मेरठ। शहर में सस्ता गल्ला की ज्यादातर दुकानें सबलेट यानि किराया या कहें ठेके पर चल रही हैं, जिसकी वजह से गरीबों तक उनके हक का राशन नहीं पहुंच पा रहा है और आपूर्ति विभाग के अफसर इससे अंजान बने हुए हैं। हैरानी तो इस बात की है कि ठेके पर दुकान चलाने वालों के खिलाफ एफआईआर के बाद बावजूद भी वो दुकानें संचालित कर रहे हैं। जिला पूर्ति अधिकारी कार्यालय के स्टाफ की मिलीभगत के बगैर यह संभव नहीं है। ऐसे तमाम मामले हैं जिनमें ठेके पर दुकान चलाने वालों के खिलाफ किसी एक दुकान पर कार्रवाई की जाती है तो वो दूसरी दुकान ठेके पर चलाते हैं। ताजा मामला परतापुर के रिठानी स्थित अरुण शर्मा की दुकान है जिसको वणित गुप्ता नाम का शख्स ठेके पर चल रहा है। यहां यह भी बता दें कि वर्णित गुप्ता के की पत्नी शैली गुप्ता के नाम से पहले से एक दुकान विजय नगर क्षेत्र में आवंटित है। रिठानी में अमर शर्मा की सस्ता गल्ला दुकान संचालित करने से पहले यह शख्स ब्रह्मपुरी इलाके में गौरव शर्मा की दुकान संचालित कर रहा था। वहां स्टॉक कम पाए जाने के बाद जो एफआईआर जिला आपूर्ति अधिकारी के स्टाफ ने दर्ज करायी थी उसमें इसका भी नाम शामिल था। सूत्रों ने जानकारी दी है कि यह इकलौता मामला नहीं है। ऐसे तमाम मामले हैं जिनमें दुकान किसी के नाम पर है और चला कोई और रहा है। जब कोई गड़बडी पकड़ी जाती है तो जिसके नाम दुकान है उसके खिलाफ और जो ठेके पर चला रहा है उसके भी खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी जाती है। लेकिन इस प्रकार की कार्रवाई के बाद भी ऐसे मामलों पर प्रभावी रोकथाम नहीं लगा पा रही है। यह भी सही है कि ऐसे तमाम मामलों में एरिया के स्टाफ की मिलीभगत होती है। एफआईआर दर्ज तो करायी जाती है लेकिन उनकी प्रभावी पैरवी नहीं हो पाती, जिसके चलते एक दुकान पर यदि एफआईआर दर्ज हो जाती है तो फिर दूसरी दुकान ठेके पर ले ली जाती है। जिस दुकान का यह जिक्र किया जा रहा है उसको लेकर सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी वायरल हो रहा है जिसमें महिलाएं हंगामा करती नजर आ रही हैं। इस संबंध में DSO से संपर्क का प्रयास किया गया लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी।
महिला से छेड़खानी के विरोध पर पति को पीटा
एक लाख में खाली कुर्सी खाली मंडप