रोके नहीं कराए जा रहे अवैध निर्माण, मेरठ विकास प्राधिकरण अवैध निर्माण के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई करेगा तो सोचना बेमाने हैं। परतापुर के कुंडा में जो कुछ हुआ वह एमडीए के जोनल अफसरों व जेई की बानगी भर है। पूरे महानगर क्षेत्र में एमडीए के जोनल अफसरों व जेई का ऐसा ही खेल चल रहा है। हरे नीले पर्दे डलवाकर अवैध निर्माणों के तरीके बताने वाले एमडीए के जोनल अफसर और जेई यदि सोच रहे हैं कि कोई देख नहीं रहा है तो यह उनकी भूल है। अब इस खेल की क्रॉनालॉजी समझ लीजिए। अवैध निर्माण कराकर पूरे शहर को कंकरीट के जंगल में तब्दील करने वाले धन कुबेर बन चुके एमडीए के तमाम जोलन अफसर व जेई केवल अवैध निर्माण ही नहीं कराते हैं, बल्कि अवैध निर्माणों के साथ अपनी गर्दन बचाने का भी पूरा इंतजाम रखते हैं। खुद की गर्दन बचाने को कागजों में नोटिस सरीखी इनकी ओर से कार्रवाई लगातार जारी रहती है, लेकिन जिसे नोटिस देते हैं या चस्पा करते हैं, उसे कोर्ट का रास्ता भी बता देते हैं। रास्ता ही नहीं बताते अमुक वकील एमडीए के नोटिस के खिलाफ मुफीद साबित होगा यह भी बता देते हैं। लेकिन कुंडा में एमडीए के भ्रष्ट स्टाफ की कलई खुल गई। मेरठ से लेकर लखनऊ तक एमडीए के सेटिंग गेटिंग कांड की धूम मची है। अपने खिलाफ उठने वाली आवाज को बंद करना भी ये चुप करना ये खूब जानते हैं, धमकी से लेकर लालच तक तमाम हथकंड़े मुंह बंद रखने के लिए अपनाए जाते हैं, जैसा कि पत्रकार वीके गुप्ता यानि खुद मेरे मामले में हुआ। अब कर ली जाए जोनल अधिकारी की बात जिनका कहना है कि उनकी पहुंच लखनऊ तक है। पटल परिवर्तन भी लखनऊ से ही है। जानकारों की मानें तो एमडीए के जोनल अधिकारियों को यदि आप से अधिक संपत्ति की जांच करा ली जाए तो सब कमाऊ पूत साबित होंगे। सीएम योगी के प्रयासों पर पानी फेरने पर उतारू हैं एमडीए के ज्यादातर जोनल अधिकारी। तमाम आरोपों की इनकी जांच जरूरी है। (वीके गुप्ता की रिपोर्ट)