मौत कटों से नहीं कोई सरोकार

kabir Sharma
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सबसे ज्यादा बुरा हाल खड़ौली का, मोदीपुरम से लेकर परतापुर तक करीब तीस स्थानों से टूटा है डिवाइडर

मेरठ/वाया मेरठ दिल्ली देहरादून हाइवे एनएच-58 के मौत के कटों से लगता है एनएचएआई (नेशलन हाइवे अथॉरिटी आॅफ इंडिया) को कोई सरकार रह गया है। परतापुर से लेकर मोदीपुरम तक करीब तीस ऐसे स्थान हैं जहां हाइवे का डिवाइडर टूट गया है। टूटे हुए डिवाइडर से दिन भर तमाम लोग सड़क के इस ओर से दूसरी ओर जने के लिए बाइक व स्कूटी जंप करते हैं। लेकिन सबसे बुरा हाल हाइवे के खडौली वाले हिस्से का है। यूं कहने को खड़ौली का जो का जो बड़ा कट था जिसको यूटर्न के लिए छोड़ गया था उसको बंद कर दियाा गया है, लेकिन जहां पर यह भारी भरकम पत्थर लगाकर बंद किया गया है, वहां पत्थरों के बीच फांसला छोड़ दिए जाने की वजह से उसका बंद करना ना करना समान ही है, क्योंकि जहां पत्थरों के बीच छोटे-छोटे फांसले छोड़ दिए गए हैं उनसे होकर ही लोग एक ओर से दूसरी ओर आते जाते हैं। इस कट के अलावा खड़ौली के पूरे हिस्से पर जहां डिवाइडर बना है वहां लोगों ने दोपहिया वाहनों को जंप करने के लिए रास्ते बना लिए हैं। खड़ौली के अलावा रोहटा फ्लाई ओवर से लेकर कंकरखेड़ा फ्लाई ओवर तक कई जगह से टूटे हुए डिवाइडर का यूज तमाम लोग बाइक स्कूटी जंप करने के लिए कर रहे हैं। जटौली रेलवे फ्लाई ओवर के आसपास भी कमोवेश यही स्थिति है।
कई बार हो चुके हैं हादसे
टूटे हुए डिवाइडरों से बाइक स्कूटी जंप करने के दौरान कई बार हादसे हो चुके हैं। दरअसल होता यह है कि जो भी दो पहिया वाहन को जंप करता है, वो दोनों साइड देखता है कि कोई वाहन तो नहीं आ रहा है और जंप मार देता है उसी दौरान अचानक तेजी से कोई भी गाड़ी आ जाती है, उस वक्त बाइक स्कूटी जंप करने वाले के इतना मौक नहीं मिलता कि तेजी से पार हो जाए, क्योंकि हाइवे पर जो गाड़ी दौड़ती हुई आ रही है उसकी स्पीड आमतौर पर 150 के पार होती है, जबकि जो बाइक स्कूटी जंप करते हैं उनकी स्पीड बामुश्किल 20 होती है। ऐसे में हादसा तय होता है।
यह कहना है प्रोजेक्ट डॉयरेक्टर का
इस संबंध में जब एनएचएआई के पीडी

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