कैंट बोर्ड: तो फिर ये 18 अस्थायी कौन हैं

कैंट बोर्ड: रोड निर्माण की जांच
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कैंट बोर्ड: तो फिर ये 18 अस्थायी कौन हैं, सीबीआई छापे के बाद मेरठ कैंट बोर्ड के सीईओ की ओर से सफाई दी गयी है कि कैंट बोर्ड में कोई भर्ती नहीं चल रही थी, लेकिन बड़ा सवाल यही कि यदि बोर्ड में भर्ती नहीं चल रही थी तो फिर वो सफाई अनुभाग में ये 18  अस्थायी कर्मचारी कौन हैं, जो नए हैं और करीब एक माह से कम अवधि से डयूटी कर रहे हैं। अगर सीईओ के हवाले से जारी नोटिस, जिसमें कहा गया है कि कोई भर्ती नहीं चल रही थी, यदि वो सही है तो फिर सेनेट्री सेक्शन के इन 18 कर्मियों की डयूटी के लिए सेनेट्री सेक्शन हेड वीके त्यागी जिम्मेदार है या फिर ओएस जयपाल तोमर अथवा पूरे स्टाफ की सेलरी रिलीज करने वाले एकाउंटेंट सेक्शन का वो लिपिक जिम्मेदार है जिसका नाम कैंट बोर्ड के तमाम घपलों में अक्सर चर्चा में रहता है या फिर कर्मचारी यूनियन के उन नेताओं से सवाल किया जाए जिनको इस कथित भर्ती घोटाले में हिस्से की बात सुनने में आ रही है। सेनेट्री सेक्शन में केवल 18 भर्तियां ही जांच के दायरे में नहीं हैं, जो छह प्रमोशन किए गए हैं, वो भी सीबीआई अफसरों की जांच का हिस्सा हैं। यहां यह स्पष्ट कर दिया जाना बेहद जरूरी है कि सीबीआई जांच कैंट बोर्ड की भर्तियों की जांच करने को नहीं आयी थी, बल्कि कथित भर्ती के नाम पर जो लाखों की उगाही यानि भ्रष्टाचार किया गया है/ किया जा रहा है,  उसकी जांच कर रही है। भर्ती की जहां तक बात है तो वो तो किसी भी सरकारी दफ्तर का पार्ट होता है, लेकिन यहां आरोप भर्ती व प्रमोशन के नाम पर गरीब सफाई कर्मियों से अंधाधुंध उगाही का है। जिन गरीब लोगों पर रोज के खाने का भी संकट रहता है ऐसे गरीबों को ब्याज में फंसाने का काम भी यहां के ही स्टाफ ने कर दोहरी मार मारी है। कैंट प्रशासन की यदि बात करें तो भले ही बोर्ड प्रशासन कुछ  भी सफाई देता रहे, लेकिन जो राज संजय ने मेरठ से ले जाए जाने के बाद उगले हैं, बोर्ड प्रशासन के वो तमाम अधिकारी व कर्मचारी तथा यूनियन के नेता उस खुलासे से  अपना दामन कैसे बजाएंगे जिनका नाम लिए जाने की जानकारी अपुष्ट सूत्रों ने दी है। जिसके चलते माना जा रहा है कि सीबीआई की टीम इस बार फाइनल टच देने को शीघ्र ही मेरठ कैंट बोर्ड आ सकती है।

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