ई रिक्शाओं से परेशानी है इलाज नहीं

kabir Sharma
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मेरठ। महानगर में ई-रिक्शाओं से परेशानी की बात सांसद व विधायक तथा अफसर मान तो रहे हैं, लेकिन इलाज किसी के पास नहीं है। हालत यह है कि इस वक्त शहर में ई-रिक्शाओं की संख्या 75 हजार है और इनकी संख्या कम होने के बजाए बढ़ना तय है। इसका मर्ज लगातार बढ़ रहा है, पिछले दिनों प्राधिकरण की ओर से बुलायी गयी बैठक में ऊर्जा राज्यमंत्री डा. सोमेन्द्र तोमर, राज्य सभा सदस्य डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी, सांसद राजकुमार सांगवान और पुलिस प्रशासन के तमाम अफसरों बिना हिचक माना कि ई-रिक्शा की वजह से महानगर का यातायात बेपटरी हो गया है। इस पर नियंत्रण पर जोर दिया गया, लेकिन नियंत्रण का रास्ता किसी ने नहीं बताया। एसपी टैÑफिक राघवेन्द्र मिश्रा ने सफाई दी कि लगातार चालान किए जा रहे है, सीज और जब्त कर नष्ट किए जा रहे हैं, लेकिन एक दिन में जितने सीज और जब्त हो रहे हैं उससे ज्यादा तो अब सड़कों पर उतर रहे हैं। वैध और अवैध का तो अब सवाल ही बेमाने हो गया है। अब तो मुददा ई रिक्शाओं की संख्या का है। कैंट विधायक ने उस बैठक में जानकारी दी थी कि 75 हजार ई रिक्शा हैं, उनकी बात का पुलिस अफसरों ने अहतराम किया था, लेकिन सवाल तो यह था कि इन पर अंकुश कैसे लगाया जाए। शहर में पिछत्तर हजार ई रिक्शाएं किसी बम से कम नहीं।
शहर के हालात विस्फोटक
शहर ई-रिक्शाओं के विस्फोट के मुहाने पर बैठा है। सुबह के वक्त करीब दस से ग्याराह बजे के बीच ई-रिक्शाएं शहर के ट्रैफिक के लिए किसी नासूर सरीखी होती हैं। ऐसा नासूर जो काम पर जाने वालों को दर्द देती हैं। शहर में में ई-रिक्शा खासकर बेगमपुल, पीएल शर्मा रोड सोतीगंज के दोनों चौराहे, हापुड़ स्टैंड चौराहा, लिसाड़ीगेट चौराहा, भूमिया का पुल, शहर घंटाघर व डीएन रेलवे रोड चौराहा, ईदगाह चौराहा आदि। ये तो वो चौराहे हैं जहां इस संवाददाता ने खुद ग्राउंड पर जाकर देखा है। इनके अलावा भी शहर के दूसरे इलाके ईरिक्शाओं से बेजार हैं। शहर के टैÑफिक के लिए ये अब समस्या नहीं मुसीबत बन चुके हैं।
हर कोई इनसे है परेशान
इनकी वजह से व्यापारियों और आम जनता को परेशानी हो रही है। अव्यवस्थित पार्किंग, ट्रैफिक जाम और सड़कों पर ई-रिक्शा की भीड़भाड़ के कारण, व्यापारियों का धंधा चौपट हो रहा है और आम लोगों को आवागमन में मुश्किल हो रही है
नासूर बन चुकी हैं
ई-रिक्शाओं की वजह से शहर में जाम की समस्या नासूर बन चुकी है। इससे निजात दिलाने के लिए समय-समय पर योजनाएं बनती रही हैं, लेकिन उम्मीद के मुताबिक राहत नहीं मिली। पुलिस के अफसर इनकी संख्या पर अंकुश लगाने की बात तो करते हैं, लेकिन अंकुश कैसे लगाया जाए ये नहीं बताते। अंकुश के नाम पर जो कुछ किया जा रहा है वह नाकाफी है। जिन प्रयासों की बात की जा रही है उनके तहत शहर के तीन मुख्य मार्गो गढ़ रोड, हापुड़ रोड व दिल्ली रोड पर ई-रिक्शा का संचालन प्रतिबंधित करने का दावा किया था, लेकिन दावा परवान नहीं चढ़ सका।
जब्त करना कोई इलाज नहीं
ई-रिक्शाओ के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर पुलिस ने बहुत से ईरिक्शा सीज किए। यह कार्रवाई तो प्रतिदिन की जा रही है। जब्त भी किए जा रहे हैं। जब्त किए जाने वाले ई-रिक्शाओं को डेमेज कर उन्हें कबाड़ियों को बेचा दिया जाता हे, लेकिन यह कोई हल नहीं। यदि यही हल होता तो ई-रिक्शाओं की संख्या 75 हजार नहीं पहुंच जाती।

कम स्पीड बन रही बाधा
ई-रिक्शा आवागम का सुगम जरिया माना जाता है, लेकिन इनकी अधिकतम स्पीड 30 किलोमीटर प्रति घंटा की है, जो मुख्य मार्गो पर अन्य वाहनों के लिए परेशानी पैदा करती हैं। दूसरी तरफ ई-रिक्शा का कोई स्टैंड न होने से बीच सड़क पर ही सवारियां बैठायी-उतारी जाती हैं।
इनका कहना है
एसपी राघवेन्द्र कुमार मिश्रा बताते हैं कि कि शहर में जाम एक बड़ी समस्या है। बेतरतीब ढंग से दौड़ रहे ई-रिक्शा जाम की बड़ी वजह हैं। लिहाजा गढ़ रोड, हापुड़ रोड व दिल्ली रोड पर इनका संचालन बंद करने का फैसला लिया गया है। शहर में ई-रिक्शाओं के लिए जोन बनाए गए हैं। स्टीकर लगाए गए हैं, लेकिन वह भी मानते हैं कि अभी और सख्ती की जरूरत है।
बेगमपुल में बैक गेयर में
शहर के सबसे ज्यादा भीड़ वाले बेगमपुल इलाके में बैक गेयर में दौड़ रहीं ई-रिक्शाएं टैफिक पुलिस के उस हलफनामे की पोल खोल रही है। जिसमें आॅल इज वेल का दावा किया गया है। महानगर के टैफिक के लिए बड़ी मुसीबत बनीं ई-रिक्शाओं में हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के यहां सुनवाई चल रही है। इसको लेकर आरटीआई एक्टिविस्ट मनोज चौधरी ने जनहित याचिका दायर की है। जिसके बाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव, प्रदेश के एडीजी टैफिक, अरटीओ, डीएम मेरठ और एसएसपी को नोटिस जारी कर जवाब तलब कर लिया। इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में मेरठ टैफिक पुलिस ने जो हलफनामा दायर किया गया है बकौल मनोज चौधरी उसमें तो आॅल इज वेल बताया गया है। जबकि ई-रिक्शाओं ने मेरठ की दुर्दशा कर दी है। इसको लेकर बेगमपुल के व्यापारी नेता पुनीत शर्मा का कहना है कि यह तो वह नहीं जानते कि इलाहाबाद में चल रही सुनवाई में मेरठ ट्रैफिक पुलिस की ओर से क्या हलफनामा दायर किया गया है, लेकिन जिस प्रकार की बातें और दावे टैफिक पुलिस की ओर से किए जा रहे हैं, यहां वैसा कुछ भी नहीं है² वो अब तक कमिश्नर, डीएम, एसएसपी व एसपी टैफिक को कई वीडियो भेज चुके हैं।

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