खाकी के इकबाल को चुनौती

kabir Sharma
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मेरठ/ खाकी के इकबाल को चुनौती/हत्या, लूट व फायरिंग सरीखी वारदातों ने एक बार फिर से मेरठ को क्राइम कैपिटल का दर्जा दिला दिया है। हालांकि कुछ समय पहले यह दर्जा मेरठ से छीन लिया गया था, लेकिन हत्या, लूट और फायरिंग के अलावा छेड़खानी या कहें आधी आबादी के साथ होने वाले अपराधों पर पुलिस की बेबसी ने मेरठ को क्राइम कैपिटल का दर्जा दिलाने का काम किया है। प्रेमी की मदद से पति की हत्या की वारदात ने तो मेरठ को क्राइम कैपिटल की राजधानी का दर्जा दोबारा दिला दिया है। सूबे में योगी सरकार के आने के बाद प्रभाकर चौधरी सरीखे कुछ सख्त मिजाज अफसरों के चलते हालात भले ही बीच में कुछ सुधरे हों, लेकिन इन दिनों जिस तरह से सौरभ राजपूत हत्या कांड के बाद नीला ड्रम शहर या प्रदेश नहीं बल्कि देश और विदेश में ट्रेड कर रहा है, उसके बाद लोग अब कहने लगे हैं कि क्राइम कैपिटल का जो दर्जा छीन गया था मेरठ ने वो दोबारा हासिल कर लिया। शहर में पुलिस वाले तक महफूज नहीं। बीती 25 मार्च को टीपीनगर के शीलकुंज रोहटा रोड इलाके में भीड़ ने एक सिपाही विपिन को बुरी तरह पीटा। जब पुलिस वालों का यह हाल है तो आम आदमी की सलामती की बात और दावों का कोई मतलब नहीं रह जाता। सीएम योगी का प्रयास है कि प्रदेश भयमुक्त बने, लेकिन वेस्ट यूपी के सबसे प्रमुख मेरठ शहर की बात करें तो यहां के हालात फिलहाल मुफीद नहीं। काफी कुछ किए जाने की जरूरत है। लूट व फायरिंग सरीखी वारदात जिस तरह से अंजाम दी जा रही हैं वो वाकई डराने वाला है। यहां तक कि स्कूल कालेज जाने वालों के बस्तों व बैग में तमंचे निकल रहे हैं। यह अपराध की पराकाष्ठ नहीं तो फिर इसको और क्या कहें। भले ही कुछ भी सफाई दें, लेकिन हालात नाजुक हैं यह कटू सत्य स्वीकारना ही होगा। यहां बता दें कि जिन आंकड़ों के आधार पर मेरठ को क्राइम कैपिटल के दर्ज की बात कही जा रही है वो आंकडेÞ महज एक माह यानि तीस दिन के हैं। तीन माह के आंकडेÞ तो बेहद डराने वाले हैं। ऐसा नहीं कि यहां अपराधी ही सारे कसूरवार हैं, कारगुजारियां पुलिस वालों की भी कम नहीं। चोरी के वाहन कटवाने में अभी तक केवल सोतीगंज के कबाड़ी ही बदनाम थे, अब तो यह काम लोहिया नगर सरीखे थाने में पुलिस वाले भी करा रहे हैं। ध्यान रहे यह बात जनवाणी नहीं कह रहा है, पुलिस के बडेÞ अफसरों की जांच रिपोर्ट से यह बात साबित हुई है। इसके अलावा छोटी-छोटी बातों पर तमंचा निकल लेना तो ऐसा हो गया मानों गन संस्कृति मेरठ का हिस्सा हो गया हो।


बीते माह मार्च की बात करें तो 1 मार्च को वो महिला सामने आयी जिसने जानी थाना इलाके में सुपारी देकर पति अजय की हत्या करायी। 2 मार्च को लिसाड़ीगेट के बेहद भीड़ वाले टयूवैल चौराहे पर 50 साल के अधेड़ का पशु काटने के छुर्रे से सरेआम कत्ल कर दिया जाता है। यह घटना बताती है कि हत्यारों को खाकी का खौफ नहीं रह गया है। 4 मार्च मवाना व दौराला में अधेड व युवक की लाश मिलीं, चोट के निशान। हालांकि हत्या या हादसा यह स्पष्ट नहीं। 6 मार्च को सरधना में मामूली सी बात पर युवक असलम को पीट-पीटकर मार डाला। सरूरपुर के रामपुर मोती में युवक विकास की हत्या कर पेड़ पर लटकाया, 16 मार्च को जानी रामपुर पावटी के नशा मुक्ति केंद्र में हरिद्वारा निवासी माहिल की पीट-पीट कर हत्या, 17 हस्तिनापुर के गणेशपुर में अजय की हत्या, 19 मार्च वो हत्याकांड जिसने देश दुनिया को हिला दिया सौरभ राजपूत को मारकर ड्रम में भरा हालांकि हत्या तीन मार्च को की गयी, खुलासा 19 को हुआ। 20 मार्च को कंकरखेड़ा में पीट-पीट कर वृद्ध राजपाल की हत्या, 23 मार्च को भावनपुर में जन्म दिन पर मनीष का एलानिया कत्ल, 27 मार्च देहलीगेट नील की गली सोनी की हत्या कर लाश कमरे में लटकायी।
सौ-सौ सीसीटीवी, चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा का दावा फिर भी लूट
बाबा बागेश्वर की कथा में सुरक्षा इंतजामों को लेकर किए गए दावों की कथा के दौरान महिलाओं से हुई पर्स व चैन लूट की वारदातों ने पोल खोलकर रख दी थी। मार्च माह आधी आबादी पर भारी गुजरा। बड़ी व शर्मसार करने वाले वारदातों की यदि बात करें तो सुभारती के हॉस्टल में दिल्ली के कारोबारी की बेटी को नशा देकर रेप, सरधना में असम की महिला मजदूर से गैंग रेप, सरधना के कालंदी गांव में आयी बारात में शामिल बारात। कंकरखेड़ा में छेड़खानी से तंग आकर फांसी लगा ली। 18 मार्च को दौराला के वलीदपुर में मां बेटी समेत तीन महिलाओ की हादसे में मौत, 20 मार्च को सीसीएसयू के हास्टल में ताबड़तोड़ फायरिंग छात्र गुट भिडे, 24 मार्च को सिविल लाइन इलाके में नर्सिंग छात्रा ने जान दी। इसके अलावा आईआईएमटी गंगानगर में आए दिन की फायरिंग की वारदातें भी कानून व्यवस्था पर सवाल खडे कर रही हैं।


मेरठ। गाड़ी कहीं से चोरी हो मिलेगी मेरठ के सोतीगंज में। देश भर की चोरी की गाड़ियां सोतीगंज में काटी जाती है यह मित्थक आईपीएस प्रभाकर चौधरी ने तोड़ दिया था। जिसके बाद पीएम मोदी और सीएम योगी अपनी जनसभाओं में मेरठ के सोतीगंज से कबाड़ियों के सफाए की बात बडेÞ ही फक्र से कह करते थे। यह बात सही भी है कि प्रभाकर चौधरी की बड़ी कार्रवाइयों के चलते सोतीगंज में चोरी के वाहनों का कटान बंद हो गया। सोतीगंज में चोरी का कटान भले ही बंद हो गया हो लेकिन मेरठ में नहीं हुआ है। और तो और पुलिस ही चोरी के वाहनों का कटान अपने संरक्षण में करा रही है। लोहियानगर थाना पुलिस के खिलाफ डीआईजी के निर्देश पर की गयी कार्रवाई इस बात का बड़ा …

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