डग्गामार की मार से खजाना खाली अफसरों की जेब में हरियाली

kabir Sharma
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मेरठ। सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ की सख्त हिदायतों के बाद भी शहर में डग्गामार गाड़ियां बिना रोकटोक सड़क पर इधर से उधर भाग रही हैं। दो ही बातें हो सकती हैं कि पहली तो यह कि डग्गामार गाड़ियों से होने वाली कमाई की भनक फिल्ड का स्टॉफ अफसरों को नहीं लगाने दे रहा है या फिर यह मान लिया जाए कि काली कमाई की इस गंगा में अफसर भी गोते मार रहे हैं। अफसरों की जेब में हरियाली है भले ही सरकारी खजानी खाली है। डग्गामार गाड़ियों से सबसे ज्यादा मार सरकार को राजस्व की पड़ रही है। शहर में बड़ी संख्या में सवारियों को ढोहने वाली डग्गामार गाड़ियां चल रही हैं। जिस तर्ज पर पूरी दबंगई से इन गाड़ियों का संचालन नजर आता है उससे लगता है या तो सेटिंग है या फिर संगठित गिरोह की तर्ज पर डग्गामार वाहनों का संचालन किया जा रहा है। डग्गामार बसों के संचालन पर लगाम किसी एक महकमे के बूते की बात नहीं है ना ही ऐसा है कि इस काली कमाई पर केवल एक ही महकमा फलफूल रहा है। इन बसों का रंग रूप सरकारी रोडवेज बसों में रंगा होता है। केवल अफसर व पुलिस वालों को ही पहचान हाेती है। आमतौर पर सवारियां इन बसों को नहीं पहचान पाती हैं।

सवारियां ढाहने वाले डग्गामार वाहनों की बात करें तो इनका जाल पूरे शहर में फैला हुआ है।और तो और ये वाहन रोडवेज के भैंसाली बस स्टेंड और साेहराबगेट बस स्टेंड से भी सवारियां उठाती हैं। सरकारी डिपों की बसें भले खाली चलती रहें लेकिन डग्गामार सवारियों से ठंसाठंस भरकर चलती देखी जा सकती हैं। ऐसा नहीं कि पुलिस या थाना चौकी का इन्हें खौफ हो। चौराहों से पुलिस वाले तमाम गाड़ियां हटवा देंगे लेकिन डग्गामार को छूने की जरूरत तक नहीं समझेंगे हटवाना तो दूर की बात रही। नाम ना छापे जाने की शर्त पर रोडवेज बस के ऐसे कई स्टाफ हैं जिनका कहना है कि डग्गामार का संचालन ही पुलिस और आरटीओ तथा कुछ नेताओं की बदौलत हो रहा है। शहर में इस वक्त जितनी भी दो नंबर में गाड़ियां सवारी ढुलाई कर रही हैं वो ज्यादातर नेताओं की हैं। इन गाड़ियों पर हाथ डालने की जरूरत ना तो पुलिस करती है ना ही आरटीओ। ऐसा नहीं कि इन गाड़ियों से हफ्ता नहीं मिलता। भले ही नेताओं की ही क्यों ना हों, लेकिन हफ्ते की जो रवायत चली आ रही है उस दस्तूर को ये भी निभाती हैं। जिसके कारण ये बेखौफ होकर चलते हैं। 

डग्गामार गाड़ियां के खास स्टैंडों में भैंसाली रोडवेज से कुछ आगे पीर वाला मोड जहां से गंगा मोटर कमेटी का रास्ता जाता है, दिल्ली रोड मेट्रो प्लाजा, दिल्ली रोड शॉप्रिक्स माल चौराहा, यहां से आगे परतापुर चौराहा, मेरठ दिल्ली एक्सप्रेस वे, इसके विपरीत दिशा की बात करें तो शोहराब गेट से आगे नई सड़क, तेजगढ़ी चौराहा, मेडिकल, शास्त्रीनगर एल ब्लाक तिहारा के समीप, बिजली बंबा बाईपास के समीप नई मंड़ी आदि स्थानों से डग्गामार बसें संचालित की जाती हैं। इनके अलावा इको गाड़ियों की भी शहर में भरमार है। हाईवे के तमाम फ्लाई ओवरों के नीचे से ये इको गाड़ियां सवारियों को उठाती हैं। इस तरह की गाड़िया जो बगैर टैक्सी नंबर वाली होती हैं वो सबसे ज्यादा मेरठ दिल्ली रूट में सरकारी खजाने को चोट पहुंचा रही हैं। इन गाड़ियों पर पुलिस वालों की खास मेहरबानी होती है।

पुलिस की छत्रछाया में चलने वाले इस तरह के डग्गामार वाहनों की वजह से मुसीबत भी कम नहीं उठानी पड़ती। ऐसी गाड़ियां स्पीड के चक्कर में कई बार हादसों का शिकार होती हैं। ये वाहन एक ओर जहां ये ‘काल’ बने हुए हैं, वहीं इनके कारण लोगों को जाम का झाम भी झेलना पड़ता है। इन वाहनों में सफर करना महिलाओं के लिए आसान नहीं है। अकसर उनसे छेड़छाड़ की जाती है। बावजूद इसके पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौन हैं। डग्गामार वाहन लोगों के लिए नासूर बने हुए हैं। सबसे अधिक परेशानी दिल्ली रोडवेज बस स्टैंड के सामने रहती है। यहां डग्गामार वाहन बेतरतीब ढंग से खड़े रहते हैं। इससे स्थिति इतनी भयंकर हो जाती है कि पैदल यात्री भी आसानी से नहीं निकल सकते। सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि इन वाहनों में यात्रा करने वाली महिलाएं व देहात से आने वाली छात्राओं को ड्राइवर आदि द्वारा छेड़छाड़ का शिकार होना पड़ता है।

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इतना ही नहीं ये वाहन रोडवेज को भी राजस्व का चूना लगा रहे हैं। लेकिन, किसी प्रशासनिक या पुलिस अधिकारी का इस ओर ध्यान नहीं है। मेरठ से बागपत, सरधन, मवाना, गढ व हापुड आदि रूट पर डग्गामार वाहनों की यही स्थिति है। राष्ट्रीय राजमार्ग पर डग्गामार वाहन खड़े होकर मार्ग को अवरुद्ध करते हैं, जिससे दुर्घटना की संभावना बनी रहती है। बड़ी बात यह है कि ऐसे वाहनों को यातायात पुलिस का संरक्षण प्राप्त है। मोटा महीना लेकर इन वाहनों को सड़कों पर मौत बनकर चलने की छूट दे दी जाती है। जांच के नाम पर आम आदमी को परेशान करने वाली यातायात पुलिस इन वाहनों के समक्ष नतमस्तक है। शासन के आदेशों को लेकर गंभीर नहीं अफसर प्रमुख सचिव ने डग्गामारी करने वाले वाहनों के परमिट रद करने के निर्देश दे चुके हैं, लेकिन उनके निर्देशों के बाद भी न तो बड़े स्तर पर कोई कार्रवाई हो रही है और न ही डग्गामार वाहनों का संचालन रुक पा रहा है।

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