कुंज गली है असली वृंदावन

kabir Sharma
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नई दिल्ली। वृंदावन में कॉरिडोर बनाने की बात चल रही है लेकिन सेवायतों का कहना है कि पहले ठाकुर जी से तो पूछ ले सरकार। कुंज गली ही असली वृंदावन है। आज तक तमाम सरकारें आयीं। इससे पहले मुगल और अंग्रेज आए लेकिन वृंदावन की कुंज गलियों से छेड़खानी का साहस किसी ने नहीं किया। गोस्वामी सेवायतों का कहना है कि जिन कुंज गलियों को मिटाकर कॉरिडोर बनाने की बात की जा रही है, ये ना भूलो कि कुंज गली ही वृंंदावन की असली पहचान है। वृंदावन का विकास कीजिए। विकास का विरोध कोई नहीं कर रहा है, लेकिन वृंदावन की पहचान कुंज गली को खत्म करने की बात ना करें। कोरिडोर बनेगा तो सैकड़ों साल पुराने कुंजगलियों में जो मंदिर हैं उनमें जो प्रतिमाएं रखी हुई हैं वो कहां जाएंगी। सेवायत गोस्वामी समाज भी इसी बात को कह रहा है कि प्राचीन स्वरूप नष्ट ना करें। यह बात कभी बांके बिहारी भी नहीं चाहेंगे कि जिन कुंज गलियों में वह लीला करते थे उनको कोरिडोर के नाम पर खत्म कर दिया जाए। जो लाेग वृंदावन की कुंज गलियों को नष्ट कर कॉरिडोर की पैरवी कर रहे हैं उन्हें आस्था से कुछ नहीं लेना देना है ऐसा तमाम सेवायत कह रहे हैं। कृष्ण कष्ट से मिलते हैं जिन्हें बिहारी जी के दर्शन के दौरान धक्कों से डर लगता है उन्हें वैसे भी बिहारी जी नहीं बुलाना चाहते हैं। सेवायतों का साफ कहना है कि बिहारी जी भी उनको ही बुलाते हैं जो कुंज गलिन की रज माथे से लगाते हैं। जिन्हें कुंज गली पसंद नहीं वो ना आएं कभी वृंदावन में।

वृंदावन की संकरी गलियां, जिन्हें ‘कुंज गलियां’ कहा जाता है, इस शहर की आध्यात्मिक आत्मा का अभिन्न हिस्सा हैं। गोस्वामी समाज का दावा है कि कॉरिडोर निर्माण से ये गलियां पूरी तरह समाप्त हो जाएंगी। ये गलियां न केवल वृंदावन की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान हैं, बल्कि भगवान कृष्ण और राधा की लीलाओं से भी जुड़ी हैं। समाज का मानना है कि इन गलियों को हटाने से वृंदावन का वह अनूठा आकर्षण और पवित्रता नष्ट हो जाएगी, जो इसे विश्व भर में विशेष बनाती है।

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नष्ट हो जाएगी वृंदावन का शांत वातावरण

गोस्वामी समाज का दूसरा प्रमुख विरोध कॉरिडोर के आधुनिक निर्माण से वृंदावन की पारंपरिक जीवनशैली और पूजा पद्धति पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर है। उनका कहना है कि इस भव्य परियोजना की चकाचौंध वृंदावन के अलौकिक और शांत वातावरण को नष्ट कर देगी। बांके बिहारी मंदिर में सादगी और भक्ति से की जाने वाली पूजा पद्धति इस आधुनिक ढांचे के बीच अपनी मौलिकता खो सकती है। समाज का मानना है कि यह परियोजना स्थानीय आस्था और सदियों पुरानी परंपराओं पर गहरा आघात पहुंचाएगी, जिससे मंदिर का आध्यात्मिक महत्व कम हो सकता है।

सरकार का तर्क

बांके बिहारी मंदिर में हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं, और खासकर जनमाष्टमी जैसे अवसरों पर भीड़ बेकाबू हो जाती है। पिछले साल जनमाष्टमी के दौरान मंदिर में भगदड़ में दो श्रद्धालुओं की मृत्यु और कई के घायल होने की घटना के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जिला प्रशासन को कॉरिडोर का विकास योजना प्रस्तुत करने का आदेश दिया था। इस कॉरिडोर का उद्देश्य भीड़ प्रबंधन, दर्शन की सुगमता, और श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। 5 एकड़ में बनने वाला यह दो मंजिला कॉरिडोर तीन रास्तों के जरिए मंदिर तक पहुंच प्रदान करेगा। सरकार का दावा है कि यह प्रोजेक्ट वृंदावन को पर्यटन हब के रूप में और मजबूत करेगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ होगा।

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