केवल चार सदर जैन समाज नहीं

kabir Sharma
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मेरठ। सदर स्थित जैन मंदिर के घपले घोटालों को लेकर गर्दन फंसी तो जिन के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी गयी है उन्होंने अपने परिवार के लोगों को लाकर जांच पर ही सवाल खड़े कर दिए। ये लोग डीआईजी से मिलने पहुंचे थे। दरअसल में यह पूरा मामला डिप्टी रजिस्ट्रार सोसाइटी के सीओ सदर को जांच में दोषी पाए गए लोगों पर कार्रवाई से जुड़ा है। एडीजी के आदेश पर कई स्तरों पर चली लंबी जांच के उपरांत साक्ष्यों के आधार पर दोषी पाए गए सुनील जैन, मृदुल जैन, अनिल बंटी व रंजीत जैन आादि के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गयी। मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस द्वारा अभियुक्त बनाए गए तमाम लोगों ने पहले तो संजय जैन पर ही दवाब डाला। उसके बाद भाजपा के बड़े नेताओं की मार्फत पुलिस से पिंड छुडाने का प्रयास किया गया, लेकिन मंदिर में किए गए घपले घोटाले के चलते भाजपा नेताओं ने भी मदद से हाथ खडे कर दिए। सभी रास्ते बंद होने के बाद अपने परिवार की महिलाओं व बच्चों को लेकर जांच पर ही सवाल खड़े करते हुए ज्ञापन देने डीआईजी के जा पहुंचे, लेकिन वहां से कोई स्पष्ट आश्वासन नहीं दिया गया है, यह भी सच है।


सदर दुर्गाबाड़ी स्थित जैन मंदिर की जो कमेटी कालातीत हो चुकी है उसका कालातीत का जिक्र ना कर यह बताया जा रहा है कि मंदिर की प्रबंध समिति के पदाधिकारियों पर मुकदमा दर्ज हुआ है। यदि मंदिर की प्रबंध समिति है तो फिर क्यों नहीं खुद को प्रबंध समिति का पदाधिकारी बताने वाले रंजीत जैन, मृदुल जैन, सुनील जैन और अनिल बंटी डिप्टी रजिस्ट्रार के यहां क्यों नहीं पेश हुए। छह साल तक डिप्टी रजिस्ट्रार मंदिर की फाइल की जांच करते रहे। कमेटी से कागज मांगते रहे। यदि आप ठीक थे तो साक्ष्य देते। तमाम नोटिस डिप्टी रजिस्ट्रार ने इन्हें दिए। ऐसी क्या स्थिति आ गयी जो डिप्टी रजिस्ट्रार को सीओ सदर को इनके खिलाफ कार्रवाई को लिखना पड़ा। जब प्रबंध समिति है ही नहीं तो फिर पदाधिकारी किस बात के, ये लोग तमाम बातें बता रहे हैं यह नहीं बता रहे कि मंदिर की कोई कमेटी है ही नहीं और अवैध रूप से मंदिर पर काविज हैं। ऐसी क्या नौबत आ गई थी जो राष्ट्र कवि सौरभ जैन सुमन को मंदिर के घपले घोटालों से दुखी होकर आत्मदाह की घोषणा करनी पड़ी। उसके बाद क्यों मृदुल जैन से एक करोड़ रुपए देने की बात कही। जो पंच बने थे उन्होंने एक करोड़ की रकम मंदिर जी को दिए जाने की शर्त पर मृदुल से हिसाब चुकता करने की बात कही। सदर जैन समाज को इन बातों की जानकारी करनी चाहिए। सवाल जरूर पूछने चाहिए कि भाई मुकदमा आप पर कायम हुआ है खुद को बचाने के चक्कर में हमें क्यों ढाल बनाया जा रहा है।
इसके अलावा जो दान मंदिर जी में आता है क्योंकि समाज के सामने उसका हिसाब नहीं रखा जा रहा है। 19 महीने यदि रंजीत जैन सलाखों के पीछे रहकर आए हैं तो इसलिए क्योंकि पुलिस के पास उनके खिलाफ ठोस सबूत थे। यदि गलत तरीके से जेल भेजा गया था तो अगले ही दिन जमानत मिल जाती। 19 महीने क्यों जेल में रहे। रंजीत को तो जेल से आए भी अरसा हो गया है। साधन संपन्न हैं क्यों नहीं अदालत से क्लीनचिट ले ली। पुलिस अधिकारियों पर ऊंगली उठाने से बेहतर है कि बजाए सदर जैन समाज को बरगलाने के अपनी अंतरात्मा में झांके। मंदिर जी के प्रति जो अपराध किया है उसका प्राश्चित करें। क्यों नहीं मंदिर जी की प्रबंध कमेटी की चुनाव कराए जा रहे हैं। ऐसा क्या लालच है जो मंदिर जी से चिपके हुए हैं। तमाम हरकतें ऐसी हैं जो चींख चींख कर कर रही हैं कि पुलिस के आला अफसरों की देखरेख में जो जांच हुई है उसमें दूध का दूध और पानी का पानी हुआ है।


यह बात इसलिए कहीं जा रही है क्योंकि डा. संजय जैन ने मीडिया से जोर देकर कहा है कि सदर जैन समाज के लोगों जिन्हें रंजीत, मृदुल, सुनील जैन व अनिल बंटी डरा रहे हैं कि उनको भी जेल जाना पड़ेगा, यह एक दम मिथ्या है। इन लोगों का सफेद झूठ है। एफआईआर में नाम आने के बाद रंजीत जैन, मृदुल जैन, सुनील जैन व अनिल बंटी समाज केवल डरा कर उनको अपनी ढाल बनाने के अलावा कुछ नहीं कर रहे हैं। डा. संजय जैन का यहां तक कहना है कि जिसको भी किसी प्रकार की आशंका है वह बगैर किसी से कुछ कहे सुने उनके यहां आ सकता है। वह पूरा एश्योरेंस दे रहे हैं कि किसी को भी इनसे डरने या इनकी बातों से घबराने की जरूरत नहीं है। पुलिस के रडार पर रंजीत, मृदुल, सुनील जैन व अनिल बंटी के अलावा कोई अन्य नहीं है, क्योंकि इन्होंने ही मंदिर जी को लेकर अपराध किया है। यह बात जांच से भी साबित हो गयी है। पुलिस की जांच में ये चारों ही लिप्त पाए गए हैं। इसलिए किसी को कोई भी शंका हो तो बजाए इनके झांसे में आकर सीधे संजय जैन संपर्क कर सकते हैं। संजय जैन तमाम आशंकाओं और जो झूठ पुलिस की कार्रवाई को लेकर बोला गया है उसको लेकर भी स्थिति स्पष्ट करने को तैयार हैं। उन्होंने बताया कि जिस प्रकार से गली-गली जाकर ये लोग समाज के लोगों को बरगलाने का प्रयास कर रहें हैं उसमें भी समाज का कोई भी व्यक्ति इनके झांसे में ना जाए। डा. संजय जैन का यह भी कहना है कि पुलिस अपनी जांच में समाज के किसी भी व्यक्ति को शामिल नहीं कर रही है, ये चारों ही जबरन समाज के लोगों को पुलिस के सामने ले जाकर गुनाहगार साबित करने पर तुले हैं। पुलिस का समाज के किसी व्यक्ति से कुछ लेना देना नहीं है। केवल रंजीत, मृदुल, सुनील जैन व अनिल बंटी के खिलाफ यह मुकदमा है। डा. संजय जैन ने बार-बार समाज से आग्रह किया है कि यदि किसी को कोई शंका है तो सीधे उनसे संपर्क कर लें। इनके झांसे में कतई ना जाए ये तो खुद फंसे हुए हैं और अपने साथ आपको लेकर केवल आपको जानबूझ कर पुलिस के सामने ले जाने की साजिश कर रहे हैं ताकि ना चाहते हुए भी पुलिस के दिमाग में आपका चेहरा आए। ऐसा नहीं होना चाहिए। इनकी इस साजिश का हिस्सा ना बनें। निश्चित रहें। सदर जैन समाज का कोई बाल भी बांका संजय जैन के रहते हुए नहीं कर सकता है। पहले संजय जैन सामने आएंगे उसके बाद सदर जैन समाज तक कोई हाथ पहुंचेगा।

सदर जैन समाज: गुमराह ना होना केवल चार

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