अजब राशन घोटाले की गजब कहानी

अजब राशन घोटाले की गजब कहानी
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अजब राशन घोटाले की गजब कहानी, – महज 14 साल की बच्ची को बना दिया चार-चार बच्चों की मां- गरीबों के निवाले पर डाके को दूसरे प्रदेश के आधार पर मेरठ में राशन- यह तो केवल वानगी भर है। मेरठ में गरीबों के निवाली पर डाका डालने के लिए कोटेदार डीलरों, जिला आपूर्ति कार्यालय के कुछ भ्रष्ट अफसरों के सिंडिकेट ने साजिश कर बजाए उन गरीबों को देने के जिनके नाम पर वह राशन भेजा गया है, काला बाजारी कर बेच खाया। यह मामला अब सूबे के सीएम योगी की जानकारी में लाया गया है। इसको लेकर पूर्व विधायक दामोदर शर्मा के पुत्र अजय दामोदर शर्मा ने सीएम कार्यालय को एक पत्र भेजा है। बकौल अजय दामोदर शर्मा इस पत्र में कहा गया है कि मेरठ महानगर विशेषकर महानगर के तृतीय क्षेत्र में राशन कार्ड में दूसरे प्रदेश के आधार कार्ड को लिंक कर यूनिट बढ़कर प्रतिमाह करोड़ों का राशन घाेटाला अंजाम दिया गया है। ऐसे अनेक मामलों कि शिकायत आपूर्ति विभाग के अधिकारियों से भी की गयी। लेकिन जब कर्मचारियों के साथ अपनी भी गर्दन फंसती देखी तो जांच रिपोर्ट में लिख दिया गया कि ऐसा कोई साफ्टवेयर नहीं जिससे इस प्रकार के मामलों की जांच की जा सके। सीएम को अवगत कराया गया है कि आमतौर पर जब भी कोई राशन कार्ड जारी किया जाता है तो वह सप्लाई इंस्पेक्टर के हस्ताक्षर से जारी होता है। ऐसे कार्ड में जब कोई यूनिट जोड़ी जाती है तो वह भी सप्लाई इंस्पेक्टर ही जोड़ते हैं फिर यह कैसे मान लिया जाए कि आधार लिंक कर यूनिट बढाए जाने के इस  खेल में आपूर्ति कार्यालय शामिल नहीं है। जिन कार्ड में घोटाला किया गया है उनमें से कई में बेटी से कम मां-बाप की उम्र दर्शायी गयी है। कुछ में महज चौदह साल की बच्ची को चार बच्चों की मां दर्शा दिया गया है। ऐसा तभी होता है जब यूनिट बढाने की जल्दबाजी में कोई गड़बड़ या घोटाला अंजाम दिया गया हो। जबकि इस प्रकार से किए गए घोटाले के तमाम साक्ष्य शिकायतकर्ता के पास मौजूद हैं। सीएम को अवगत कराया गया है कि साल 2018 में अंजाम दिए गए राशन घोटाले की जांच फूड सेल ने की थी। जिसमें फूड सेल के एसपी ने राशन घोटाले में कथित तौर से लिप्त 63 डीलरों व आपूर्ति विभाग के कई अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की थी। उक्त प्रकरण में राशन डीलरों के खिलाफ तो कार्रवाई कर दी गयी, लेकिन आपूर्ति विभाग के जो कर्मचारी लिप्त थे उनके खिलाफ कार्रवाई आज तक नहीं की गयी। फूड सेल की जांच में आपूर्ति कार्यालय के जिन कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की गयी थी उनमें सप्लाई इंस्पेक्टर रविन्द्र कुमार का नाम भी शामिल था। कार्रवाई तो दूर की बात उनका यहां से तवादला तक नहीं किया गया। इसके अलावा डीएसओ कोई भी रहे लेकिन रविन्द्र के पास हमेशा ही मलाईदार माने जाने वाले दो एरिया रहते हैं। राशन कार्ड बनाने के मामले को लेकर भी पूर्व विधायक दामोदार शर्मा की शिकायत पर शासन के निर्देश पर एसीएम चंद्रेश कुमार ने जब जांच की तो आरोप सही पाए गए। लेकिन बाद में क्षेत्रीय खादय अधिकारी पशुपति देव जो कुछ भी आरोपों से घिरे थे, उनसे मामले में पक्ष में रिपोर्ट लगवाकर मामला रफादफा कर दिया गया। साल 2020 में राशन डीलर संजीव गुप्ता को साजिशन फंसा दिया गया। इस मामले में तत्कालीन डीएसओ नीरज सिंह व पूर्ति निरीक्षक तारावती ने अन्य डीलरों से मिलकर संजीव गुप्ता की दुकान के मामले में शासन को राजस्व की हानि भी पहुंचाने का काम कियाद। इतना ही नहीं बजाए मामले की जांच के उल्टे उनके ही खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर दी गयी। अजय दमोदर शर्मा ने इस पूरे मामले में सीएम से फूड सेल से जांच कराए जाने का आग्रह किया है।

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