ऋषभ: साजिश नहीं तो और क्या कहें

ऋषभ: साजिश नहीं तो और क्या कहें
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ऋषभ: साजिश नहीं तो और क्या कहें, मेरठ के मंदिर मार्ग स्थित प्रतिष्ठित ऋषभ एकाडेमी को शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से तरक्की करते हुए शायद समाज के कुछ लोगों को रास नहीं आ रहा है। अंहिसा का संदेश देने वाले जैन समाज के ही कुछ लोग यहां का माहौल खराब करने की साजिश कर रहे हैं। पिछले कुछ समय के दाैरान जिस प्रकार से कीचड़ उछालने का असफल व कुसित प्रयास किया गया, वह साजिश नहीं तो और क्या है। लेकिन साजिश करने वाले शायद भूल गए कि -सत्यमेव जयते- साजिश करने वाले क्षणिक प्रसन्न हो सकते हैं, लेकिन अब तक जितने भी घटनाक्रम हुए हैं, उन सभी में मुंह की खानी पड़ी। तमाम साजिशों का पर्दाफाश भी पुलिस ने ही किया है। ताजा प्रकरण इस महिला टीचर का है जिसने को-एजुकेशन के ऋषभ एकाडेमी के अपने साथी शिक्षक पर अनर्गल आरोप लगाते हुए ऋषभ में शैक्षणिक माहौल खराब करने का प्रयास किया। प्रधानाचार्य ने इस मामले में न्याय करते हुए दोनों को कारण बताओं नोटिस जारी करते हुए स्पष्टीकरण देने तक के लिए ऋषभ में प्रवेश पर रोक लगा दी। लेकिन साजिशकर्ताओं को साथ लेकर हंगामा करने वाली शिक्षक ने माहौल खराब करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। पर्दे के पीछे बैठकर जो लोग आए दिन ऋषभ पर कीचड़ उछालते का पाप करते हैं, उनके हाथों की कठपुली बनकर हंगमा किया। ऋषभ में शिक्षा ग्रहण करने वाले मासूम सवाल पूछ रहे हैं कि गबन घोटाले करने वाले और उनके कानूनी मददगार क्यों उनका भविष्य खराब करने पर तुले हुए हैं। जबकि इन गुनाहों में शामिल ये तमाम लोग जानते हैं कि जीत सत्य की हाेती है, झूठ और असत्य कितनी ही जोर से क्यों नहीं बोला जाए, लेकिन सत्य के आगे वह नहीं टिकता। अपना हश्र देखने के बाद भी गबन घोटालों के गुनाहगार बाज नहीं आ रहे हैं। उनके तमाम झूठ और साजिशें हर बार बेनकाब हो रही हैं। समाज भी उनकी किरकिरी हो रही हैं, फिर भी ऋषभ को बदनाम करने की साजिश जारी हैं।

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