वो बेताज बादशाह बाबा टिकैत

kabir Sharma
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महेंद्र सिंह टिकैत ने वर्ष 1987 में बिजली की बढ़ी दरों के विरोध में एक आंदोलन कर्मुखेड़ी बिजली घर अब शामली तब मुजफ्फरनगर से शुरुआत की उस आंदोलन में पश्चिमी यूपी के सभी जनपदों के किसानों ने प्रतिभाग किया जिलाध्यक्ष अनुराग चौधरी ने बताया कि उनके पिता उस समय युवा अवस्था में आंदोलन में शामिल हुए थे आंदोलन आक्रामक था जिसमें दो किसान और दो पुलिस वाले टकराव में अपनी जान गंवा बैठे थे।

उस समय भारतीय किसान यूनियन का महेंद्र सिंह टिकैत ने उदय किया उसके उपरांत मेरठ कमिश्नरी CDA मैदान आंदोलन ने किसानों ओर महेंद्र सिंह टिकैत को एक नई पहचान दी बीबीसी लंदन ने महेंद्र सिंह टिकैत को बेताज बादशाह की उपाधि भी प्रदान की उसके बाद अनेकों आंदोलन प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार की कृषि नीतियों के विरोध में हुए वोट क्लब आंदोलन को किसान याद करते हे तो याद करते हे ऐसा सायरन दिल्ली पुलिस द्वारा बजाया की कानों ने काम करना सुनना बंद कर दिया था टेंटो में आग लगा दी गई परन्तु किसान हटे नहीं तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को अपनी रैली स्थल बदलना पड़ा था चौधरी चरण सिंह जब स्वर्गवासी हो गए तब चौधरी महेंद्र सिंह ने अपने देशी अंदाज में कहा था लाओ बाण ओर फ़ावले लगाओ निशान चौधरी का अंतिम संस्कार यही होगा तब केंद्र सरकार को चौधरी चरण सिंह जी के लिए किसान घाट बनाना पड़ा था टिकैत साहब पर कई बार राजसभा आदि के प्रस्ताव आए परन्तु उन्होंने हस के ठुकरा दिया।

जिलाध्यक्ष अनुराग चौधरी ने बताया सन 2008 में वे दसवीं कक्षा के छात्र थे तब मायावती सरकार ने उन्हें गिरफ्तार करने के आदेश दिया था तब वे अपने पिता जी के साथ सिसोली गए उनकी सुरक्षा हेतु किसानों ने सिसोली को छावनी बना दिया था और उस छावनी को पुलिस भेद नहीं पाई थी आज भी हम सिसोली जाते हे तो सभी घर आदर सत्कार करते हे किसानों का टिकैत साहब ने प्रत्येक राजनीतिक पार्टी की सरकार के कृषि विरोधी नीतियों के विरोध में आंदोलन किया और प्रधानमंत्री , मुख्यमंत्री सिसोली किसान भवन में पहुंचे जिलाध्यक्ष अनुराग चौधरी ने बताया कि टिकैत साहब के सहयोगी विजयपाल घोपला आज भी संगठन में 80 वर्ष के आयु में संघर्षरत हे एक बार टिकैत साहब को लगभग 1990 में गिरफ्तार कर जेल में बंद कर दिया गया। उन्हें छुड़ाने हेतु एक भूख हड़ताल चार किसानों ने मेरठ कलेक्टर दफ्तर पर शुरू करी जिसे बाद छात्रों , आमजन ने समर्थन दिया सात दिन बाद पुलिस ने अनशनकारी किसानों के स्वास्थ का हवाला देते हुए बल प्रयोग करते हुए मेरठ मेडिकल में भर्ती कर दिया उसके बाद सरकार ने टिकैत साहब को छोड़ दिया और मेरठ में किसानों से भी जाने को कहा गया।

परन्तु किसानों ने टिकैत साहब के आने पर ही जाने का निर्णय लिया उसके बाद टिकैत साहब ने आकर किसानों को उनके घर भेजा जब से विजयपाल सिंह अनेकों बार जेल गए और आज भी सक्रिय रूप से आंदोलनों में शामिल होते हे पिछले 13 वर्ष से मेडा की अधिग्रहण नीति का विरोध करते हुए आंदोलन चला रखा और बाल दाढ़ी न कटवाने की प्रतिज्ञा ले रखी हे। जिलाध्यक्ष अनुराग चौधरी से बबलू सिसौला ने वार्ता करते हुए बताया कि वर्ष 1992 में हमारे मामा खरखोदा ब्लॉक अध्यक्ष थे और महेंद्र सिंह टिकैत ने जेल भरी आंदोलन का आव्हान कर दिया उस समय मेरठ के सबसे ज्यादा किसानों ने गिरफ्तारी दी थी अल्प आयु में में भिं जेल गया था और साथ दिन गाजीपुर जेल में रहा।

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जिलाध्यक्ष अनुराग चौधरी ने बताया कि हम आज भी महेंद्र सिंह टिकैत जी से प्रेरणा लेते हुए उनकी नीतियों पर चलकर उनके पुराने साथियों को खोजने का कार्य कर रहे हे और उनके दिशा निर्देशन में किसान समस्याओं को लेकर आंदोलनरत हे और जल्द आंदोलन को तेज किया जाएगा । कल उनकी पुण्यतिथि पर जनपद मेरठ के कार्यकर्ता सेकंडों गाड़ियों से हजारों के संख्या में जिलाध्यक्ष अनुराग चौधरी के नेतृत्व में उनकी जन्मभूमि समाधिस्थल सिसोली पहुंचेंगे और हवन यज्ञ, श्रद्धांजलि सभा में प्रतिभाग करेंगे और उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर ही आगमी अपने कार्यकमों की रूपरेखा जारी करेंगे।

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