लड़ाई नहीं जरूरी है पढाई

kabir Sharma
3 Min Read

सीएम योगी के नाम से देश और दुनिया में पहचान रखने वाले गोरखपुर के आशूतोष पांडे पर जानलेवा हमले मामले का अंतोगत्वा कुछ सीनियर ने मिलकर करा दिया सुखद पटाक्षेप, हालांकि इसे इंसाफ का तकाजा तो नहीं किया जा सकता, लेकिन कहते हैं कि अंत भला तो सब भला , हमला करने वाले सिद्धार्थ कसाना, देव राणाा, मयंक मावी व शिवम उर्फ विनय सुच्चा की जिनके खिलाफ थाना मेडिकल में बीटेक के छात्र आशूतोष पांडे पर जानलेवा हमला करने का मुकदमा दर्ज हैं उनका तो भला हो गया क्योंकि मुदकमा दर्ज होने के बाद अब जेल नहीं जाना होगा, लेकिन जिस पर हमला किया गया वो भी अकारण एक सीधे सादे युवक पर जो अपने घर गोरखपुर से इतनी दूर यहां मेरठ स्थति सीसीएसयू में पढाई को आया है फिर उसके साथ इंसाफ का क्या। वैसे यह झगड़ा बढाया जाना किसी विवाद का अंत कभी हो ही नहीं सकता। बड़ी बड़ी लड़ाइयों का अंत केवल समझौता ही होता है। कुछ सीनियर ने मिलकर यदि इस प्रकरण में समझौता कर दिया है तो यह स्वागत योग्य है। इसका स्वागत किया जाना चाहिए लेकिन फिर इंसाफ कहां हुआ। एक युवक पर जानलेवा हमला होता है, वह बुरी तरह से घायल हो जाता है। हमलावरों पर एफआईआर होती है नामजद एफआईआर होती है वो फिर भी खुले घूम रहे होते हैं और आखिर में जो घायल है उसकी कहना पड़ता है कि वो यहां झगडा करने नहीं पढाई के लिए आया है। वो नहीं चाहता कि कोई विवाद या बात आगे बढ़े। आशूतोष पांडे वाकई इसके लिए साधुवाद के अधिकारी हैं, लेकिन कैंपस में यह रवायत मुनासिब नहीं। पहले पीटो अपना वर्चस्व कायम करो और फिर बाद में समझौता। ये कहां का इंसाफ है। ऐसे तो यह सिलसिला यूं ही जारी रहेगा। खैर वैसे झगड़े का खत्म होना ही अच्छी बात होती है।

कालेज हो या फिर सीसीएयू कैंपस सभी के लिए सीनियरों की बात रखनी जरूरी होता है। आशूतोष पांडे ने भी अपने सीनियर की बात का सम्मान किया। उसके साथ जो कुछ हुआ उसका कोई समर्थन नहीं करेगा। लेकिन जो सीनियर की बात मानकर जो आशूतोष ने किया वह सराहनीय है। लेकिन इस बात का ध्यान रखा जाए कि जो कुछ इस छात्र के साथ हुआ वो कैंपस में किसी अन्य छात्र के साथ ना हो, क्योंकि इस तरह की दुखद खबरें जब परिवार तक पहुंचती है और उन परिवार पर अपने बच्चाें को लेकर तब क्या बीतती होगी यह बात कभी भी किसी से मारपीट करने वाले नहीं समझेंगे।

धर्म संसद विवादित यति नफरती

जो जिस हाल में था जान बचाकर भागा

जेल की सलाखों की पीछे खोलेगा आंखें मासूम

Share This Article
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Would you like to receive notifications on latest updates? No Yes