नई दिल्ली। ट्रंप को लगता है कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी नस्लीय जहर घोल रही है, क्योंकि वे यूनिवर्सिटी की “वोक” संस्कृति, डायवर्सिटी, इक्विटी, और समावेशन (DEI) कार्यक्रमों से नाराज हैं। उनका मानना है कि ये कार्यक्रम भेदभाव को बढ़ावा देते हैं और मेरिट आधारित सिस्टम को कमजोर करते हैं। हार्वर्ड से जो लोग तालिम हासिल कर निकले हैं सुनने में आया है कि उनका कहना कि इस शानदार इलम के इस शानदार इदारे में ट्रंप सरकार नस्लीय जहर घोलना चाहती है जो मुनासिब नहीं। कम से कम हार्वर्ड पर ट्रंप अपना ऐजेंडा ना थोपें। दुनिया की सबसे शानदार यूनिवर्सिटी में शामिल हार्वर्ड में अमेरिकी सरकार नस्लीय जहर घोलने पर उतारू है। यह बात सभी को अखर भी रही है। पूरी दुनिया को इलम में इलम की रौशनी बिखरने वाली हार्वर्ड को लेकर जो कुछ ट्रंप सरकार ने कहा है वो हैरान करने वाला है। हार्वर्ड पर आरोप लगा था कि वे यहूदियों के खिलाफ नफरत को रोकने में नाकाम रहे हैं। प्रशासन की तरफ से आरोप लगा था कि यहूदी छात्रों और प्रोफेसरों के खिलाफ भेदभाव होता है। अब ट्रंप सरकार का विदेशी छात्रों को लेकर लिया गया फैसला, यूनिवर्सिटी पर दबाव बढ़ाने के नजरिए से देखा जा रहा है। हालांकि दुनिया भर में जो लोग हार्वर्ड से निकले और कई देशों की सत्ता संभाल रहे हैं उनका कहना है कि हालात सुधर जाएंगे। वहीं दुनिया के शिक्षाविद ट्रंप सरकार के फैसले से हैरान है। जो कुछ उन्होंने आरोप यहूदियों को लेकर हार्वर्ड पर लगाए हैं उनकी निंदा की जा रही है खारिज किया जा रहा है। इस बीच यह भी सुना है कि हार्वर्ड ने ट्रंप सरकार पर केस भी कर दिया है।

हार्वर्ड के साथ यह सलूक ठीक नहीं

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का इस बार राष्ट्रपति का कार्यकाल केवल दुनिया ही नहीं अमेरीकियों को भी चौंका रहा है। ट्रंप की तनातनी दुनिया ही नहीं अपने ही देश के संस्थाओं से भी जारी है। ताजा मामला हार्वड यूनिवर्सिटी से तनातनी को लेकर है। जिसमें दुनिया के किसी भी देश के छात्र का एडमिशनल लेना किसी गौरव में कम नहीं है, लेकिन लगता है कि ट्रंप की वर्क दृष्टि दुनिया की इस शानदार यूनिवर्सिटी पर पड़ गई है। फसाद की वजह वो आदेश है जिसमें ट्रंप ने दुनिया भर के देशों के छात्रों के हार्वड में एडमिशन पर रोक लगा दी है। इससे दुनिया के साथ ही भारत के छात्र भी सबसे ज्यादा प्रभावित होने जा रहे हैं। साधन संपन्न भारतीय छात्रों के लिए हार्वड सबसे फेबरेट शिक्षण संस्थान माना जाता है।
तनाव की वजह
आरोप है कि डोनाल्ड ट्रंप दुनिया की इस शानदार यूनिवर्सिटी को नस्लीय हिंसा की आग में झोंक देना चाहते हैं। यहां नस्लीय नफरत की आग भड़क सकती है। यदि वाकई ऐसा हो गया तो यह पूरी दुनिया के शिक्षाविदों के लिए बहुत बुरी खबर होगी। ट्रंप सरकार का यह फैसला किसी के भी लगे नहीं उतर रहा है। बताया जाता है कि दरअसल ट्रंप सरकार यूनिवर्सिटी को अपने हिसाब से चलाना चाहती है, लेकिन हार्वर्ड इसके लिए पूरी तरह से तैयार नहीं है. हार्वर्ड पर आरोप लगा था कि वे यहूदियों के खिलाफ नफरत को रोकने में नाकाम रहे हैं। प्रशासन की तरफ से आरोप लगा था कि यहूदी छात्रों और प्रोफेसरों के खिलाफ भेदभाव होता है। अब ट्रंप सरकार का विदेशी छात्रों को लेकर लिया गया फैसला, यूनिवर्सिटी पर दबाव बढ़ाने के नजरिए से देखा जा रहा है। वहीं दूसरी ओर भारतीय छात्रों के नजरिये से सवाल पूछा जा रहा है कि क्या भारत सरकार ट्रंप सरकार पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करने का साहस जुटा पाएगी या फिर जो भारतीय छात्र हार्वर्ड में पढ़ रहे हैं उन्हें ट्रंप सरकार के रहमो करम पर यूं ही छोड़ दिया जाएगा।
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