कैंट बोर्ड: ताकि खुद की गर्दन रहें सलामत

जीओसी पर भारी बोर्ड की कारगुजारी
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कैंट बोर्ड: ताकि खुद की गर्दन रहें सलामत, CEO साहव रहे सावधान!  अवैध निर्माणों की डायरेक्टर मध्य कमान डीएन यादव द्वारा की जा रही जांचों में फंसी गर्दन को बचाने के लिए कैंट बोर्ड मेरठ के इंजीनियरिंग सेक्शन से बड़ी साजिश की सुगबुगाहट है। सुनने में आया है कि जिन अवैध निर्माणों को लेकर कार्रवाई की तलवार लटक रही है, उनमें अब नोटिस भिजवाए जाने की पटकथा लिखी जा रही है। स्टाफ की सुगबुहाट की मानें तो करीब एक से डेढ़‍ साल पूर्व तत्कालीन सीईओ नवेन्द्र नाथ के कार्यकाल में जितने भी अवैध निर्माण कराए गए थे और कथित सेटिंग गेटिंग के चलते जिनमें तब न तो रिपोर्ट की गयी थी न ही नोटिस जारी किए गए थे,  उन तमाम अवैध निर्माणों पर सीईओ के साइन से नोटिस भिजवाने की तैयारी कर ली गई है। विधि विशेषज्ञों की राय में यदि इंजीनियरिंग सेक्शन की इस पटकथा पर काम को अंजाम दे दिया जाता है तो डायरेक्टर मध्य कमान की जांच में जिस कार्रवाई की बात कही जा रही है, उससे फौरी तौर पर राहत की उम्मीद की जा सकती है। इन नोटिसों पर यदि साइन हो जाते हैं तो फिर सीईओ पर सवाल तो उठेगा ही कि साथ ही कार्रवाई से भी इंकार नहीं किया जा सकता। बड़ा सवाल यही कि नवेन्द्र नाथ ने जिन अवैध निर्माणों पर डेढ़ साल पूर्व नोटिस जारी नहीं किए थे, उन पर अब नोटिस क्यों। दरअसल कैंट एक्ट कहता है कि एक साल के बाद इस प्रकार के अवैध निर्माणों में नोटिस का कोई औचित्य ही नहीं रह जाता। ऐसे मामलों में तो अब  कैंट बोर्ड प्रशासन स्तर से सीजेएम की अदालत में प्रोसिक्यूशन भी दायर नहीं किया जा सकता क्योंकि उसकी मियाद भी केवल छह माह होती है। कैंट बोर्ड में इस प्रकार का कोई पहला मामला सुनने में नहीं आ रहा है। इससे पूर्व भी इससे भी इतर एक ऐसा ही कारनामा अंजाम दिया जा चुका है, जिसमें पूर्व के एक सीईओ के कथित तौर पर फर्जी साइन कर दिए गए थे। हालांकि बाद में वह बात खुल गई, खूब फजीहत भी हुई थी। उक्त मामले में बोर्ड के एई का नाम चर्चाओं में था, इस बार भी कुछ ऐसा ही होने जा रहा है, ऐसा सुनने में आया है कि इंजीनियरिंग सेक्शन हेड, सीईओ को मैनेज के प्रयास में हैं। सावधान! 

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