मेरठ/पावर कारपोरेशन के चेयरमैन के बयान जिसमें कहा गया कि कर्मचारी यूपीसीएल की नीतियां नहीं तय करेंगे पर कर्मचारी नेता बुरी तरह भड़के हुए हैं। उन्होंने इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि सरकार की नीति कर्मचारी संगठन नहीं बनाएंगे तो सरकार की नीति कथित डिस्कॉम एसोशिएशन भी नहीं बनाएंगी। वहीं दूसरी ओर निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन को मंगलवाार को पूरे 188 दिन हो गए हैं। संघर्ष समिति के इंजी. सी पी सिंह, इंजी. कृष्ण कुमार साराश्वत, इंजी. निखिल कुमार, इंजी. निशान्त त्यागी, इंजी. प्रगति राजपूत, कपिल देव गौतम, जितेन्द्र कुमार, विवेक सक्सेना, प्रदीप डोगरा आदि एवं जूनियर इंजीनियर संगठन के पदाधिकारियों राम आशीष कुशवाहा, गुरुदेव सिंह, रविंद्र कुमार, प्रेम पाल सिंह, अश्वनी कुमार आदि ने संघर्ष समिति के लोगों का कहना है कि नवंबर 2024 के दूसरे सप्ताह में लखनऊ में विद्युत वितरण निगमों की एक मीटिंग हुई । इसमें सुधार के नाम पर निजीकरण का निर्णय लिया गया। आॅल इंडिया डिस्कॉम एसोशिएशन के नाम से एक संगठन गठित कर लिया गया। । इस संगठन के जनरल सेक्रेटरी डॉक्टर आशीष गोयल बन गए और कोषाध्यक्ष दिल्ली की निजी कंपनी बीएसईएस यमुना (रिलायंस पावर) के सीईओ अमरदीप सिंह बने। संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि पूर्वांचल विद्युत वितरण एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का प्रस्ताव आगे बढ़ाने का अंदरुनी निर्णय इसी डिस्कॉम एसोशिएशन की बैठक में कापोर्रेट के साथ मिलकर लिया गया। संघर्ष समिति ने कहा कि यह निजी कॉरपोरेट अपने निहित स्वार्थ में उत्तर प्रदेश के 42 जनपदों का निजीकरण करने पर तुले हुए हैं।
निजीकरण के विरोध में 188 दिन भी बिजली कर्मियों का आंदोलन जारी
पांच अप्रैल 2018 और 06 अक्टूबर 2020 को ऊर्जा मंत्री और वित्त मंत्री के साथ हुए लिखित समझौते में कहा गया है कि विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति को विश्वास में लिए बिना प्रदेश में ऊर्जा क्षेत्र में कहीं पर भी कोई निजीकरण नहीं किया जाएगा। पावर कारपोरेशन के चेयरमैन को यह बताना चाहिए कि इन दोनों समझौता का सरासर उल्लंघन करते हुए उन्होंने निजीकरण का एक तरफा फैसला डिस्कॉम एसोशिएशन के गठन के चन्द दिन बाद कैसे ऐलान कर दिया। विक्टोरिया पार्क ऊर्जा भवन पर मंगलवार शाम को प्रदर्शन किया गया।
देश भर में वेदांश का छाया जलवा