बंद के दौरान खुले रहे शराब के ठेकों को राष्ट्रीय स्वाभिमान से नहीं कोई सरोकार, कम से काम आज तो ना खोलते शराब का ठेका, बड़ा सवाल क्या पाकिस्तानी गुर्गों की कायराना हरकत के विरोध में बंद करने वाले कर सकेंगे सवाल की हिम्मत





मेरठ/ पहलवाम में आतंकियों की कायराना हरकत के विरोध में जहां पूरा शहर गम और गुस्से से लवरेज रहा शनिवार को पूरा मेरठ बंद करा दिया। ऐसा बंद जिसको अभूतपर्व कहने में किसी को कोई गुरेज नहीं, लेकिन चंद सिक्कों के लिए शराब की बिक्री करने वालों ने ठेके खुले रखे और साबित कर दिया कि राष्ट्रीय स्वाभिमान से उन्हें कोई सरोकार नहीं। आतंकियों की बर्बरत से उन्हें कोई सरोकार नहीं उनके लिए सिर्फ और सिर्फ पैसा ही खुदा है। पैसे के लिए राष्ट्रीय स्वाभिमान को ताक रखकर मेरठ बंद में भी वो शराब ही बेचेंगे। एक अनुमान के तहत मेरठ बंद से कारोबारियों को करीब 50 करोड़ का फटका लगा है, उन्होंने पचास करोड़ का नुकसार उठाया लेकिन राष्ट्र के पति अपनी निष्ठा पर आंच नहीं आने दी, इसके इतर शराब बेचने वालों को राष्ट्रीय निष्ठा से किसी प्रकार का कुछ भी लेना देना नहीं उनके कृत्य से ऐसा ही लगा। गम और गुस्से से भरे पूरे मेरठ को एक धागे में पिरो देने वाले व्यापार संघ व भाजप के नेता क्या शराब के इन ठेकेदारों को उनका असली चेहरा दिखाने की हिम्मत जुटा पाएंगे या फिर मौन साध लेंगे..सवाल तो पूछ जाएगा और जबाव का भी इंतजार रहेगा।