक भी होता है। इस प्रकार के अनेक विषय समय समय पर हम सबके सामने, समाज के सामने उपस्थित होते हैं। सबसे नवीनतम विशय है कि श्री वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड द्वारा संचालित मेडिकल काॅलेज जिसमें 50 में से 44 छात्र मुस्लिम समुदाय से आते हैं और इस प्रकार से हिंदू भक्तों के चन्दे से, हिन्दु भक्तों के श्रद्धापूर्वक जो दान की राशि जो देवी देवताओं के समक्ष अर्पित की जाती है उसका उपयोग हिन्दू हित में नहीं होकर अन्य समुदाय के हित में होता है तो हिन्दू समाज को चोट ही पहुंचती है।

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अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर चर्चा

उन्होंने कहा दूसरा यह विषय है समय-समय पर अल्पसंख्यकों की सुरक्षा व अल्पसख्यकों के विषेश अधिकार को लेकर चर्चाऐं होती रहती हैं। अनेक प्रकार के विषेशाधिकार संविधान में दिये हुए हैं, लेकिन संविधान में दिये गये अधिकारों से बाहर जाकर व उनका दुरूपयोग करके या गलत विवेचना करके अनेक प्रकार के विषेशाधिकार अल्पसख्यक लेते रहें हैं।

अल्पसंख्यक को पुन: परिभाषित किया जाए

अब यह समय आ गया है कि अल्पसंख्यक की परिभाषा पर समाज को देश को पुनः विचार करना होगा या किसी देश में 20 से 25 करोड़ की संख्या का समुदाय अल्पसंख्यक हो सकता है, क्योकि जो अल्पसख्ंयकों के लिए परिभाशा संयुक्त राष्ट्र संघ में दी हुई है वो कुल जनसंख्या के 1 प्रतिषत के बराबर से ही हुई है। किसी भी राष्ट्र में कोई भी समुदाय धार्मिक हो, भाशाई हो, सांस्कृतिक हो, अगर कुल जनसंख्या से 1 प्रतिषत से कम हो, तो अल्पसंख्यक माना जाता है। हमारे यहां 20 प्रतिषत से 25 प्रतिषत हो गये वह अभी भी अल्पसंख्यक माने जा रहे हैं। संख्या में करोड़ो में 30 प्रतिशत तो वह अल्पसंख्यक कैसे है। कहां जाकर के ये रूकेगा, अल्पसख्ंयक की परिभाषा पर पुनः विचार करने की आवष्यकता है जिससे समाज में एक किसी भी प्रकार का असंतोष का भाव प्रतिपादित नहीं हो। बड़ा हर्ष एवं गौरव का विषय है कि आज यह साल वन्दे मातरम्
गीत की रचना के 150वें वर्ष को पूरे भरत वर्श में मनाया जा रहा है और अभी हाल ही में संसद में भी इस चर्चाएं हुई। पूरे साहित्य जगत में, राश्ट्रीय जगत में, वन्दे मात्रम गीत के द्वारा जिस प्रकार से राश्ट्रीयता की भावना को बल मिला, जिस प्रकार से आजादी के लिए अपने सब कालखण्ड में बलिदान करने की प्रेरणा वन्दे मातरम गीत व नारे ने दी और उसका सुखद परिणाम हम सबके सामने है कि आज हम राजनीतिक तौर से बिल्कुल स्वाधीन व स्वतंत्र देश के नागरिक होने के नाते स्वतंत्र जीवन व्यतीत कर रहे हैं, तो इसलिए इस प्रकार के गीत, इस प्रकार की वाणी जिसने पूरी राश्ट्रीय चेतना को नई जागृति प्रदान की और देष की आजादी के लिए स्वतंत्रता के लिए मर मिटने के लिए अपने प्राणों को न्योछावर करने के प्रेरणा दी, उस पर बैठक में चर्चा होगी।

जिहाद के नाम पर आतंकवाद स्वीकार्य नहीं

उन्होंने अंतिम चर्चा करते हुए कहा कि देष और देश के बाहर भी एक समुदाय द्वारा जिहाद के नाम पर आतंकवाद फैलाया जा रहा है और अभी तक उस आतंकवाद के बारे में आज तक यह कहा गया है कि आतंकवादी मदरसो में पनपते हैं, या आतंकवादी कम पढ़े लिखे होते हैं उन पर मौलवियों का प्रभाव होता है। इसलिए वो जिहाद के गलत रास्ते पर चले जाते हैं और मानवता का नुकसान करते हैं। परंतु हाल ही में महिने भर पहले भारत के दिल दिल्ली में लाल किले के सामने इस प्रकार बम विस्फोट हुआ और उसके बाद जांच की जो कड़ियां जुड़ी, उसमें जो सत्य सामने आया ये सब जिहादी जो थे वो कम पढ़े लिखे नहीं थे, ये सब जिहादी मदरसों के पढ़े नहीं थे, ये सब जिहादी समाज के निम्न वर्ग से नहीं आते, अत्यंत उच्च षिक्षा प्राप्त सुनियोजित तरीके से उनका संग्रह करके और एक बड़े मात्रा में जान-माल की हानि पहुचांने के इरादे से एक लम्बी सुसंगत योजनाएं पर काम कर रहे थे। इस प्रकार का जिहाद पूरी मानवता के लिए कितना बड़ा खतरा है, इस प्रकार का जिहाद सिर्फ भारत के लिए ही नहीं भारत के बाहर सभी समुदायों के लिए और उनके खुद के समुच्य समुदाय के लिए भी एक बहुत बड़ा खतरा है। इस प्रकार की जिहादी मानसिकता को जल्दी से जल्दी नियंत्रण में लिया जाये। जिससे पूरे विष्व में षांति का वातावरण बन सके।

समाज की चुनौतियां गंभीर

उन्होंने कहा कि बैठक में हमारे समाज के सामने स्थाई चुनौतियों पर में विस्तृत चर्चा की जायेगी। हिन्दू समाज के सामने कुछ स्थाई चुनौतियां है, ईसाई और मुस्लिम दोनों ही समुदाय हिन्दू समाज पर कन्वर्जन के लिए दवाब बनाता रहता है और नये नये रूपों में कन्वर्जन हमारे सामने आते है। भारत में हिन्दुओं की घटती जनसंख्या ऐसे अनेक चिंतक के विशय है और यह चुनौती लंबे समय तक रहेगी। इन सब पर बैठक में चर्चा की जायेगी। कुछ विषयों पर प्रस्ताव पारित किये जायेंगे। आज समाज के सामने विश्व हिन्दू परिशद का दृश्टिकोण इन विशय पर स्पष्टता से उभरकर सामने आ सके।

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