मेरठ। केंद्रीय कृषि मंत्री के सीधे सादे अंदाज ने किसानों को दिल मोह लिया। वह चारपाई पर जा बैठे और किसानों से बतियाने लगे। करोड़ों किसानों से संवाद के लक्ष्य के साथ ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस देशव्यापी अभियान से बड़ी संख्या में लोग जुड़ रहे है। ओडिशा से शुभारंभ के बाद, जम्मू और उसके बाद हरियाणा के पानीपत से होते हुए इस अभियान के तहत केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज चौथे दिन उत्तर प्रदेश के मेरठ में किसानों से संवाद किया। मेरठ के दबथुवा ग्राम और जन्गेथी ग्राम में चारपाई पर बैठकर केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने चर्चा की। इस दौरान किसानों की व्यावाहारिक समस्याओं को भी सुना और उनके समाधान के मार्ग भी सुझाएं।

इस अवसर पर संबोधित करते हुए केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देकर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भारत के हर किसान को सम्मानित किया है। उन्होंने कहा कि यह संयोग है कि 29 मई को चौधरी चरण सिंह की पुण्यतिथि थी और उसी दिन हमने ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ प्रारम्भ किया है। केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह ने कहा कि चौधरी चरण सिंह से बड़ी प्रेरणा खेती के लिये और कोई नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान उसकी आत्मा है। श्री चौहान ने कहा कि किसान अन्नदाता भी है और जीवनदाता भी। उन्होंने कहा कि किसान मेरे रोम- रोम में है और खेती हर सांस में बसी है। विकसित खेती और समृद्ध किसानों के बिना विकसित भारत की कल्पना अधूरी है।
श्री शिवराज सिंह ने कहा कि खेतों में जाकर ही समस्या का असली पता चलता है। जैसे आज गन्ने की खेती में देखा की एक रोग जिसे स्थानीय भाषा में किसान ‘लाल सड़न’ कहते है, किस प्रकार से हानिकारक है। ऐसे ही कई उदाहरण है जिन्हें जमीन पर उतर कर ही समझा जा सकता है। श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसानों और वैज्ञानिकों को जोड़ने और ‘लैब टू लैंड’ की दिशा में आगे बढ़ने के लिए ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ की कल्पना की गई है। शोध का लाभ किसानों तक पहुंचे इसके लिए 16 हजार वैज्ञानिकों की 2170 टीमें बनाई गई हैं, जो गांव-गांव जाकर किसानों से संवाद कर रही हैं।
केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री चौहान ने कहा कि जो लोग खेती के लिये नकली दवाईयां बनाकर व्यापार कर रहे हैं उनके खिलाफ जल्द ही सख्त कानून बनाया जायेगा और आवश्यकता पड़ने पर उनके लाइसेंस भी रद्द कर दिये जायेंगे।
उन्होंने कहा कि चर्चा से समस्या के निदान और आगे के शोध का रास्ता निकलना चाहिए। उन्होंने उत्तर प्रदेश के किसानों से गन्ने के साथ-साथ वैज्ञानिकों से विचार कर अन्य विकल्पों की दिशा में भी आगे बढ़ने का आह्वान किया।
श्री चौहान ने 12 जून को अभियान की समाप्ति के बाद भी मेरठ क्षेत्र विशेष और वहां के किसानों की समस्याओं के निदान के लिए एक अलग टीम गठित करने का भी निर्देश दिया।
15 दिवसीय अभियान के दौरान श्री चौहान लगभग 20 राज्यों की यात्रा करेंगे। यह अभियान 29 मई से शुरु हुआ है और 12 जून, 2025 तक 700 से अधिक जिलों में आयोजित किया जाएगा। इस अभियान में 731 केवीके, 113 आईसीएआर संस्थान, राज्य स्तरीय विभाग तथा कृषि, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन के अधिकारी तथा नवोन्मेषी किसान शामिल होंगे।
उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ के कुलपति डॉ. के. के. सिंह, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. एम. एल. जाट सहित वरिष्ठ अधिकारी, वैज्ञानिक व बड़ी संख्या में किसान कार्यक्रम में शामिल रहे।
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