दो बार सील-अब बाबा के बुलडोजर की बारी, मेरठ विकास प्राधिकरण के चमड़ा पैठ हापुड़ रोड पर जोन ए-3 हापुड़ रोड पर पांच मंजिला काप्लैक्स के अवैध निर्माण को लेकर मेरठ विकास प्राधिकरण के अफसर कितने संजीदा हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कार्रवाई के नाम पर अधिकारी केवल जांच में अपनी गर्दन फंसने से बचाने के नाम नोटिस जारी करने और सील लगाने से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। जिस कांप्लैक्स की यहां बात की जा रही है उस पांच मंजिला कांप्लैक्स पर यूं प्राधिकरण स्टाफ दो बार सील लगा चुका है, लेकिन प्राधिकरण के स्टाफ के हटते ही सील को तोड़कर वहां अवैध निर्माण शुरू कर दिया गया। होना तो यह चाहिए था कि सील तोड़ने के बाद वहां जेसीबी भेजकर इस अवैध इमारत को जमीदोज कर दिया जाता, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है, बल्कि हालात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अवैध कांप्लैक्स बनाने वाले असलम का दावा है कि उसकी प्राधिकरण के उच्च पदस्थ अधिकारियों से पूरी सैटिंग हो चुकी है। उनकी छत्रछाया में ही यह अवैध कांप्लैक्स बन रहा है। उसने यहां तक चुनौती दी कि उसका यह काम कोई एक दो दिन या रातों रात नहीं हुआ है। सालों से वह यहां निर्माण का काम जारी रखे हुए हैं। बेसमेंट से लेकर पांच मंजिल तक का काल बगैर किसी रोक टोक के जारी है। अब यदि इस जोन के स्टाफ की बात की जाए तो तो इस जोन ए में अवैध निर्माण व अवैध कब्जे रोकने की जिम्मेदारी ओएसडी/जोनल अधिकारी रंजीत सिंह की है। रंजीत सिंह के अलावा अवर अभियंता साेमेन्द्र प्रताप व सुरपरवाइजर राजेन्द्र उर्फ घोड़ा की भी अवैध निर्माण रोकने के नाम पर बराबर की जिम्मेदारी है, इसके बावजूद बेसमेंट बना लिया जाता है। नियमानुसार बेसमेंट के निर्माण के लिए प्रशासन से पहले खनन की अनुमति लेनी अनिवार्य है, लेकिन आरोप है कि एमडीए के जोनल स्टाफ की छत्रछाया में अवैध निर्माण करने वाले असलम को बेसमेंट ही नहीं पूरा कांप्लैक्स बनाने में किसी प्रकार की अनुमति की जरूरत नहीं पड़ी । उसके काम में कोई अनुमति की औपचारिकता आड़े नहीं आयी। हालात कितने गंभीर हैं और कांप्लैक्स के मालिक असलम की पकड़ कितनी मजबूत है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अवर अभियंता बजाए कार्रवाई के कांप्लैक्स बनाने वाले असलम की पैरवी में अब खुलकर उतर आए हैं। जब उनसे अवैध निर्माण पर कार्रवाई को लेकर सवाल किया तो उन्होंने ताल ठोक कर कहा कि उनकी जहां चाहे शिकायत कर लीजिए, इसका काम नहीं रूकेगा। जो कांप्लैक्स बनाया जा रहा है उसमें तमाम कायदे कानून ताक पर रख दिए गए हैं। ऐसा नहीं कि एमडीए से केवल नक्शा ही पास नहीं कराया गया है। फायर एनओसी से लेकर जो अन्य औपचारिकताएं जरूरी होती है वो भी पूरी करने की जरूरत नहीं समझी गयी। मेन रोड पर इस अवैध इमारत में पार्किंग तक का ध्यान नहीं रखा गया है। एमडीए प्रशासन ने करीब चार माह पूर्व अवैध कालोनियों व निर्माणाें के खिलाफ जो मुहिम छेड़ी थी, उसका अन्य पर कितना असर हुआ उसका अंदाजा इस अवैध इमारत को देखकर लगाया जा सकता है। बड़ा सवाल यही है कि एमडीए सचिव क्या इसका संज्ञान लेंगे।