सिर्फ पर्चा दो रुपए का दवा नहीं

kabir Sharma
9 Min Read

मेरठ। सूबे के सीएम योगी का फरमान है कि कोई भी सरकारी डाक्टर बाजार की दवा मरीजों को नहीं लिखेगा। केवल सीएम योगी ही नहीं सूबे के स्वास्य मंत्री ब्रजेश पाठक भी मेडिकल स्टोरों व महंगी दवाएं बेचने वाली दवा कंपनियों पर मेहरबान सरकारी डाक्टरों को बाहरी दवाएं ना लिखने की हिदायत दे चुके हैं। सीएम याेगी ने तो यहां तक आदेश दिए हैं कि दवा भले ही कितनी ही महंगी क्यों ना हो, मरीज को मेडिकल या सरकारी अस्पताल के डाक्टर मुहैय्या कराएं। मरीज को मेडिकल स्टोर से महंगी दवाएं ना लिखी जाएं, लेकिन सीएम के आदेश के बाद भी सरकारी डाक्टर ना मरीजों के पर्चे पर बाहरी दवाएं लिख रहे हैं बल्कि इनमें से ज्यादातर दवाएं महंगी भी होती है। बल्कि सच्चाई तो यह है कि सरकारी डाक्टर दो रुपए के पर्चे पर पर इलाज व मुफ्त दवाओं की आस में आने वाले मरीजों को जितनी भी दवाएं लिखते हैं वो सब उसकी जेब और बजट तथा औकात से बाहर होती हैं, लेकिन यदि ठीक होना है जिंदगी प्यारी है तो भले ही किचन में आटा या दाल सब्जी ना आए। परिवार में बच्चों के लिए दूध को पैसा ना बचे, लेकिन सरकारी डाक्टर द्वारा लिखी गयी दवा तो खरीदनी ही होगी वर्ना हो जाओ भगवान को प्यारे।

मेडिकल स्टोरों पर दे रही डाक्टरों की मेहरबानी की गवाही

मेरठ की यदि बात करें तो एलएलआरएम मेडिकल कालेज का सरदार बल्लभ भाई पटेल चिकित्सालय, प्यारे लाल शर्मा जिला अस्पताल, जिला महिला अस्पताल यानि डफरिन और तमाम सीएचसी व पीएचसी के आसपास जितने भी मेडिकल स्टोर चल रहे हैं उन पर लगने वाला मरीजों व तिमारदारों का मजमा यह बताने को काफी है कि सरकारी डाक्टर उन पर कितने मेहरबान हैं। एलएलआरएम मेडिकल के सामने गढ़ रोड पर तो मेडिकल स्टोरों की पूरी मंड़ी खुली है। कोई मेडिकल स्टोर ऐसा नहीं जहां मरीजों सरकारी डाक्टर का पर्चा लेकर नहीं पहुंचते हों। मेडिकल के सरकारी डाक्टर बाहरी दवाएं लिख रहे हैं तभी तो मेडिकल स्टोरों की यह मंड़ी आबाद और गुलजार है। कई मेडिकल स्टोर तो चौबीस घंटे खुलते हैं। इनका सारा कारोबार मेडिकल के सरकारी डाक्टरों की मेहरबानी की बदौलत ही तो फल फूल रहा है। भले ही सीएम योगी का सरकारी डाक्टरों को बाहरी दवाएं ना लिखने का फरमान हो, लेकिन सरकारी डाक्टर मेडिकल स्टोरों पर पूरी तरह से मेहरबान हैं। गढ़ रोड स्थित मेडिकल स्टोरों की भीड देकर किसी कोई शकसुबहा नहीं रह जाना चाहिए।

पांच में से केवल दो या एक ही दवा है मिल पाती वो भी मुश्किल से

एलएलआरएम मेडिकल का सरकार बल्लभ भाई पटेल अस्पताल हो या फिर जिला अस्पताल और डफरीन अथवा सीएचसी यहां बैठने वाले सरकारी डाक्टर दो रुपए के पर्चे पर जितनी भी दवाएं लिखते हैं आमतौर पर एक पर्चे पर पांच से दस तक दवाएं लिख दी जाती हैं। दवाओं का यह पर्चा लेकिन जब मरीज या तीमारदार मेडिकल या फिर दूसरे सरकारी अस्पताल के औषधी भंडार पर पहुंचता है तो पहले तो नंबर आने तक उसको कड़ी ऐडिया रगड़नी होती हैं, उसके बाद किसी तरह उसका नंबर आ भी जाता है तो काउंटर पर खड़ा स्टाफ पर्चे में लिख दवाओं में से केवल एक दवा थमा बता देता है कि बाहर गेट पर अमुक मेडिकल स्टोर है वहां से ले लीजिए।

सिर्फ पर्चा ही दो रुपए का दवा दो रुपए वाली नहीं

सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों को दिखाने के लिए पर्चा भले ही दो रुपये का बन रहा हो, लेकिन दवाएं बाहर की लिखने की वजह से मरीजों की जेब ढीली हो रही है। मजबूरी में मरीजों को मेडिकल स्टोरों से दवाइयां लेनी पड़ रही हैं। मेडिकल और जिला अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन लगभग औसतन 1000 मरीज दिखाने के लिए आते हैं। इनमें बड़ी संख्या सीजन रोगियाें मसलन संक्रमण से फैलने वाली बीमारियों की होती है। मेडिकल की बात करें तो यहां शुक्रवार को जब डा धीरज सोनी की ओपीडी होती है तो दिल के मरीज बड़ी संख्या में आते हैं। कई बार तो ओपीडी तीन सौ के पार तक पहुंच जाती है यह तो बात हुई मरीजो के डाक्टरों पर भरोसे की, लेकिन जब बात दवाओं की आती है तो जितनी भी दवाएं लिखी जाती हैं उनमें एक दो ही दवाएं काउंटर से मुफ्त मिलती हैं। बाकि दवाएं मजबूर मेडिकल के सामने स्थित स्टोरों से लेनी पड़ रही हैं। इन दिनों बड़ी संख्या में मरीज उल्टी, दस्त, खांसी, जुकाम के साथ ही त्वचा संबंधी भी रहे। मरीजों ने लाइनों में लगने के बाद और एप के जरिए पर्चा तो दो रुपये में डॉक्टर को दिखवाने के लिए बनवा लिया था, लेकिन डॉक्टर को दिखाने पर उन्हें दो दवाएं अस्पताल की तो एक दवा बाहर की लिख दी गई। ऐसे में मरीजों को बाहर निजी मेडिकलों से दवाएं लेनी पड़ रही हैं। डॉक्टर इन दवाओं को लिखने के लिए पर्चे के अलावा एक अन्य छोटी से पर्ची का उपयोग करते हैं, ताकि उनका कोई रिकार्ड न रहे। नाम ना जाहिर करने की शर्त पर एक महिला मरीज ने जिला अस्पताल में बताया कि बाहर बने एक मेडिकल से दवाएं खरीदीं। उन्होंने बताया कि बेटी के कई दिनों से खुजली हो रही थी, ऐसे में उसे दिखाने के लिए आए थे। डॉक्टर ने बेटी को जल्दी सही होने की बात कहकर कुछ दवाएं बाहर की लिखी हैं। वहीं ले रहे हैं। एक अन्य महिला मरीज ने बताय कि बच्चे को कई दिनों से बुखार आ रहा था। जिला अस्पताल में डॉक्टर साहब ने मौसम परिवर्तन की वजह से बुखार आने की बात कहते हुए पर्चे पर दवाएं लिखीं। एक दवा छोटी सी पर्ची पर लिखी थी, जिसे बाहर से लेने के लिए कहा था। वही दवा अब बाहर से लेंगे।

गढ रोड स्थित मेडिकल स्टोर पर एक तिमारदार ने बताया कि उसने दो रुपए का पर्चा बनाकर मरीज को मेडिकल के डाक्टर को दिखाया। उन्होंने कई दवाएं इस पर्चे पर लिखीं, जब काउंटर पर पहुंचे तो वहां मौजूद महिला स्टाफ ने बताया कि केवल एक दवा है बाकि दवाएं बाहर सामने फलां-फलां मेडिकल स्टोर है वहां से ले लो, जो मेडिकल स्टोर बताया गया अब वहां खडे़ हैं दवा लेने के लिए। ये हाल है योगी जैसे सीएम के आदेशों को लेकर सरकारी डाक्टरों का।

ऐसा नहीं की किसी को भी सरकारी अस्पताल से मुफ्त दवाएं नहीं मिलती। यदि आपका स्टाफ में या किसी डाक्टर से जुगाड़ मतलब उनकी अच्छी खासी जान पहचान वाले हो तो जो दवाएं पर्चे में नहीं हैं फिर तो वो भी मिल जाएंगी और यदि औषधी घर में नहीं होंगी मेडिकल स्टोर से लाकर देंगे, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि या तो आप वीआईपी हो या फिर आपका वहां जुगाड़ होना चाहिए। हालांकि एलएलआरएम मेडिकल के प्रिंसिपल डा आरसी गुप्ता का कहना है कि दवाओं की कोई कमी नहीं है। यदि कोई दवा नहीं मिल रही है तो सीधे उनसे आकर बताएं।

Share This Article
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Would you like to receive notifications on latest updates? No Yes