मेरठ। भाजपा नेता सतीश शर्मा जिस कैंट बोर्ड के सदस्य हैं, उसकी ही ध्वस्तीकरण कार्रवाई के खिलाफ स्टे ले आए हैं। उन्होंने यह स्टे न्यायालय सिविल जज जूनियर डिवीजन में दायर याचिका के बाद हासिल किया है। यह पूरा मामला उनके मनोनयन को लेकर नरेन्द्र सिंह नागपाल की ओर से दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की गयी याचिका से जुड़ा है। दिल्ली हाईकोर्ट ने उनके मनोनयन को गलत तो माना लेकिन साथ ही यह भी जोड़ दिया कि सतीश शर्मा को भी अपनी बात रखने का मौका दिया जाना चाहिए। सेक्शन 34 के तहत उनका वह मनोनय के पात्र नहीं। साथ ही यह भी आदेश दिया कि अवैध निर्माणों को लेकर बीते 24 साल से लटकी उनकी अपीलोंपर कमांड फैसला ले। विधि विशेषज्ञों की राय में इस आदेश को एक तरह से उनके अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई को किया जाना माना गया। इस आदेश के खिलाफ वह कमांड में अपील में चले गए। 12 जून को कमांड में सुनवाई कर रहे डायरेक्टर एनबी सत्यनारायण ने अवैध निर्माण ध्वस्तीकरण के आदेश दे दिए, यह अलग बात है कि उन आदेशाें के बाद भी ध्वस्तीकरण नहीं किया गया और सतीश शर्मा लगातार बोर्ड बैठक को हिस्सा बने रहे। इतना ही नहीं जो फैसले बोर्ड बैठकों में लिए गए उनमें भी वह शामिल रहे। इस बीच कैंट बोर्ड के एक पूर्व उपाध्यक्ष की राय पर वह कैंट बोर्ड के ध्वस्तीरण के खिलाफ कोर्ट से स्टे ले आए।
बोर्ड पर गंभीर सवाल
हाईकोर्ट से सतीश शर्मा को कोई राहत नहीं मिल । एक तरह से यह फैसला या कहे आदेश ने नरेन्द्र सिंह नागपाल के उस आरोप की पुष्टि माना गया, जिसमें वह बार-बार कह रहे थे कि सतीश शर्मा मनोयन डिजर्व तक नहीं करते थे, उसके बाद भी उनका नाम भेजा गया। दरअसल मेरठ कैंट बोर्ड से तीन नाम मंत्रायल को भेजे गए थे। जिनमें सतीश शर्मा, उनके भाई राकेश शर्मा और अमन गुप्ता। सतीश शर्मा इसलिए पात्र नहीं माने जाते थे क्योंकि उनके खिलाफ अवैध निर्माणों को लेकर उन्हें ध्वस्तीकरण के नोटिस दे चुका था। नरेन्द्र सिंह नागपाल का तर्क है जिस शख्स के खिलाफ बोर्ड ने ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के नोटिस जारी कर दिए हो, उनका नाम खुद बोर्ड के अफसर कैसे मनोनयन के लिए नाम भेज सकते हैं। या तो नाम का भेजा जाना गलत है या फिर अवैध निर्माणों के नाम भेजे गए ध्वस्तीकरण के नोटिस गलत भेजे गए। इसी आधार पर नरेन्द्र सिंह नागपाल कोर्ट में गए और दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी ओर से दायर की गयी याचिका में उठायी गई आपत्तियों को सहीं मानते हुए कैंट बोर्ड प्रशासन को 24 साल लंबित मामले के निष्कासन के आदेश दिए। जिसके बाद कैंट बोर्ड की प्रस्तावित कार्रवाई के खिलाफ कमांड में अपील में चले गए। जहां से डायरेक्ट ने उनकी अपील खारिज कर दी। इसके बाद होना यह चाहिए था कि कैंट बोर्ड ध्वस्तीकरण करता लेकिन नहीं किया गया। बोर्ड अध्यक्ष सतीश शर्मा पर फैसला लेते वह भी नहीं किया गया। सतीश शर्मा को बोर्ड बैठक का हिस्सा नहीं बनाया जाता वह भी नहीं किया गया। इसको लेकर जब नरेन्द्र सिंह नागपाल से सवाल किया गया तो उन्होंने साफ कहा कि इस सरकार में कुछ भी हो सकता है। सब कुछ संभव है सब कुछ मुमकिन है। उन्होंने दो शब्दों में सारे मामले काे बेपर्दा कर दिया। अब जब सतीश शर्मा कोर्ट से स्टे ले जाए है तो इस स्टे ने भी पूरे कैंट प्रशासन हीं नहीं मंत्रायल को भी सवाल खड़े कर दिए हैं।