वक्फ बिल का समर्थन रालोद सुप्रीमो व केबिनेट मंत्री जयंत चाैधरी और मुस्लिमों के बीच खाई चौड़ी कर सकता है। रालोद के कुछ पुराने जाट नेता भी इस बात को ऑफ दा रिकार्ड स्वीकार कर रहे हैं।

मेरठ। वक्फ बिल को पेश करना और उसको दोनों सदनों में पास करा लेना भाजपा को भले ही वोट बैंक के नजरिये से फायदा पहुंचा दे लेकिन जानकारों की मानें तो वक्फ बिल का समर्थन साल 2027 के चुनाव में जयंत चौधरी को घाटे का सौदा साबित हो सकता है। जयंत से छिटक सकता है मुस्लिम, कुछ मुसलमानों के रालोद में शामिल होने की घटना को एक योजनाबद्ध तरीके से प्रचारित किया जा रहा है, लेकिन ये वो मुस्लिम चेहरे हैं जिनके कहने से उनके घर वाले भी वोट ना करें। वेस्ट यूपी की यदि बात करें तो यहां कोई भी सीट ऐसी नहीं जहां मुसलमान ना हो कई सीटें तो यहां ऐसी हैं जहां मुस्लिम निर्णायक दशा में है। लोकसभा के पिछले चुनाव में वेस्ट यूपी में रालोद की जितनी भी सीटें आयी हैं उनमें जाट प्लस मुस्लिम समीकरा ही चला है। इसी समीकरण के चलते भाजपा को संजीव वालियान की सीट गंवानी पड़ी यह सीट अखिलेश यादव ने भाजपा से छीन ली। इस सीट पर सपा के हरेन्द्र मलिक ने शानदार जीत दर्ज करायी, लेकिन यहां अभी बात सपा या हरेन्द्र मलिक की नहीं बल्कि साल 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव की है जिसको लेकर जानकारों का कहना है कि रालोद सुप्रीमो जयंत चौधरी को वक्फ बिल के मुददे पर भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है, जयंत चौधरी को केवल नुकसान ही नहीं होगा बल्कि इसका सीधा फायदा अखिलेश यादव को होने जा रहा है यह भी तय है। वहीं दूसरी ओर कुछ जानकारों का कहना है कि वक्फ बिल को जयंत से पेश कराकर भगवा खेमे ने रालोद को वेस्ट में कमजोर करने का काम किया है। हालांकि उनका यह भी कहना है कि यह बात हर किसी के समझ में नहीं आएगी।
मेरठ: फेरों से पहले दुल्हन भाग गयी
मेरठ: जेल में फूट फूटकर रो रहे हैं कातिल प्रेमी प्रेमिका
मेरठ: मां के इलाज के लिए बना कातिल