कांग्रेस ने पूछा जेसीपी से डर कैसा, नई दिल्ली। अडानी प्रकरण को लेकर कांग्रेस फिलहाल तलवार म्यान में रखने को तैयार नहीं है. ताजा हमले में कांग्रेस ने पूछा है कि हिंडनवर्ग की रिपोर्ट आने के बाद सरकार को जेसीपी से डर क्यों लग रहा है। एक अंग्रेजी दैनिक के मुताबिक कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने जयपुर में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अडानी समूह के कारण छोटे निवेशकों ने 10.5 लाख करोड़ रुपये गंवा दिए और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) जैसे सरकारी नियामक चुप हैं. कांग्रेस नेता जयपुर में मीडिया से मुखातिब थे. वल्लभ ने कहा, ‘कांग्रेस ने अडानी समूह से संबंधित मामलों पर संसद में सवाल पूछा, इसे सदन की कार्यवाही से हटा दिया गया. अडानी समूह को विदेशी शेल कंपनियों से प्राप्त काला धन किसका है? मोदी जी जेपीसी जांच का आदेश देने से क्यों डरते हैं? आप किसे बचाना चाहते हैं.’ उन्होंने आरोप लगाया, ‘छोटे निवेशकों ने अडानी समूह के कारण 10.5 लाख करोड़ रुपये गंवा दिए और सेबी, आरबीआई एवं वित्त विभाग चुप्पी साधे बैठे हैं.’ उन्होंने कहा, हम ‘अमृत काल’ के खिलाफ नहीं हैं, हम मित्रकाल के खिलाफ हैं.’ कांग्रेस नेता ने पूछा कि क्या यह एक संयोग है कि जब भी मोदी विदेश यात्रा करते हैं तो अडानी समूह किसी न किसी बड़ी परियोजना को अंजाम देता है. वहीं, वरिष्ठ कांग्रेस नेता अजय माकन ने भी पूछा कि क्यों नरेंद्र मोदी सरकार अडानी-हिंडनबर्ग विवाद में जेपीसी का गठन करने से डर रही है? उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हवाई अड्डों और बंदरगाहों जैसे रणनीतिक क्षेत्रों को एक ही कंपनी द्वारा संभालने का मुद्दा देश की राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है. उन्होंने कहा कि अडानी समूह के साथ भाजपा शासित केंद्र के जुड़ाव से क्रोनी कैपिटलिज्म और ‘सरकार द्वारा प्रायोजित निजी एकाधिकार’ के निर्माण का आभास होता है. माकन ने पूछा, ‘कांग्रेस पार्टी मोदी सरकार से पूछना चाहती है कि वह इस मुद्दे पर जेपीसी बनाने से क्यों डरती है? अगर तत्कालीन नरसिम्हा राव सरकार (कांग्रेस) हर्षद मेहता घोटाले के लिए और अटल बिहारी वाजपेयी (भाजपा) सरकार केतन पारेख घोटाले के लिए जेपीसी बना सकती थीं, तो आप अडानी के मामले में जेपीसी क्यों गठित नहीं कर रहे हैं.’