आज के दौर में सबसे बड़ी ज़रूरत, सर सैयद अहमद ख़ान ने तालीम का चिराग़ जलाया, हर तबके तक इल्म की रौशनी जरूर पहुंचे
मेरठ। सर सैयद अहमद ख़ान की यौमे पैदाइश के मौके पर पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. मैराजुद्दीन अहमद के बेटे और कांग्रेस नेता एडवोकेट बदर महमूद ने कहा कि सर सैयद अहमद ख़ान ने जिस दूरअंदेशी, हिम्मत और इल्मी सोच के साथ हिन्दुस्तान में तालीम का चिराग़ जलाया, वही रौशनी आज भी हमारी रहनुमाई कर रही है। उन्होंने कहा कि तालीम ही समाज और मुल्क की तरक़्क़ी की असली कुंजी है, और जब तक हर तबके तक इल्म की रौशनी नहीं पहुंचेगी, तब तक तरक़्क़ी का ख़्वाब पूरा नहीं हो सकता।
बदर महमूद ने अपने बयान में कहा कि आज के दौर में सबसे बड़ी ज़रूरत है कि तालीम को आम किया जाए और नए तालीमी इदारे (शैक्षणिक संस्थान) क़ायम किए जाएं ताकि हर बच्चा बेहतर तालीम हासिल कर सके। उन्होंने कहा कि सर सैयद अहमद ख़ान का मिशन सिर्फ़ अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाना नहीं था, बल्कि एक ऐसी नई नस्ल तैयार करना था जो इल्म, समझदारी ाऔर किरदार में मज़बूत हो।
डा. मैराजुद्दीन अहमद के कामों को किया याद
उन्होंने अपने वालिद, पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. मैराजुद्दीन अहमद के तालीमी कामों का ज़िक्र करते हुए कहा कि डॉ. साहब ने सर सैयद के मिशन को अमली शक्ल देने में अहम किरदार अदा किया। उन्होंने कई तालीमी इदारे क़ायम किए और नौजवानों को इल्म और हुनर की तरफ़ मुतवज्जेह किया।
कांग्रेस नेता ने कहा कि सर सैयद डे मनाने का असली मक़सद सिर्फ़ एक शख़्सियत को याद करना नहीं बल्कि उनके तालीमी मिशन को आगे बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि आज के नौजवानों को चाहिए कि वे सर सैयद के तालीमी और क़ौमी जज़्बे से सबक लें और इल्म को अपना असल हथियार बनाकर मुल्क और समाज की तरक़्क़ी में अपना किरदार निभाएँ।
उन्होंने आख़िर में कहा कि अगर हम वाक़ई सर सैयद के मिशन के पैरोकार हैं, तो हमें तालीम को अपनी पहली तरजीह बनाना होगी, क्योंकि तालीम के बिना न समाज आगे बढ़ सकता है, न क़ौम मज़बूत हो सकती है।