मेरठ/मवाना रोड अम्हेड़ा बिजलीघर से जुड़े आधा दर्जन गांवों में बिजली नहीं है। बिजली ना आने की वजह से ट्यूवैल नहीं चल पा रहे हैं। ट्यूवैल ना चलने से दर्जनों जंगली पशु पानी की कमी के कारण मर गए हैं। मरे पडेÞ पशुओं से जंगल में सड़ांध फैल गयी है। गांव वालों ने बताया कि करीब छह दिन बाद तो औरंगबाद, ज्ञानपुर, रसूलपुर, पचपेडा, सैनी व नंगलाशेखू के घरों की लाइट चालू हो सकी और कृषि के लिए जो सप्लाई होती है वो बुधवार यानि 12 दिन बाद भी शुरू नहीं की जा सकी। लाइट ना आने के कारण किसानों के ट्यूवैल नहीं चल सके। टयूवैल ना चलने के कारण जिन किसानों से सब्जी लगायी हुई थी वह सभी नष्ट हो गयी। इससे किसानों का बड़ा नुकसान हुआ है। किसानों का यह भी कहना है कि वो लगातार अम्हेडा बिजलीघर जा रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं की जा रही है। थक हार कर आज सभी गांवों के किसानों टैÑक्टर ट्राली समेत बिजलीघर पर धाबा बोल दिया। वहां जमकर हंगामा व नारेबाजी की। नारेबाजी के बाद बस इतना जरूर हुआ कि दो कर्मचारियों को किसानों के साथ भेज दिया गया। इन कर्मचारियों ने गांव वालों की मदद से बिजली के जो खंबे गिर गए हैं उनको ट्रैक्टर की मदद से खडेÞ करने का काम किया। गांव औरंगाबाद के रहने वाले वकील ने बताया कि अभी केवल खंबे खड़े भर किए जा रहे हैं, लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं कि कृषि कार्य के लिए लाइन कब तक चालू की जाएगी। इसमें दो दिन भी लग सकते हैं और ज्यादा भी। इस संबंध में बिजली विभाग के तमाम आला अधिकारियों को भी अवगत कराया जा चुका है। व्यापारी नेता लोकेश अग्रवाल ने बताया कि जून का महीना और ऐसे में यदि 12 दिन से ज्यादा बीत चुके हैं। पानी ना मिले तो क्या हाल होगा। लेकिन अफसरों के कानों पर जू नहीं रेंग रही है।
21 मई के आंधी तूफान के बाद से गायब है बिजली, किसानों ने घेरा अम्हेड़ा बिजलीघर
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